रामनवमी का त्योहार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के जन्म से जुड़ा है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भगवान विष्णु ने श्री राम के रुप में राजा दशरथ के यहां माता कौशल्या के गर्भ से जन्म लिया था। इसी कारण इस तिथि को रामनवमी के रुप में मनाया जाता है। हमारे देश के लिए राम नवमी का विशेष महत्व है। इस साल राम नवमी 06 अप्रेल 2025 को मनाया जाएगा। हालांकि नवरात्रि 07 अप्रेल को समाप्त हो रही है, इसलिए राम नवमी 06 अप्रेल को भी मनाई जाएगी। आप इस दिन रामनवमी पूजन रविवार को कर सकते हैं। इसी दिन से गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्री राम चरितमानस की रचना शुरू की थी।
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भगवान श्री राम के जन्म से जुड़ी पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम का अवतार त्रेता युग में हुआ था। अयोध्या के राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया और यज्ञ से प्राप्त खीर की। दशरथ ने अपनी प्रिय पत्नी कौशल्या को दे दिया। कौशल्या ने उसमें से आधा हिस्सा कैकेयी को दिया इसके बाद दोनों ने अपने हिस्से से आधा-आधा खीर तीसरी पत्नी सुमित्रा को दे दिया। इस खीर के सेवन से चैत्र शुक्ल नवमी को पुनर्वसु नक्षत्र एवं कर्क लग्न में माता कौशल्या की कोख से भगवान श्री राम का जन्म हुआ इसी तरह कैकेयी से भरत तो सुमित्रा ने लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया।
ऐसे मनाते हैं राम नवमी
रामनवमी के दिन की शुरुआत सूर्य देव की आराधना के साथ होती है। सूर्य शक्ति का प्रतीक हैं और हिन्दू मान्यता के मुताबिक सूर्य देव को भगवान श्रीराम का पूर्वज माना जाता है। रामनवमी चैत्र नवरात्र में पड़ती है और यह दिन चैत्र नवरात्रि का समापन दिन भी होता है। देश के विभिन्न हिस्सों में कई रिति रिवाजों के मुताबिक राम नवमी की पूजा होती है। भगवान श्री राम को मर्यादा का प्रतीक माने जाने के साथ ही उन्हें श्रेष्ठ पुरुष की संज्ञा दी जाती है। वे किसी के साथ कोई भेद-भाव नहीं करते हैं। इस दिन लोग भजन कीर्तन करते हैं और रामकथा सुनते हैं। इस दिन रामचरित मानस का पाठ भी करवाया जाता है। मान्यता है कि राम नवमी के दिन उपवास रखने से सुख समृद्धि आती है और पाप और बुराइयों का नाश होता है।
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रामनवमी 2025
रामनवमी पूजा मुहूर्त – 10:45 AM से 01:14 PM
अवधि – 2 घंटे 29 मिनट
राम नवमी मध्याह्न क्षण – 12:00 PM
नवमी तिथि का प्रारंभ – अप्रैल 05, 2025 को 19:26 बजे
नवमी तिथि का समापन – अप्रैल 06, 2025 को 19:22 बजे
रामरक्षा स्तोत्र का पाठ करें
राम रक्षा स्तोत्र अत्यधिक चमत्कारी स्तोत्र है। भगवान शंकरने बुधकौशिक ऋषि को सपने में दर्शन देकर रामरक्षा स्तोत्र का पाठ सुनाया। प्रात:काल उठने पर उन्होंने वह लिख लिया। यह स्तोत्र संस्कृत भाषा में है। इस स्तोत्र के नित्य पाठ से घर की सर्व पीड़ा और भूतबाधा भी दूर होती है । जो इस स्तोत्रका पाठ करता है। वह दीर्घायु, सुखी, संतानवान, विजयी तथा विनयसंपन्न होता है। रामनवमी से इस स्तोत्र के पाठ का संकल्प करना चाहिए।
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गणेशजी के आशीर्वाद सहित
भावेश एन पट्टनी
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम
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