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वसंत पंचमी (Vasant Panchami) का महत्व: विवाह के लिए सबसे शुभ दिन

वसंत पंचमी (Vasant Panchami) का महत्व: विवाह के लिए सबसे शुभ दिन

प्रकृति के सहज सौन्दर्य पर कवियों ने अनेक कविताएं लिखी हैं। एक अच्छी तरह से सजी हुई स्त्री किसी रानी की तरह खूबसूरत दिखती है। इसी प्रकार वसंत ऋतु में प्रकृति भी बहुत सुंदर दिखाई देती है, इसलिए इसे ऋतुओं की रानी कहा गया है। श्रीमद्भागवत गीता में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने वसंत ऋतु की व्याख्या की है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया है कि वसंत ऋतु समृद्धि का प्रतीक है। माघ मास की पंचमी तिथि से वसंत ऋतु की शुरुआत होती है। इस प्रकार वसंत पंचमी को हमारे शास्त्रों में अत्यधिक महत्वपूर्ण बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार vasant panchami (वसंत पंचमी) के दिन मां सरस्वती ने आदिशक्ति माता दुर्गा के शरीर से निकले श्वेत रंग के असीम तेज से अवतार लिया था, इसलिए छात्रों के लिए ज्ञान, कला और संगीत की देवी मां सरस्वती की पूजा करने के लिए यह सबसे अच्छा दिन माना जाता है। वसंत पंचमी शुभ कार्यों और विवाह के लिए भी एक उत्कृष्ट दिन है। इस पर्व को श्रीपंचमी और सरस्वती पंचमी के रूप में भी मनाया जाता है।

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vasant panchami त्यौहार से जुड़ी सबसे लोकप्रिय कथा महान कवि कालिदास की है। कथा के अनुसार कालिदास एक साधारण व्यक्ति थे और उन्होंने एक ऐसी राजकुमारी से विवाह करने के लिए छल किया था, जो उनका सम्मान नहीं करती थी। कालिदास अपने जीवन को समाप्त करना चाहते थे, लेकिन इससे पहले कि वह आत्महत्या कर पाते, देवी सरस्वती उनके सामने प्रकट हुईं और उन्हें नदी में डुबकी लगाने के लिए कहा। कालिदास को जैसा कहा गया था, उन्होंने वैसा ही किया और पानी से एक पुण्यात्मा और बुद्धिमान व्यक्ति के रूप में वे उभरे, और आगे चलकर एक सर्व प्रसिद्ध कवि बन गए। यही वजह है कि इस दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है, ताकि वह अपने भक्तों को ज्ञान का उपहार दे सकें।


अध्ययन व लेखन में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए और किसी भी बाधा या असफलता को दूर करने के लिए आप ” ॐ श्री सरस्वत्यै नम:” या “ॐ ऐं क्ली सौः श्री महासरस्वत्यै नम:” का जाप कर सकते हैं। विघ्नहर्ता भगवान गणेश जी की भी पूजा करें, इससे निश्चित ही लाभ होगा। जो जातक एकाग्रता की कमी से पीड़ित हैं, उन्हें नियमित रूप से “ओम ह्रीं ऐं ह्रीं ॐ सरस्वत्यै नमः” का जाप करना चाहिए। आप हर गुरुवार और रविवार को मां सरस्वती की पूजा करके और मां सरस्वती के “ॐ ऐं सरस्वत्यै नम:” मंत्र का 51 या 108 बार जाप करके भी ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। मां सरस्वती की उत्पत्ति सत्त्व गुण से हुई है और उन्हें सफेद चीजें बहुत प्रिय है, इसलिए दूध, दही, मक्खन, सफेद वस्त्र, चीनी, सफेद तिल और चावल के दाने जैसी सफेद वस्तुओं का दान या भोग लगाने से मां सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। इसके अलावा मां सरस्वती को पीले फूलों से सजाया जाता है और उनकी पूजा करते समय पीले रंग के कपड़े भी पहने जाते हैं।

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ज्योतिष की दृष्टि से भी यह दिन शादियों के लिए सबसे अच्छा दिन माना जाता है। इस अवधि के दौरान जैसे-जैसे मौसम बदलता है, हम अपने स्वास्थ्य में तेजी से बदलाव का अनुभव करते हैं। इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से पूरे वर्ष स्वास्थ्य अच्छा रहता है। नई चीजें खरीदने और निवेश करने के लिए भी इसे शुभ दिन माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नए कार्यों को शुरू करने के लिए भी यह दिन अच्छा माना जाता है।

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वसंत पंचमी 2 फरवरी 2025, रविवार को मनाई जाएगी।


पंचमी मुहूर्त: 09:14 से 12:11 बजे

पंचमी तिथि प्रारंभ: फरवरी 02, 2025 को 09:14 बजे

पंचमी तिथि समाप्त: फरवरी 03, 2025 को 06:52 बजे

मुहूर्त के दौरान मां सरस्वती की पूजा करना वास्तव में शुभ फलदायक होता है और आपको ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि प्राप्त करने में मदद करता है। आज ही पंचांग के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करें।

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गणेश जी की कृपा से,
गणेशास्पीक्स.कॉम टीम


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