रामनवमी पर मनोकामना पूर्ति के लिए जपें ये चौपाइयां
गोस्वामी तुलसीदास रचित श्रीरामचरितमानस एक आदर्श ग्रंथ है। रामचिरतमानस के नियमित पाठ से मानसिक शांति मिलने के साथ ही सारी बाधाओं का भी शमन होता है। रामचरितमानस की बात करें, तो इसमें राम शब्द 1443 और सीता शब्द 147 बार आया है। इसमें श्लोकों की संख्या 27, चौपाई संख्या 4608 है, दोहों की संख्या 1074 है, सोरठा की संख्या 207 है और छन्दों की संख्या 86 है। रामचरितमानस की चौपाइयों के जाप से सभी तरह की मनोकामना पूरी होती है। रामनवमी के पावन पर्व पर ऐसी ही कुछ चौपाइयां जिनसे जीवन की सभी परेशानियों का छुटकारा मिल सकता है। इस साल 2021 में राम नवमी 21 अप्रेल को मनाई जाएगी।
अलग-अलग काम के लिए रामचरितमानस की अलग चौपाइयां
वैसे तो रामचरितमानस की चौपाई का पाठ कभी भी किया जा सकता है, लेकिन नवरात्रि में इसका विशेष महत्व है। राम नवमी पर इसकी चौपाई और दोहों के पाठ से इच्छापूर्ति होती है। सारी बाधाओं और परेशानियों का शमन होता है। यहां हम ऐसे ही कुछ दोहे और चौपाइयों की बात करेंगे, जिनके पाठ से काफी लाभ ही लाभ होता है। इन चौपाइयों हनुमान चालीसा के साथ भी पढ़ा जा सकता है। चौपाइयों के कम से कम 108 जाप अवश्य करें।
मनोकामनाओं की पूर्ति एवं सभी बाधाओं के निवारण के लिए
कवन सो काज कठिन जग माही।
जो नहीं होइ तात तुम पाहीं।।
विवाह के लिए
तब जनक पाई वसिष्ठ आयसु ब्याह साज संवारि कै।
मांडवी श्रुतकी रति उरमिला कुंअरी लई हंकारी कै।।
भय और संशय निराकरण के लिए
रामकथा सुन्दर कर तारी।
संशय बिहग उड़व निहारी।।
अनजान स्थान पर भय दूर करने के लिए इस मंत्र को पढ़कर रक्षारेखा खींचे
मामभिरक्षय रघुकुल नायक।
धृतवर चाप रुचिर कर सायक।।
विपत्ति नाश के लिए
राजीव नयन धरें धनु सायक।
भगत बिपति भंजन सुखदायक।।
रोग तथा उपद्रवों की शांति हेतु
दैहिक दैविक भौतिक तापा।
राम राज नहिं काहुहिं ब्यापा।।
अकाल मृत्यु निवारण के लिये
नाम पाहरु दिवस निसि ध्यान तुम्हार कपाट।
लोचन निज पद जंत्रित जाहिं प्रान केहि बाट।।
आजीविका प्राप्ति या वृद्धि हेतु
विस्व भरन पोषन कर जोई।
ताकर नाम भरत अस होई।।
विद्या प्राप्ति के लिए
गुरु गृह गए पढ़न रघुराई।
अल्पकाल विद्या सब आई।।
संपत्ति प्राप्ति के लिए
जे सकाम नर सुनहिं जे गावहिं।
सुख संपत्ति नानाविधि पावहिं।।
शत्रु नाश के लिए
बयरू न कर काहू सन कोई।
रामप्रताप विषमता खोई।।
रामायण का सबसे बडा मंत्र
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे। सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने॥
इस मंत्र को ह्रदय में रखने से संसार की सभी अमूल्य निधियां आपकी दासी बन जाएंगी। किसी प्रकार का डर, भय, गरीबी, अपमान आदि का सहन नहीं करना पडेगा।
गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम
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