नाम – ‘सैफायर’ शब्द ग्रीक भाषा के ‘सैफायरस‘ से आया है, जिसका अर्थ नीला पत्थर होता है। जानकारी के अनुसार सैफायर लाल रंग को छोड़कर अन्य बहुत से रंगों में उपलब्ध है। इस रत्न की पीले रंग में उपलब्धता को पुखराज रत्न के नाम से जाना जाता है। इसका ज्योतिष में बहुत अधिक महत्व है। इसकी कीमत आकार, रंग एवं स्पष्टता के आधार पर निर्धारित की जाती है। येल्लो सैफायर का भारतीय नाम – पुखराज गठन – इन रत्नों का गठन मोटे तौर पर कोरंडम खनिज से होता है, जो एल्यूमिनियम ऑक्साइड है। इसके अलावा कोरंडम में लोहे, टाइटेनियम, क्रोमियम, तांबा या मैग्नीशियम तत्वों की मौजूदगी क्रमशः नीला, पीला, बैंगनी, नारंगी या हरा रंग प्रदान करती है। स्रोत – हरित पीला सैफायर क्वींसलैंड एवं न्यू साउथ वेल्स में पाया जाता है। इसी तरह के रत्न थाइलैंड में भी पाए जाते हैं। शुद्घ पुखराज रत्न श्रीलंका, मोंटाना यूएसए एवं पूर्व अफ्रीका में पाया जाता है। रंग उपलब्धता – इस रत्न का सबसे उत्तम रंग नींबू सा पीला रंग माना जाता है। हालांकि, यह रत्न सुनहरे पीले से लेकर गहरे पीले, नारंगी, हलके हरे, रंगरहित एवं सफेद रंग में उपलब्ध है। गुण जानकारी मुताबिक अच्छी गुणवत्ता वाला सैफायर कांच की तरह चमकता है। ज्योतिषीय संबंध – वैदिक ज्योतिष में पुखराज रत्न अपना अहम स्थान रखता है। माना जाता है कि यह रत्न गुरू ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। सकारात्मक ग्रहों में शामिल गुरू महाराजा वित्तीय मुश्किलों, संघर्षों एवं अन्य मामलों को खत्म करने में अहम भूमिका निभाता है। राशि – धनु, मकर । ग्रह – गुरू । दिन – गुरूवार । फायदे – पुखराज रत्न पहनने से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं।
काल्पनिक तथ्य – १९वीं शताब्दी तक सैफायर को ओरिएंटल टोपाज के नाम से जाना जाता था। आज भी पुखराज के वैकल्पिक रूप में थोड़े कम कीमती एवं सुनहरे टोपाज पहनने की सलाह दी जाती है क्योंकि पुखराज काफी महंगा होता है। टोपाज भी सैफायर की तरफ अलग अलग रंगों में उपलब्ध है। ध्यान रहे कि बाजार में पुखराज के नाम से सस्ते, असाध्य और नकली रत्न भी उपलब्ध हैं। इसलिए आपको सलाह है कि यदि भी रत्न खरीदें तो आप विश्वसनीय स्थल से खरीदें। यदि आप अच्छा व सही रत्न धारण करेंगे तो आपको नतीजे भी सकारात्मक मिलेंगे। यहां शत प्रतिशत प्रामाणिक पुखराज रत्न पाएं। बहरहाल, किसी भी रत्न को धारण करने से पूर्व अपनी कुंडली किसी ज्योतिषी को दिखाएं तथा अपने एवं कुंडली के अनुकूल रत्न को धारण करें। यहां तक कि पुखराज को एक अपेक्षाकृत सुरक्षित रत्न माना जाता है। लेकिन फिर भी इस रत्न को धारण करने से पूर्व अपनी जन्म कुंडली का ज्योतिषीय अध्ययन जरूर करवाएं अन्यथा इस रत्न का नकारात्मक प्रभाव भी हो सकता है। अगर गुरू मकर राशि में है तो जातक पुखराज पहनना चाहिए। यदि आपको इस संदर्भ में जानकारी नहीं है तो आप सीधे तौर पर हमारे ज्योतिषी से बात कीजिए। इसके अलावा आप अपनी जन्म कुंडली के आधर पर धन प्राप्ति के लिए उपचारात्मक समाधान प्राप्त कर सकते हैं। |