एक चंद्र वर्ष में कुल 12 शिवरात्रि आती हैं, हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि मनायी जाती है। मान्यता है कि महीने की इस रात को साधक या उपासक सीधे भगवान शिव की कृपा प्राप्त कर सकता है। साल फल्गुन माह में आने वाली चतुर्दशी को महाशिवरात्रि के रूप में पूजा जाता है और इस दिन शिव की भक्ति और आराधना से जुड़ी कई कथाएं और मान्यताएं जुड़ी है। महाशिवरात्रि को सभी शिवरात्रियों में अधिक मान्यता प्राप्त है, कुछ ज्योतिषीय विद्वानों और साधकों के अनुसार इस दिन पृथ्वी कुछ ऐसी विशेष स्थिति में होती है कि साधना और प्रभु की भक्ति के माध्यम से व्यक्ति की चेतना सीधे भगवान शिव से जुड़ सकती है। इस वर्ष महाशिवरात्रि 2025, बुधवार के दिन 26 फरवरी को आने वाली है। वहीं 2025 में सभी महीनों में मासिक शिवरात्रि की तारीख अलग-अलग है।
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मासिक शिवरात्रि क्या है?
मासिक शिवरात्रि क्या है और शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? एक ही सवाल के दो अलग अलग पक्ष है। जैसा की हमने ऊपर बताया कि शिवरात्रि शिव की महान रात्रि को कहा जाता है, जो हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। मान्यताओं के अनुसार शिवरात्रि को ही भगवान शिव पहली बार शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे, कहा जाता है शिवलिंग के रूप में भगवान शंकर पहली बार प्रकट हुए थे। ईशान पुराण के अनुसार फाल्गुन के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन भगवान शंकर पहली बार प्रकट हुए, जिसे हम महाशिवरात्रि के रूप में मनाते हैं। इसी क्रम को आगे बढ़ाने पर हमारे कुछ ज्योतिष और मुनियों ने यह जाना कि हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी भगवान शिव की आराधना और साधना के लिए सबसे उपयुक्त होता है। हर चंद्र मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है।
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मासिक शिवरात्रि की तारीखें 2025
तारीख | समय | नक्षत्र |
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27 जनवरी 2025, सोमवार | आरंभ – 20:34, 27 जनवरी समाप्त – 19:35, जनवरी 28 | मूला |
26 फ़रवरी 2025, बुधवार | आरंभ – 11:08, 26 फरवरी समाप्त – 08:54, फरवरी 27 | श्रवण |
27 मार्च 2025, गुरुवार | आरंभ – 23:03, 27 मार्च समाप्त – 19:55, मार्च 28 | शतभिषा |
26 अप्रैल 2025, शनिवार | आरंभ – 08:27, 26 अप्रैल समाप्त – 04:49, अप्रैल 27 | उत्तरा भाद्रपद |
25 मई 2025, रविवार | आरंभ – 15:51, 25 मई समाप्त – 12:11, 26 मई | अश्विनी |
23 जून 2025, सोमवार | आरंभ – 22:09, 23 जून समाप्त – 18:59, 24 जून | कृत्तिका |
23 जुलाई 2025, बुधवार | प्रारंभ – 04:39, 23 जुलाई समाप्त – 02:28, जुलाई 24 | आर्द्रा |
21 अगस्त 2025, गुरुवार | आरंभ – 12:44, 21 अगस्त समाप्त – 11:55, 22 अगस्त | पुष्य |
20 सितम्बर 2025, शनिवार | प्रारम्भ – 23:36, सितम्बर 19 समाप्त – 00:16, सितम्बर 21 | माघ |
19 अक्टूबर 2025, रविवार | आरंभ – 13:51, 19 अक्टूबर समाप्त – 15:44, अक्टूबर 20 | उत्तरा फ़ाल्गुनी |
18 नवंबर 2025, मंगलवार | आरंभ – 07:12, 18 नवंबर समाप्त – 09:43, नवम्बर 19 | स्वाति |
18 दिसंबर 2025, गुरुवार | आरंभ – 02:32, दिसंबर 18 समाप्त – 04:59, दिसम्बर 19 | अनुराधा |
शिवरात्रि पूजा विधि
शिवरात्रि या मासिक शिवरात्रि का पूजा विधान इस दिन से एक दिन पहले यानी त्रयोदशी के दिन से शुरू हो जात है। त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा आराधना करें और मासिक शिवरात्रि व्रत का संकल्प लें। चतुर्दशी के दिन निराहार रहकर व्रत करें और भगवान शिव का किसी पवित्र नदी का जल चढ़ाएं। फिर पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें और शिवपंचाक्षर मंत्र ओम नमः शिवाय का जाप करते हुए पूजा करें। दिन बीत जाने के बाद रात्रि के चारों पहर में शिव की पूजा करें और अगले दिन सुबह जरूरतमंद लोगों को भोजन या दान दक्षिण देकर अपना व्रत का पारण करें।
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शिवरात्रि पूजा सामग्री
भगवान शिव की पूजा में उपयोग आने वाली चीजें प्रभु की तरह की सामान्य और सरल हैं। भगवान शिव की पूजा के लिए व्यक्ति को सुगंधित पुष्प, बिल्वपत्र, भांग, धतूरा, गन्ने का रस, शुद्ध देशी घी, दही, शहद, पवित्र नदी का जल, बेर, जौ की बालें, तुलसी दल, गाय का कच्चा दूध, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, इत्र, पंच फल पंच मेवा, मौली जनेऊ, पंच रस, गंध रोली, वस्त्राभूषण रत्न, पंच मिष्ठान्न, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री, सोना, दक्षिणा, चांदी, पूजा के बर्तन और आसन आदि।
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मासिक शिवरात्रि का महत्व
शिव महिमा से संबंधित कई पौराणिक ग्रंथों में मासिक शिवरात्रि के महत्व और उससे संबंधित लाभों का उल्लेख मिलता है। मान्यताओं के अनुसार मासिक शिवरात्रि को बेहद प्रभावशाली माना गया है। इस दिन उपवास रखने और भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा आराधना करने से सारी मनुष्य की सभी मनोमनाएं पूरी होती है। शिवरात्रि व्रत कथा में बताया गया है कि इस व्रत को रखने और विधि विधान के साथ प्रभु की पूजा करने वाले लोगों के जीवन की सभी समस्याएं स्वतः ही दूर हो जाती है। मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत करने वाले लोगों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। यदि किसी व्यक्ति को विवाह में बाधाएं आ रही हो तो उसकी सभी परेशानियां मासिक शिवरात्रि के उपवास से दूर हो जाती हैं। मासिक शिवरात्रि के दिन शिव चालीसा पढ़ने का भी बहुत महत्व होता है। शिव चालीसा के पठन से शरीर में पैदा होने वाली तरंगे व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक समस्याओं से बचाने का काम करती है।
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