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ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीजेपी का दामन तो थाम लिया, लेकिन अब आगे क्या?

राजनीति और राजशाही का बहुत पुराना संबंध है। पहले के जमाने में जो राजा थे वही राजनीति करते थे, और आज के जमाने में जो राजनीति करते हैं वही राजा हैं। वैसे तो राजनीति का अर्थ होता है किसी भी राज यानि राज्य को चलने के लिए जो नीतियाँ अपनाई जाती हैं उसे राजनीति कहते हैं। लेकिन आज कल राज चलने के लिए नहीं राज्य को हासिल करने के लिए राजनीति की जाती है। जिसका जाता और पुख्ता उदाहरण हम हाल ही में संपन्न हुए हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में देख चुके हैं। जहाँ राजनीतिक पार्टियों ने राज्य की सत्ता हासिल करने के लिए क्या कुछ नहीं किया था? अब ऐसा ही एक और मामला सामने आया है जब मध्य प्रदेश ही नहीं हिंदुस्तान की राजनीति के बहुत बड़े चेहरे और कांग्रेस के एक दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया। जिसका कारण बताया जा रहा है, महज एक राज्यसभा सीट को। लेकिन राजनीतिक जानकारों की माने तो कारण सिर्फ इतना सा नहीं है। इसके पीछे कई और बड़े कारण भी बताये जा रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के बहु प्रचलित नेता और कांग्रेस कुमार राहुल गाँधी के घनिष्ठ तो थे ही साथ में ग्वालियर रियासत में राज परिवार सिंधिया खान दान के वंशज भी हैं। जिनके पूर्वज कभी ग्वालियर पर राज किया करते थे। फिर इनकी दादी राज माता विजया राजे सिंधिया ने कांग्रेस के साथ अपने राजनीति जीवन की शुरुआत की। तब से लेकर आज तक सिंधिया परिवार ने भारतीय राजनीति के एक बहुत हिस्से पर अपना कब्ज़ा जमा कर रखा है। राज माता विजया राजे सिंधिया ने कुछ सालों तक कांग्रेस के साथ राजनीति करने के बाद कांग्रेस को छोड़ दिया था। फिर उन्होंने जनसंघ में शामिल होने का निर्णय लिया जो आगे चलकर भारतीय जनता पार्टी बनी। भाजपा को स्थापित करने में विजया राजे सिंधिया ने बहुत बड़ी आर्थिक सहायता भी दी थी। तब से लेकर अब तक सिंधिया परिवार भाजपा के मध्यम से भारतीय राजनीति में सक्रीय हैं। विजया राजे सिंधिया के बाद उनकी बेटियों यशोधरा राजे सिंधिया और वसुंधरा राजे सिंधिया ने भी राजनीति में कदम रखा। आज दोनों ही बहने अच्छे मुकाम पर हैं। यशोधरा राजे जहाँ लोकसभा सदस्य हैं, वहीं वसुंधरा राजे लोकसभा और विधानसभा सदस्य रहने के साथ-साथ दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री भी रह चुकी हैं। बस यही तो वह कारण है, जिसके लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस को छोड़ दिया। दरअसल जब साल 2018, नवंबर में राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव चल रहे थे, तो राजस्थान और मध्य प्रदेश में भाजपा ने तो अपने मुख्यमंत्री पद के दावेदार घोषित कर दिया थे। लेकिन कांग्रेस ने दोनों ही राज्यों में मुख्यमंत्री पद के दावेदार को लेकर असमंजस की स्थिति बनायी रखी। क्योंकि एक तरफ तो कांग्रेस अपने परंपरागत वोट बैंक को साध रही थी यह कह कर की जनता को उनके विश्वास पात्र, जन नायक और अनुभवी मुख्यमंत्री दिए जायेंगे। जो अभी वर्तमान में सत्ता पर काबिज हैं। वहीं दूसरी और कांग्रेस युवा मतदाताओं को भी लुभा रही थी,कि उन्हें भी उनके पसंदीदा नेताओं को मुख्यमंत्री के रूप में सौंपा जायेगा। उस वक़्त मध्य प्रदेश कांग्रेस में ज्योतिरादित्य सिंधिया एक युवा नेता का सबसे बड़ा चेहरा थे। भरी जवानी में राज्य की सत्ता को बागडोर का सपना लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मेहनत भी खूब की। लेकिन जब नतीजे आये तो मलाई किसी और को ही खिला दी गयी। वही से ये सारा घटना क्रम शुरू हुआ तो 10 मार्च 2020 को ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफ़े से साथ खत्म हुआ। ज्योतिरादित्य सिंधिया अब बीजेपी में शामिल हो चुके हैं, उन्हें राज्यसभा उम्मीदवार भी घोषित किया जा चुका है, और उनकी जीत भी लगभग तय भी हो चुकी है। लेकिन अब सवाल ये उठता है की लगभग 19 सालों तक कांग्रेस में रहकर काम करने वाले और बीजेपी के खिलाफ लड़ने वाले ज्योतिरादित्य अब खुद बीजेपी के हो गए हैं। ऐसे में अब आने वाला समय उनके लिए कैसा रहेगा?क्या उनका राजनीतिक करियर ख़त्म ही जायेगा? या फिर यहाँ से उनके एक नए राजनीतिक जीवन की शुरुआत होगी? और इतना ही नहीं उनके समर्थन में कांग्रेस के 20 से भी अधिक विधायक है। ऐसे मध्य प्रदेश की राजनीति में क्या भूचाल आ सकता है। आइये जानने की कोशिश करते हैं ज्योतिषीय विश्लेषण से।


