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क्या होगा ममता का अगला दाँव सियासी पलटवार में ? जानिए…

क्या होगा ममता का अगला दाँव सियासी पलटवार में ? जानिए…

अप्रैल 2017 के बाद हालात और भी बिगड़ सकते हैं। परिणास्वरूप, साल 2018 के ममता के करियर के सबसे खराब साल होने की आशंका है।

तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की वर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पिछले कई दिनों से चर्चा में रही हैं। केंद्र सरकार की ओर से पांच सौ और एक हज़ार रुपए के नोटों पर पाबंदी लगाने के बाद देश में पैदा हुए संकट को लेकर भड़की ममता जी ने मोदी के विरुद्ध अभियान छेड़ रखा है। मीडिया को दिए एक बयान में इन्होंने इस निर्णय को वापस लेने की मांग करते हुए इसे आम आदमी के खिलाफ बताया। लगता है कि दीदी भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाए गए इस सख्त कदम से जरा-भी खुश नहीं ! ममता अपने तेजतर्रार रवैये के लिए हमेशा से ही जानी-पहचानी जाती रही हैं और इस प्रकरण में भी इनका यह दृष्टिकोण कोई नयी बात नहीं। भाषणों, रैलियों और मीडिया में बयानबाजी के बाद अब किसी को नहीं पता कि इनका अगला कदम कौन-सा होगा। अपने इस अार्टिकल में गणेशजी ममता की कुंडली का गहराई से जांच-पड़ताल करते हुए यह जानने का प्रयास करेंगे कि ममता जी के ग्रह किस तरह से इनके निर्णयों में अपना प्रभाव डाल रहे हैं और आगामी समय में ग्रहों की हलचलों से इनकी अगली राजनीतिक रणनीति क्या हो सकती है।

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ममता बनर्जी
जन्म तिथि: 5 जनवरी, 1955
जन्म समय: अनुपलब्ध
जन्म स्थान: कोलकाता, पश्चिम बंगाल, भारत



शक्ति और अधिकार का सामर्थ्य रखने वाली महिला:
सूर्य राशि के अऩुसार, तृणमूल कांग्रेस प्रमुख – ममता का जन्म धनु राशि में हुआ है। जिस समय इनका जन्म हुआ उस समय इनके लग्न में सूर्य, बुध और राहु विराजमान थे। इन तीनों ग्रहों के अग्नि तत्व वाली धनु राशि में होने से यह संकेत मिलता है कि ये जन्मजात रूप से एक आक्रामक नेता हैं जो दृढ़ता से निर्णय ले सकती हैं। इनके अंदर विस्तार की ललक विद्यमान होने से ये अतिशय रूप से अपनी क्षमताओं को बढ़ाने में लगी रहती हैं। ममता की कुंडली में सूर्य-बुध के संयोजन से बन रहा बुधादित्य योग यह इंगित करता है कि इनके अंदर बौद्धिक क्षमता गजब की है। यहां राहु का उपस्थित होना विभिन्न स्थितियों की जटिलताओं को भलीभांति समझने के गुण की ओर भी इशारा करता है।

सिक्के का दूसरा पहलूः
लग्न में सूर्य व राहु का एक साथ मौजूद होना इन्हें एक एेसे आत्म-केद्रित व्यक्ति के रूप में गढ़ता है जो हमेशा खुद की जरूरतों को वरीयता देता है। एेसे में यह दूसरों को अहंकारी नजर आएंगी। ग्रहों का यह मेल जातक के मनमाने तरीके से शक्ति और संत्ता के प्रयोग को दर्शाता है। यही कारण है कि ममता के ऊपर कभी-कभी मुंहफट होने के आरोप भी लगते रहे हैं। ग्रहों का एेसा संयोजन जातक को विवादों में भी डाल देता है। इसके अलावा, बुध-राहु के साथ-साथ होने से इनको निर्णय लेने में भी दिक्कतें आ सकती हैं। इनकी सोच और विचारों पर भी ग्रहण लगने का खतरा है।

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दूसरे ग्रहों से दमदार समर्थनः
गणेशजी कहते हैं कि उच्च का शनि सादगी भरा जीवन जीने वाली दीदी को जनता के साथ कनेक्ट होने की क्षमता प्रदान करता है। इनके वफादारों का इन्हें पूरी तरह से समर्थन हासिल होगा। इनकी कुंडली में मंगल आत्मकारक है जो चीजों के प्रति एक उग्र दृष्टिकोण को दर्शाता है। ये त्वरित कार्रवाई में विश्वास करती हैं। इससे यह भी पता चलता है कि ये एक ग्रेट फाइटर, एग्रेसिव एक्टिविस्ट और डॉमीनेटिंग पॉलिटिशियन हैं।

वास्तविक परिदृश्य:

मंगल-ट्रिगर फैक्टर

पिछले कुछ हफ्तों से मंगल अपनी उच्च राशि से भ्रमण कर रहा था, जिससे इनकी ओर से उग्र प्रतिक्रया होनी स्वाभाविक थी। इसी कारण से सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को लेकर ये काफी खफा थीं। वर्तमान में, मंगल कुंभ राशि से गुजर रहा है और ये मंगल रिटर्न फेज के इन्फ्लुएंस में भी हैं। इस प्रकार से ये सरकार विरोधी मुहिम में एक बहुत ही सिग्निफिकेन्ट रोल अदा करेंगी। गणेशी का कहना है कि इससे सियासी सरगर्मियां बढ़ने की संभावना है।

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अभिव्यक्ति की इच्छा उत्पन्न कर रहा है बुध
गोचर का बुध इनके जन्म के सूर्य व राहु के ऊपर से जा रहा है। जनवरी तक इनके बुध के रिटर्न फेज से प्रभावित रहने की वजह से ये समझौते के मूड में नहीं होंगी। अपने विचारों को खुलकर व्यक्त करेंगी। आगामी दिनों में इनके मीडिया के साथ साक्षात्कारों में तेजी आएगी।

मुश्किलों से जूझने में सक्षम :
गणेशजी का कहना है कि कन्या राशि से पारगमन करता हुआ गुरू इनको मुश्किल परिस्थितियों से बाहर निकलने में इनकी सहायता करेगा। देखा जाए तो वास्तविकता के धरातल पर संतुलित निर्णय लेने और प्रभाव बनाए रखने में गुरू बृहस्पति इनकी सहायता करेगा।

आगे का रास्ताः
भारतीय राजनीति में ममता बनर्जी के सबसे मजबूत क्षेत्रीय नेता के रूप में उभर कर सामने आने की संभावना है। लेकिन, एेसा लगता है कि धनु राशि में चलायमान रहने वाला गोचर का शनि राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में इनको अपने प्रभाव का विस्तार करने की अनुमति नहीं देगा। इनको राज्य स्तर की अपनी स्थिति से ही संतोष करना पड़ेगा। इसके अलावा, नवंबर 2017 के बाद शनि इनके समक्ष प्रतिकूल परिणाम ला सकता है। अप्रैल 2017 के बाद इन्हें कुछ अप्रिय समाचार मिल सकते हैं। विभिन्न ग्रहों के प्रभाव को देखते हुए गणेशजी का कहना है कि 2017 का साल इनके राजनीतिक करियर के लिहाज से सबसे कठिन वर्षों में से एक होगा।

गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
तन्मय के ठाकर
(स्पेशल इनपुट: आदित्य सांर्इं)
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम

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