2019 भारत के लिए महत्वपूर्ण वर्ष रहने वाला है। दुनियाभर की नजरें इस दौरान भारत और उसके महाचुनाव पर टिकी होगी। 2019 के ये आम चुनाव अभी से लोगों के दिलो-दिमाग पर छा गए हैं। कौन होगा अगला प्रधानमंत्री की बहस सत्ता के गलियारों से निकलकर आम शहरों के गली-मोहल्लों तक पहुंच गई है। वहीं लोकसभा चुनाव 2019 के समय आकाशीय ग्रहों की स्थिति एक बेहद अप्रत्याशित परिणामों की ओर इशारा कर रही है।
शनि और केतु की युति- चुनाव में अप्रत्याशित परिवर्तन
7 मार्च 2019 के दिन धनु राशि में शनि और केतु की युति होने वाली है। भारत में अप्रेल-मई के दौरान होने वाले आमचुनावों के लिए इस युति का अध्ययन करना जरूरी हो जाता है। शनि न्याय के अधिपति है। अनुशासन और जवाबदारी शनि के लिए महत्वपूर्ण है। वहीं, केतु उद्देश्यों को लेकर अपरंपरागत और अस्पष्ट है। दोनों ग्रहों को क्रूर ग्रहों की संज्ञा दी गई है। शनि लोकतंत्र का कारक है। जब भी शनि, केतु के साथ युति करता है, तो वह अत्यधिक अपरिपक्व हो जाता है। शनि अपना मूल तत्व छोड़कर एक अलग ही अप्रत्याशित काम करता है। 2019 के आम चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके सबसे बड़े प्रतिद्वंदी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए इस युति से आने वाला समय देखा जा सकता है। मार्च 2019 से होने वाली शनि-केतु की यह युति कुछ बहुत ही ड्रामाटिक या कहें नाटकीय या अप्रत्याशित परिवर्तन ला सकती है।
1996 : में शनि-केतु ने करवाया बड़ा फेरबदल
शनि-केतु की इस युति का इस चुनाव पर असर जानने के लिए हमें इस युति में हुए अन्य चुनावों को समझना होगा। 1996 में अप्रेल-मई में चुनाव के दौरान शनि-केतु की यह युति मीन राशि में थी। उस समय किसी भी पार्टी को पूरा बहुमत नहीं मिला और भारतीय जनता पार्टी ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में महज13 दिन की सरकार बनाई। इसे राजनीतिक अनिश्चितता का समय कहा जा सकता था। इससे पहले 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद दिसंबर में चुनाव हुए। तब शनि-केतु की युति वृश्चिक राशि में थी। इस समय राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने जबरदस्त जीत हासिल की। इससे पहले 1962 में चुनाव के समय शनि-केतु की युति मकर राशि में थी और पंडित जवाहरलाल नेहरू को अपने तीसरे और आखिरी चुनाव में एक तरफा जीत मिली थी। इन तीन चुनावों के परिणाम बताते हैं कि शनि-केतु की युति में हुए चुनावों में या तो किसी पार्टी को एक तरफा जीत मिल गई या कोई भी बहुमत में नहीं आ पाया।
लोकसभा चुनाव 2019:अनिश्चितता का चुनाव
इस साल शनि-केतु के कारण पूरा राजनीतिक समीकरण बदल सकता है। या तो यह चुनाव बीजेपी के लिए एक तरफा चुनाव होगा। या फिर कांग्रेस के पक्ष अप्रत्याशित परिणाम देखने को मिलेंगे। वहीं एक पक्ष यह भी दिख रहा है कि 1996 की तरह छोटी पार्टियों के सहयोग से मिली-जुली सरकार बन जाएं। यह देखना बेहद दिलचस्प होगा। शनि-केतु की इस युति के साथ कांग्रेस और बीजेपी की कुंडली और आने वाले दिनों में गोचर भी इस चुनाव पर बेहद गंभीर असर डालेंगे, जिसके बारे में हम अलग से चर्चा करेंगे। इन सबमें एक बात तय है कि 2019 भारतीय चुनावों के इतिहास में एक महत्वपूर्ण रोल अदा करने वाला है, जिसे आने वाले कई सालों तक हम याद रखेंगे।
आचार्य भारद्वाज के इनपुट के साथ
गणेशास्पीक्स डॉट कॉम/ हिंदी
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