2019 में चुके तो 2021 तक करना होगा पौष अमावस्या का इंतजार
वैदिक पंचांग के अनुसार पौष माह में कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को पौष अमावस्या कहते हैं। पौष माह में सूर्यदेव की उपासना का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार अमावस्या तिथि के दिन कई धार्मिक कार्य किये जाते हैं। पितरों की आत्मा की शांति के लिए इस दिन तर्पण व श्राद्ध किया जाता है। पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए भी इस दिन उपवास रखा जाता है।
2019 में पौष माह में पड़ रही दो अमावस्या
किसी भी साल पौष अमावस्या का संयोग काफी दुर्लभ होता है। किसी साल पौष मास में दो-दो अमावस्या तिथि पड़ती हैं, तो किसी साल एक भी नहीं। ऐसे में वर्ष 2019 में यह खास संयोग बन रहा है। वर्ष 2019 में पौष अमावस्या दो-दो बार यानी 5 जनवरी और 26 दिसंबर को पड़ रही है, जो एक दुर्लभ संयोग है। खास बात यह है कि वर्ष 2020 के पौष माह में तो अमावस्या की तिथि ही नहीं पड़ रही है। ऐसे में पौष अमावस्या पर अगर अापको कोई विशेष उपाय करने हैं तो एक साल इंतजार करने की बजाय 2019 में ही कर लें। अगर चूक गए तो अापको वर्ष 2021 तक इंतजार करना पड़ेगा। वर्ष 2021 में बुधवार 13 जनवरी को पौष अमावस्या पड़ेगी।
पौष अमावस्या के दिन होने वाले धार्मिक कर्मकांड
1. पौष अमावस्या पर पितरों को तर्पण करने का विशेष महत्व है। इस दिन नदी, जलाशय या कुंड में स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देें। इसके बाद पितरों का तर्पण करें।2. तांबे के पात्र में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल रंग के फूल डालकर सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए।3. पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करें और किसी गरीब व्यक्ति को दान दें।4. जिनकी कुंडली में पितृ दोष और संतान हीन योग है, उन्हें पौष अमावस्या के दिन उपवास कर पितरों का तर्पण अवश्य करना चाहिए।5. अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ का पूजन करना चाहिए। तुलसी के पौधे की परिक्रमा करनी चाहिए।6. पौष अमावस्या का व्रत करने से पितरों को शांति मिलती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
पौष अमावस्या का महत्व
पौष मास को बहुत ही पुण्य फलदायी बताया गया है। धार्मिक और आध्यात्मिक चिंतन-मनन के लिए यह माह श्रेष्ठ होता है। पौष अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए उपवास रखने से पितृगण के साथ ही ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, वायु, ऋषि, पशु-पक्षी भी तृप्त होते हैं।
श्रीगणेशजी के आशीर्वाद के साथ
गणेस्पीक्स डॉट कॉम/ हिंदी
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03 Jan 2019