जन्म समय – अज्ञात

जन्म तारीख़ – 1 जनवरी 1971

जन्म स्थान – मुंबई, महाराष्ट्र, इंडिया (बॉम्बे)


ये बात तो पूर्ण रूप से स्पष्ट है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाने से भारतीय राजनीति में तो खलबली मची ही है, लेकिन मध्यप्रदेश की राजनीति में तो भूचाल सा आ गया। उनके साथ मध्यप्रदेश सरकार के 20 से ज्यादा विधायक है, ऐसे में उनके एक इशारे पर कमल नाथ सरकार एक झटके में गिर सकती है। लेकिन फिर भी केवल मात्र ज्योतिरादित्य सिंधिया की कुंडली का विश्लेषण कर के इस बात की पुष्टि नहीं की जा सकती। इसके लिए कई अन्य कारकों जैसे मध्य प्रदेश की राज्य कुंडली, मुख्यमंत्री की कुंडली व राजनीतिक रूझानों के विश्लेषण की भी आवश्यकता होगी। ऐसे में मध्यप्रदेश की सरकार को लेकर किसी भी प्रकार की ज्योतिषीय विवेचना करना अभी के लिए ठीक नहीं होगा। लेकिन क्या आपकी कुंडली में भी हैं एक नेता या राज नेता बनने के योग? इसकी विवेचना हमारे ज्योतिष विशेषज्ञ बहुत अच्छे से कर सकते हैं। इसलिए अपनी जन्मकुंडली बनवाएं और जाने क्या छुपा है भविष्य के गर्भ में आपके लिए?


कुंडली का अध्ययन करने पर पता चलता है कि ग्रहों की स्थिति ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए एक सकारात्मक अवधि का संकेत दे रही है। सूर्य के ऊपर से बृहस्पति का पारगमन उन्हें राजनीति में वांछित सफलता दिलाने में मदद करेगा। अभी तक कांग्रेस में उन्हें वांछित राजनीति सफलता इसलिए नहीं मिल पा रही थी, क्योंकि उनके जन्म के सूर्य और करियर के लिए उत्तरदायी बुध के ऊपर से शनि गोचर कर रहे थे। यही वजह थी की लाख कोशिशों के बावजूद वे न तो मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बन पाए और न ही मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष। राज्य की राजनीति में वे काफी पीछे रह गए थे। लेकिन अब ग्रहों की स्थित उनके अनुकूल हैं, इसलिए ज्योतिरादित्य सिंधिया राजनीति में अब वो सबकुछ हासिल कर पाएंगे जिनकी उनको चाह थी, और जिसके वे हक़दार हैं।


आने वाले समय में उनके ऊपर शनि साढ़े साती शुरू होने वाली हैं। ऐसे में वे अपने राजनीति करियर में प्रगति की उम्मीद कर सकते हैं, लेकिन उसे पाने के लिए उन्हें बहुत ज्यादा मेहनत और संघर्ष करने पड़ेंगे। आने वाले दिनों में उनके साथ कुछ ऐसी घटनाएं घट सकती हैं जो उनके जीवन को पूरी तरह से बदल सकती हैं। शनि के प्रभाव के चलते उन्हें बहुत अधिक धैर्य रखना पड़ेगा। क्योंकि हालातों को बदलने में समय तो लगता ही है। बृहस्पति के गोचर के दौरान भी उन्हें मनचाही सफलता मिल सकती हैं। लेकिन राहु और केतु का प्रभाव उनके लिए कभी-कभी चुनौतियाँ भी पैदा कर सकता है।

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गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम


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