होम » भविष्यवाणियों » त्योहार » महाशिवरात्रि पर शिव जी की पूजा कर के, करें उन्हें प्रसन्न

महाशिवरात्रि पर शिव जी की पूजा कर के, करें उन्हें प्रसन्न

महाशिवरात्रि पर शिव जी की पूजा कर के, करें उन्हें प्रसन्न

भगवान शिव एक बेहद प्रतिष्ठित हिंदू देवता हैं, जो त्रिदेव का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जिनको ब्रह्मा, विष्णु, महेश ”शिव” कहते हैं, क्रमशः निर्माता, पालक एवं विनाशक हैं। शिव का अर्थ कल्याण होता है। शिव केवल भगवान नहीं हैं, बल्कि उनको पंचदेव पूजन में प्रमुख देव के रूप में देखा जाता है। शिव महिमा स्तोत्र में बहुत बेहतर तरीके से उनके बारे में बतौर अजन्मे, अस्तित्व, निर्माता, पालक एवं विध्वंसक का उल्लेख किया हुआ है।

ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव हिमालय की गोद में स्थित कैलाश पर्बत पर निराकार, कालातीत रहते हैं। लिंग शिव की बेडौल प्रकृति का प्रतीक है। हिन्दु समाज में शिव की मूर्ति एवं शिवलिंग दोनों की पूजा की जाती है, क्योंकि ये दोनों ही शिव जी के प्रतीक हैं। भगवान शिव की भक्तों द्वारा पूरी श्रद्धा के साथ पूजा अर्चना की जाती है। कहते हैं कि भगवान शिव को खुश करना बहुत आसान है एवं उनकी कृपा आपको असीम शक्ति प्रदान करती है। एक मत यह भी है कि शिव की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। भगवान शिव से ‘ओम’ की उत्पत्ति हुई है। इसलिए ओम का उच्चारण भगवान शिव की पूजा कहलाता है। महाशिवरात्रि, भारतीय महोत्सवों में से एक है, इसको हिन्दु समाज बहुत श्रद्घा व उल्लास से मनाता है। महाशिवरात्रि, का शब्दिक अर्थ शिव की रात है, इस महोत्सव को उस दिन मनाया जाता है, जिस दिन भगवान शिव ने मां पार्वती से विवाह रचाया था। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को शिवरात्रि पर्व मनाया जाता है, हालांकि इंग्लिश कैलेंडर के हिसाब से फरवरी या मार्च में मनाया जाता है। इस मौके पर शिव भक्त उपवास रखते हैं एवं मंदिरों व घरों में शिव पूजा होती है। इस तरह का विचार है कि इस दिन शिव की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस मौके पर भगवान गणेश, जो शिव-पार्वती पुत्र हैं, अपने पिता शिव की महिमा गाते हैं।

दंत कथा
महाशिवरात्रि के संदर्भ में बहुत दिलचस्प कथाएं पुराने हिन्दु ग्रंथों में दर्ज हैं, जो महाशिवरात्रि को मनाने के लिए कारण रखती हैं एवं उसके महत्व को दर्शाती हैं। पुराणों के अनुसार सागर के महान पौराणिक मंथन के दौरान प्याला ज़हर का सबसे पहले बाहर आया था। इसको देखने के बाद देव एवं राक्षस घबरा गए थे। इस विष में पूरी दुनिया को समाप्त करने की शक्ति थी। इसको कोई भी छूने के लिए तैयार नहीं था, सब इसे देखकर पीछे हट गए एवं किसी को समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या किया जाए। किसी ने कहा, इस कठिन परिस्थिति में केवल महादेव यानि शिव भगवान ही बेड़ा पार लगा सकते हैं। सभी भगवान शिव के द्वार पर पहुंचे एवं शिव भगवान को निवेदन किया, जिसके बाद शिव भगवान विष पीने के लिए तैयार हो गए। हालांकि, ज़हर बहुत घातक था, अगर एक बूंद भी शिव के पेट में चली जाती तो अनर्थ हो जाता। शिव का पेट विश्व को परिभाषित करता है और इसलिए यह ज़हर पूरी दुनिया का सत्यानाश कर सकता था।

कहते हैं कि विष पीने के बाद शिव ने विष को अपने गले से नीचे नही उतारा एवं विष ने अपने प्रभाव से उनके गले को नीला कर दिया, जिसके बाद उनको नीलकंठ नाम से भी पुकारा जाने लगा। महाशिवरात्रि पर्व इसलिए भी मनाया जाता है कि शिव ने पूरा ज़हर पीकर पूरे विश्व की रक्षा की।

एक दूसरी दंतकथा ऐसी है कि ब्रह्मा व विष्णु एक दूसरे से तर्क वितर्क कर रहे थे कि दोनों में कौन अधिक शक्तिशाली है। तभी अचानक उनके सामने एक विशाल अग्नि की लपटों से घिरा हुआ शिवलिंग प्रकट हुआ, दोनों देव पूरी तरह चकित एवं अभिभूत हुए। उन्होंने इसकी ऊंचाई का पता लगाने के लिए ऊपर देखा, लेकिन दोनों देव इसका शिख़र देखने में असफल रहे, एवं यह अनंत में फैला हुआ प्रतीत हो रहा था। इसमें से शिव भगवान प्रकट हुए एवं कहा कि तीनों में से मैं सबसे अधिक शक्तिशाली हूं। इसलिए शिवलिंग की पूजा की जाती है।

