साल 2023 में नवरात्रि एक महीने आगे खिसक गई। सामान्यतौर पर श्राद्ध पक्ष के अगले दिन से शुरू होने वाली शरद नवरात्रि साल 2023 में पितृपक्ष खत्म होने के एक महीने बाद शुरू होगी। गणेशास्पीक्स के ज्योतिषाचार्यों के अनुसार ऐसा संयोग कई दशकों या शताब्दियों के बाद देखने को मिलता है। सनातन धर्म में व्रत, त्योहार और उत्सवों का निर्धारण हिंदू धर्म कैलेंडर के आधार पर होता है। हिंदू धर्म कैलेंडर चंद्र वर्ष के आधार पर कार्य करता है। चंद्रमा की स्थिति के अनुसार ही धार्मिक व्रत, त्योहार और उत्सवों की तिथि व समय का निर्धारित किया जाता है।
नवरात्रि 2023 में अद्भुत संयोग
साल 2023 एक अधिवर्ष है, सौर कैलेंडर के अनुसार अधिवर्ष या लीप इयर में एक दिन की वृद्धि होती है। वहीं चंद्र कैलेंडर के अनुसार हर तीसरे साल एक महीने की वृद्धि होती है। इस बढ़े हुए महीने को हम पुरूषोत्तम मास या मलमास के नाम से जानते हैं। इसी मलमास के कारण साल 2023 में नवरात्रि का त्योहार श्राद्ध पक्ष से शुरू न होकर इसके ठीक एक महीने बाद शुरू होगा।
साल 2023 में कैसे बढ़ गया एक महीना?
सनातन धर्म के आदि ऋषियों ने सौरमंडल के सबसे तेज ग्रह को तिथि तथा समय के निर्धारण का आधार माना, इसीलिए हिंदू धर्म कैलेंडर का आधार चंद्रमा हैं। वहीं विदेशी या पश्चिमी देश के लोग सौर कैलेंडर को आधार मानते है। सौर कैलेंडर में जहां साल 365 दिन और 8 घंटे का होता है, वहीं चंद्र कैलेंडर में साल 354 दिन का ही होता है। चंद्र और सौर वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है, इसी अंतर को बराबर करने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास अतिरिक्त आता है। हिंदू धर्म कैलेंडर में हर तीसरे साल एक महीना बढ़ जाता है, इस बढ़े हुए महीने को मलमास या पुरूषोत्तम मास कहा जाता है। साल 2023 में यही एक महीना बढ़ने के कारण नवरात्रि का त्योहार एक महीने आगे बढ़ गया है।
अधिकमास में भगवान विष्णु की पूजा से बनाएं सभी काम, दूर करें परेशानियां, बुक करें यहां
साल 2023 में दो अश्विन मास
पांचांग के अनुसार साल 2023 का अधिकमास अश्विन मास में होगा, सीधे शब्दों में कहें तो इस वर्ष दो अश्विन माह होंगे, एक सामान्य और दूसरा अधिकमास। अश्विन में माह में हिन्दू धर्म के कई महत्वपूर्ण त्योहार आते है, जिनमें श्राद्ध, नवरात्रि और दशहरा जैसे महत्वपूर्ण त्योहार शामिल हैं। इस बार अधिकमास के अश्विन माह में आने के कारण ये त्योहार भी आगे खिसक गए हैं।
मलमास या पुरूषोत्तम मास का महत्व
चंद्र वर्ष के अनुसार हर तीसरे साल बढ़ने वाले अधिकमास को शुद्ध महीनों में नहीं गिना जाता, अपितु इसे मलमास माना जाता है। मलमास का संधिविच्छेद करें तो मल अर्थात मलिन मैला या व्यर्थ और मास मतलब महीना। मलिन अर्थात जिसका कोई अर्थ नहीं हो, इसीलिए मलमास के महीने में किसी भी तरह के मांगिलक या धार्मिक कार्य निषेध होते हैं। हालांकि इस दौरान प्रभु भक्ति, जाप और तप का अधिक महत्व माना गया है। मलमास के दौरान रोज सुबह सूर्योदय से पहले अपनी नित्य क्रियाओं से निवृत्त होने के बाद, स्नान कर भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने से कई कष्टों का निवारण होता है।
चतुर्मास में अधिकमास, भगवान करेंगे पांच महीने आराम
साल 2023 कई धार्मिक और ज्योतिषीय संयोगों से भरा है, इस वर्ष जहां नवरात्रि, दशहरा और दीपावली जैसे त्योहार एक महीने आगे खिसक गए। वहीं चतुर्मास के मध्य अधिकमास आने के कारण चतुर्मास की अवधि भी बढ़ गई। साल 2023 के चतुर्मास में चार की जगह पांच मास आने वाले हैं। इसे आसान भाषा में समझें, हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी चतुर्मास की शुरुआत देवशयनी अमावस्या से हुई, जो 29 जून को थी। चतुर्मास के अनुसार अक्टूबर में चार महीने पूरे होते हैं, लेकिन इस बार चतुर्मास की समाप्ति 23 नवंबर को होगी। जब आप जुलाई से जोड़ना शुरू करेंगे तो नवंबर तक लगभग पांच महीने पूरे हो जाएंगे। इसी कारण इस वर्ष भगवान विष्णु एक महीने अधिक आराम करेंगे।
अधिकमास 2023 में अद्भुत योग
साल 2023 में अधिकमास के 30 दिनों में से 9 दिनों तक सर्वार्थसिद्धि योग, 2 दिन द्विपुष्कर योग, 2 दिन पुष्य योग और एक दिन अमृतसिद्धि योग बन रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार अधिकमास में सर्वार्थसिद्धि योग लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला हो सकता है। वहीं द्विपुष्कर योग के दौरान किए गए कार्यों का फल दोगुना हो जाता है। इसके अलावा पुष्य नक्षत्र को खरीदारी के लिए बेहद शुभ माना जाता है।
पुरूषोत्तम मास की कथा
धर्म शास्त्रों में अधिकमास या मलमास को पुरूषोत्तम मास भी कहा गया है, और इसके संबंध में एक प्रचलित कथा का भी उल्लेख मिलता है। हिंदू धर्म कैलेंडर के हर माह किसी ना किसी देवता का प्रिय होता है, लेकिन अधिकमास में कोई देवता या भगवान अपनी पूजा नहीं करवाना चाहते थे। इसके पीछे देवताओं की भी अपनी वजह थी, क्योंकि यह मास तीन साल में एक बार आता है, इसलिए उस देवता को पूजा के लिए तीन साल इंतजार करना पड़ता। इस बात से दुखी अधिकमास भगवान विष्णु के पास अपनी परेशानी लेकर पहुंचा। भगवान विष्णु ने उनकी पूरी बात सुनी और फिर उस माह को धारण कर अपना नाम दिया। इसी कारण अधिकमास को पुरूषोत्तम मास भी कहा जाता है। इस महीने भगवान विष्णु की सच्चे मन से आराधना कर बैकुंठ धाम में प्रवेश किया जा सकता है।
गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम