वैशाख पूर्णिमा के दिन पूजन से नहीं होता है अकाल मृत्यु का भय
प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की पंद्रहवीं तिथि को पूर्णिमा होती है। इस तिथि का काफी धार्मिक महत्व है। चूंकि वैशाख मास को ही काफी पवित्र माना जाता है, इसमें भी वैशाख मास की पूर्णिमा काफी खास होती है। वैशाख पूर्णिमा को सत्य विनायक पूर्णिमा भी कहा जाता है। इसे महात्मा बुद्ध की जयंती यानी बुद्ध पूर्णिमा के तौर पर भी मनाया जाता है। इस दिन धार्मिक कार्य और दान आदि का काफी महत्व होता है। इस साल वैशाख पूर्णिमा का पावन उत्सव 12 मई 2025, सोमवार को मनाया जाएगा।
वैशाख पूर्णिमा का महत्व
वैशाख पूर्णिमा के दिन सत्य विनायक की पूजा के साथ ही धर्मराज की पूजा करने की भी मान्यता है। माना जाता है कि इससे धर्मराज प्रसन्न होते हैं और व्रती को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता। इतना ही नहीं इस व्रत के प्रभाव से दरिद्रता दूर होती है। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने भी अपने मित्र सुदामा को उनकी दरिद्रता दूर करने के लिए इस व्रत को करने को कहा था। व्रत के प्रभाव से ही सुदामा की दरिद्रता दूर हुई।
वैशाख पूर्णिमा व्रत और पूजन विधि
– पूर्णिमा के दिन सुबह स्नानादि के बाद भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
– पूजन के बाद ब्राह्मण को पानी से भरा घड़ा और पकवान आदि का दान करना चाहिए। माना जाता है कि इस दिन दान करने से गौदान के समान फल मिलता है।
– ब्राह्मण को भोजन कराने के बाद ही खुद अन्न ग्रहण करना चाहिए।
– मान्यता है कि वैशाख पूर्णिमा के दिन शक्कर और तिल दान करने से पाप नष्ट होते हैं।
– पुराणों के मुताबिक वैशाख मास का पूजा-उपासना के लिए काफी महत्व होता है।
वैशाख पूर्णिमा 2025
गणेशजी के आशीर्वाद सहित
भावेश एन पट्टनी
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम