रंगः कॉपर
भाग्यशाली अक्षर: ब और ग
इस नक्षत्र का प्रतीक हाथी के दांत है, और पीठासीन देव दस विश्वदेव हैं जो विश्व (सार्वभौमिकता) और धर्म के पुत्र हैं | सत्य, संकल्प,कौशल, समय, इच्छा, दृढ़ता, पूर्वज, चमक और ऊंचाई स्वाभाविक रूप से इस नक्षत्र की विशेषता हैं | जब चंद्रमा इस नक्षत्र से जुड़ता हैं तो इनके आज्ञाकारिता के गुण के बारे में पता चलता हैं | इनके कई दोस्त होते हैं और आम तौर पर सभी के द्वारा पसंद किए जाते हैं | ये प्राप्त हुए एहसानो के लिए आभारी होते हैं, और अपना अधिकतम प्रयास करते हैं लौटाने का | विश्वदेव इन्हे निर्विवाद जीत का अनुदान देते हैं, और यह उन्हें स्वाभाविक रुप से नेता के गुण प्रदान करता हैं | और इन्हे अपने पुण्य और नैतिकता के गुण के लिए सम्मान मिलता हैं |ये कभी कभी आध्यात्मिकता का पता लगाने के इतने इच्छुक हो जाते हैं कि दुनियावी कार्यों के प्रति निष्क्रिय हो जाते हैं | यदि ये इस पथ पर गंभीरता से आगे बढ़ते हैं तो यह नक्षत्र उन्हें आध्यात्मिक रुप से श्रेष्ठ बना देता हैं | इस नक्षत्र के अंतर्गत पैदा हुए जातक नर्म और कोमल स्वभाव के होते हैं अपने पुर्वाषाढा नक्षत्र के जातको की तुलना में |इन्हे अपनी ईमानदारी के लिए भी जाना जाता है, ये जो उपदेश देते हैं उसका अभ्यास खुद भी करते हैं |ये जब प्रतिबद्ध होते हैं तो जी जान लगा कर अपना काम पूरा करते हैं | पर यदि इनकी रुचि समाप्त हो गयी तो इनका काम पूरा का पूरा ठप्प हो जाता हैं | इस नक्षत्र का प्रतीक हाथी दांत गणेश जी के साथ भी जुड़ा हुआ हैं | जो विघ्नहर्ता हैं किसी भी उद्यम की शुरुआत से पहले सभी बाधाओं को दूर करते हैं और सफलता प्रदान करते हैं | उत्तरषाढा का अर्थ शुरुआत और कौशल है जो सफ़लता के लिए मानसिक रूप तैयार करता हैं | ये अपनी गलतियों को स्वीकार करने के लिए तैयार रहते हैं | इन्हे खुश रखने के लिए इनका लाड़ किया जाना जरूरी हैं | विडंबना यह है कि, अपने सारे गुणो के बावजूद,इन्हे अपने बच्चों द्वारा ही दु: ख पंहुचता हैं | इन्हे यह सलाह है कि उत्तरषाढा के लोगो को रेवती या उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में जन्में जातको मे से अपना साथी चुनना चाहिए | स्वास्थ्य की दृष्टि से इन्हे पेट की समस्याओं, अंगों के पक्षाघात, फेफड़े के रोगों और नेत्र रोगों के खिलाफ रक्षा की जरूरत हैं | पेशे से ये सरकारी परियोजनाओं के अग्रदूत, सैन्य, शिकार, लड़ाई और कुश्ती में शामिल हो सकते हैं |