इस तरह की भी एक दंत कथा है कि अगर आप अनजाने में भी महाशिवरात्रि के दिन उपवास रखते हैं तो इसके आप को बहुत लाभ मिलते हैं। कहते हैं कि एक शिकारी शिकार के लिए जंगल में गया। शिकारी जंगल में बिलवा पत्र के पेड़ पर चढ़कर बैठ गया (बिलवा पत्र से शिव को बेहद प्यारा है), एवं शिकार का इंतज़ार करने लगे। उसको ख़बर न थी कि पेड़ के नीचे शिवलिंग स्थापित है, एवं न ही उसको महाशिवरात्रि का ध्यान था। शिकारी पत्ते तोड़ तोड़ शिवलिंग पर गिराता रहा। दिन की पहली तिमाही के दौरान शिकारी ने एक हिरण को पानी पीने के लिए आते देखा, उसने शिकार करने की कोशिश की, तो हिरण ने अपने बच्चों का वास्ता दिया, शिकारी को दया आयी, उसने हिरण को जाने दिया एवं उसके बाद हिरण का बच्चा आया, शिकारी ने शिकार करने का मन छोड़ दिया। पेड़ पर बैठा शिकारी खाली पेट शिवलिंग पर तोड़ तोड़ पत्ते गिराता रहा। जब पूरा दिन गुज़र गया तो भगवान शिव स्वयं उस के सामने प्रकट हुए एवं उसको मोक्ष की प्राप्ति हो गयी।

पूजा
शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव ने एक बार कहा था कि जो महाशिवरात्रि पर्व पर उनकी एवं मां पार्वती की मूर्ति की पूजा करते हैं, वे उनको उनके पुत्र कार्तिक से भी अधिक प्रिय होंगे। भगवान शिव की अपार कृपा आप के जीवन को बदलकर रख देती है। इसके कारण शिव के भक्त महाशिवरात्रि के मौके पर बहुत सख्ती से उपवास रखते हैं, कुछ भक्त तो पानी की एक बूंद तक नही पीते। शिव भक्त पूरी निष्ठा के साथ परंपरा एवं रीति रिवाजों का पालना करते हुए उपवास रखते हैं, उनको विश्वास है कि निष्ठावान भक्तों की शिवजी सुनेंगे एवं उनको जन्म मरण के चक्र से मुक्त करेंगे, जिसको मोक्ष भी कहते हैं। कुंवारी युवतियां शिव की पूजा करती हैं एवं शिवजी जैसा पति चाहती हैं, हालांकि विवाहित महिलाएं अपने पति की खैर एवं सलामती के लिए दुआ करती हैं।

इस दिन शिव भक्त सुबह जल्दी उठ जाते हैं। स्नान करने के बाद साफ सुथरे कपड़े पहनकर आस पास बने किसी मंदिर में जाते हैं, एवं शिवलिंग को दूध, मधु व पानी आदि के साथ स्नान करवाते हैं। बेलवा पत्र भी मंत्र जाप करते हुए शिव को अर्पित किए जाते हैं। दिन रात शिवजी के मंत्र ‘ओम नम: शिवाय’ का जाप किया जाता है। उसकी अगली सुबह भक्त अपना उपवास खोलते हैं।

महाशिवरात्रि के मौके पर भगवान शिव की पूजा एवं उपवास रखने के लिए कुछ तरीके:

समय
पहले पहर : तिल, जैव, कमल, बिलवा पत्र
दूसरे पहर : विजोर फल, नींबू, खीर
तीसरे पहर : तिल, आटा, मालपौहा, अनार, कपूर
चौथे : उड़द, जैव, मूंग, शंखीपुष्प, बिलवा पत्र एवं उड़द के पकौड़े दिन के अंत में चढ़ाएं।

भगवान शिव की पूजा के लाभ

  • भगवान शिव का अभिषेक करने से आत्मा की शुद्धि होती है।
  • शिव की महाशिवरात्रि के मौके पर पूजा करने से सुखी एवं लम्बा जीवन प्राप्त होता है।
  • ज्योत जगाने से जीवन में ज्ञान का प्रकाश होता है।
  • शिव भगवान को तंबुल चढ़ाने से सकारात्मक नतीजे मिलते हैं।
  • शिवलिंग को दूधाभिषेक करवाने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  • शिवजी को दही से स्नान करवाने पर आप को वाहन सुख प्राप्त होता है।
  • भगवान शिव को पानी में मिलाकर दरबा चढ़ाने से रोगों से मुक्ति मिलती है।
  • अगर आप शहद, घी व गन्ना शिव को चढ़ाते हैं तो शिवजी आप को धन दौलत देंगे।
  • अगर आप भगवान शिव को गंगा जल से स्नान करवाते हैं तो आप को मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है।

कुछ विशेष मंत्र भगवान शिव की पूजा के लिए :
कहा जाता है कि अगर मंत्रों का जाप किसी मंदिर में या शिव भगवान की मूर्ति की उपस्थिति में किया जाए तो यह आप को मोक्ष के द्वार तक लेकर जा सकता है। इस बात को अपने ध्यान में रखें कि अगर आप पूरी निष्ठा एवं श्रद्घा के साथ महाशिवरात्रि के मौके पर उपवास रखते हैं तो आप को बहुत सारे लाभ मिलते हैं। शिव की अपार कृपा आप को खुशहाल बना देगी।

गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
धर्मेश जोशी
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम

Exit mobile version