चुनावों में जनाधार और पार्टी की आंतरिक एकता बनाए रखने के लिए करने होंगे काफी प्रयास
देश में जब अन्ना हजारे की लहर चली, तो उनके साथ मंच पर बैठे उभरते युवा नेता अरविंद केजरीवाल में देश को एक नया नेतृत्वकर्ता दिखाई दिया। सिविल सर्विस के उच्च ओहदे वाली सरकारी नौकरी को छोड़ “आम आदमी पार्टी” की शुरुआत के साथ अरविंद केजरीवाल ने सक्रिय राजनीति में कदम रखा। इसके साथ ही लोगों को ऐसा लगा जैसे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में उन्हें एक तीसरा विकल्प मिल गया है।
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अनुग्रह से पतन: भ्रष्टाचार के आरोप
शुरुआती दिनों में आम आदमी पार्टी के केंद्र में वास्तव में देश का आम आदमी ही था। उनकी चिंताएं, उनकी समस्याएं और उनका कल्याण ही पार्टी का मुख्य उद्देश्य था। आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल ने शुरुआती दिनों में भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने और समाज के दलित, पिछड़े और वंचित वर्ग के उत्थान के लिए प्रयास किए। इस कारण दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टी को अभूतपूर्व जीत मिली। दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में आम जनता के लिए अरविंद केजरीवाल के काम का प्रभाव धीरे-धीरे देश के अन्य राज्यों तक फैलना शुरू हुआ और उनके नाम के साथ-साथ आम आदमी पार्टी की भी चर्चा होने लगी। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के बाद पंजाब का गढ़ भी जीत लिया तो देश की बड़ी पार्टियों को भी यह चिंता सताने लगी कि उनके हाथ से सत्ता फिसलने में अब देर नहीं लगेगी।
हालांकि, समय के साथ धीरे-धीरे परिवर्तन आता गया और भ्रष्टाचार मिटाने के वादे के साथ सत्ता में आई पार्टी के शीर्ष नेताओं पर ही भ्रष्टाचार में शामिल होने के बड़े आरोप लगने लगे। जो पार्टी आम आदमी का समर्थक और पूरी तरह सादगी अपनाने का दावा करती थी, उस पर जनता के पैसों को निजी खर्चों पर लुटाने करने का आरोप लगने लगा। नतीजा यह हुआ कि पार्टी की लोकप्रियता का ग्राफ जितनी तेजी से ऊपर उठा था, उतनी ही तेजी से उसमें गिरावट भी आने लगी। इस कारण आम आदमी पार्टी दिल्ली और पंजाब को छोड़कर विधानसभा चुनावों के साथ-साथ लोकसभा चुनावों में भी उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाई। भ्रष्टाचार के आरोप में शामिल आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं की गिरफ्तारी भी होने लगी। आइए ज्योतिष के माध्यम से जानते हैं कैसा रहेगा अरविंद केजरीवाल का भविष्य।
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ज्योतिषीय अंतर्दृष्टि: अरविंद केजरीवाल के लिए आगे की चुनौतियाँ
जन्मतिथि: 16-08-1968
जन्म समय: 7:30 बजे
जन्म स्थान: भिवंडी
अरविंद केजरीवाल की जन्म कुंडली पर नजर डालें तो वह इस समय शनि में शनि की महादशा से गुजर रहे हैं। शनि उनकी कुंडली में 12वें भाव के स्वामी के साथ मिलकर विष योग बना रहे हैं। यह ग्रह स्थिति स्पष्ट रूप से पतन, कानूनी समस्याओं के साथ-साथ स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का भी संकेत देती है। अरविंद केजरीवाल को अपने ऊपर लगे आरोपों से बाहर निकलने और जनता का विश्वास जीतने के लिए अभी भी काफी मेहनत करनी होगी। इस स्थिति में उनकी ही पार्टी के कुछ नेता उनका विरोध करने या उनसे आगे निकलने की कोशिश कर सकते हैं।
चूंकि, गोचर का राहु जन्म के राहु के ऊपर से आठवें भाव से गुजर रहा है, इसलिए उनकी छवि धूमिल हुई है और उन्हें अभी भी इस स्थिति का सामना करना पड़ेगा। इस स्थिति के कारण एक राजनीतिक नेता के तौर पर उन्हें बड़े झटके का सामना करना पड़ेगा। उनकी पार्टी का प्रदर्शन औसत रहने की संभावना है और आगामी चुनावों में उनका प्रदर्शन भी कुछ खास प्रभावी नहीं होगा।
राहु के प्रभाव से पता चलता है कि पार्टी और उसके सहयोगियों के बीच भी मतभेदों के कारण विभाजन हो सकता है और आंतरिक मतभेद के सतह पर आने के कारण आपस में फूट की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। हालांकि, चुनाव में पार्टी अपना आधार बरकरार रखने की पुरजोर कोशिश करेगी, लेकिन उनका नेतृत्व वांछित लक्ष्यों को हासिल करने में विफल रहेगा।
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