हिन्दू धर्म में किसी भी धार्मिक कार्य के लिए शुभ मुहूर्त का बेहद महत्व होता है। लेकिन अक्षय तृतीया के दिन बिना पंचांग या मुहूर्त देखें भी कोई शुभ कार्य किया जा सकता है। इस साल अक्षय तृतीया शनिवार, 22 अप्रैल 2023 को मनाई जायेगी। अक्षय जिसका अर्थ होता है अन्नत और तृतीया तिथि अर्थात पंद्रह दिनों के पखवाडे का तीसरा दिन। अर्थात यह वैषाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया अपने ज्योतिषीय और पौराणिक महत्व के कारण अक्षय है। इसीलिए अक्षय तृतीया तिथि और मुहूर्त का विषेष महत्व है। अक्षय तृतीया के दिन शादी, सगाई, ग्रह प्रवेष अथवा व्यापार व्यवसाय की शुरूआत करने के लिए विषेष मुहूर्त की आवष्यकता नहीं होती। इसके अतिरिक्त धार्मिक अनुष्ठान और दान धर्म के कार्यों का चैगुना पुण्य प्राप्त होता है। अक्षय तृतीया का संबंध आज से सनातन धर्म के युगों की शुरूआत भी माना गया है। अक्षय तृतीया भारत में ही नहीं बल्कि एषिया महाद्वीप के कुछ अन्य हिस्सों में भी अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी अक्षय तृतीया का बहुत अधिक महत्व है।
अक्षय तृतीया या अखा तीज का ज्योतिषीय महत्व
हिंदू धर्म के अधिकांश त्योहारों का मूल ज्योतिषीय महत्व से जुड़ा हुआ है। लेकिन सामान्य जनमानस के लिए इन ज्योतिषीय घटनाक्रम को समझना एक जटिल कार्य है। शायद इसीलिए महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटनाक्रमों को कथाओं के रूप में लोगों तक पहुंचाने का कार्य किया गया हो। अक्षय तृतीया या अखा तीज के पीछे भी गहरा ज्योतिषीय घटनाक्रम मौजूद है। हिंदू माह वैशाख के उज्जवल पखवाड़े अर्थात शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन जब सूर्य और चंद्रमा अपनी उज्जवलता के चरम बिंदु पर होते है तब अक्षय तृतीया का त्योहारों मनाया जाता है।
अक्षय तृतीया से जुड़ी पौराणिक कथाएं एवं महत्व
अक्षय तृतीया के संबंध में कई पौराणिक मन्यताएं और कथाएं प्रचलित है। इनमें भगवान परशुराम के जन्म से संबंधित कथा, त्रेता युग की शुरूआत, कृष्ण सुदामा भेट और धर्मदास वैश्य की कहानियां महत्वपूर्ण है।
1. परशुराम जन्म – स्कंद पुराण के अनुसार वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन ही भगवान विष्णु ने परशुराम के रूप में जन्म लिया था। देश के कई हिस्सों खासकर दक्षिण भारत में परशुराम जयंती खूब धूम – धाम और हर्षोल्लास के साथ मनायी जाती है।
2. सतयुग व त्रेता युग की शुरूआत – भविष्य पुराण के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन ही सतयुग की शुरूआत हुई और उनके बाद त्रेता युग की शुरूआत भी इसी दिन से मानी गई है। मान्यता के अनुसार महाभारत का अंत भी इसी दिन हुआ था।
3. कृष्ण-सुदाम भेंट – मान्याताओं के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान श्री कृष्ण और सुदामा की पुनः मुलाकात हुई थी। सुदामा कृष्ण के गुरू भाई थे और कृष्ण के प्रिय मित्र भी, गुरूकुल से बिछड़ने के बाद पहली बार सुदामा और कृष्ण की भेंट इसी दिन हुई।
4. बद्रीनाथ के कपाट – अक्षय तृतीया के दिन ही बद्रीनाथ मंदिर के कपाट पुनः भक्तों के लिए खोल दिए जाते है। इसी दिन से भक्त पुनः भगवान लक्ष्मी नारायण के दर्शन कर पुण्य प्राप्त कर सकते है।
5. जैन धर्म में विशेष महत्व – अक्षय तृतीया जैन धर्म के प्रमुख धार्मिक पर्वों में से एक है। जैन धर्म ग्रन्थों के अनुसार इसी दिन जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर भगवान ऋषभदेव ने अपनी तपस्या की शुरूआत की और ठीक एक साल बाद अक्षय तृतीया के दिन ही उन्होंने अपनी तपस्या पूर्ण की थी। इसके बाद उन्होंने इक्षु रस (गन्ना रस) से परायण किया था।
अक्षय तृतीया पूजा विधि
अक्षय तृतीया ज्योतिषीय और पौराणिक दोनों ही तरह से महत्वपूर्ण तिथि है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया जप, तप और दान अक्षय फल देने वाला होता है। अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु की आराधना का विशेष महत्व है। घर की महिलाएं इस दिन अपने परिवार की समृद्धि के लिए उपवास रख सकती है। सुबह के पहले चरण में स्नान आदि कर भागवान विष्णु की प्रतिमा पर चावल चढ़ाना चाहिए। फूल, धूप और दीप, चंदन से भगवान की पूजा करनी चाहिए। नैवेद्य के रूप में जौ, गेहूं, सत्तू, ककड़ी, चने आदि अर्पण करने चाहिए। अक्षय तृतीया के दिन इन चीजों के दान का विशेष महत्व है इनमे फल, फूल, वस्त्र, गोधन, भूमि, बर्तन, जल भरे घड़े, चप्पल, नमक, घी, चीनी आदि शामिल है। अक्षय तृतीया के दिन सत्तू का सेवन अवश्य रूप से करना चाहिए।
अक्षय तृतीया पर नई वस्तओं की खरीदी का विशेष महत्व
अक्षय तृतीया के दिन कुछ विशेष चीजें खरीदने का खास महत्व माना गया है। इन वस्तुओं में सोने – चांदी के आभूषण, वाहन, मकान, आदि शामिल है। मान्यता के अनुसार इस दिन खरीदी गई वस्तुएं अपने साथ अधिक वैभव और सुख – समृद्धि लेकर आती है, और इनकी मात्रा में लगातार वृद्धि होती रहती है।
यदि आप भी 2023 अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने की तैयारी कर रहे हैं, तो इन बातों का ध्यान रखें। अगर आप सोने का कोई गहना खरीद रहे हैं तो उसकी शुद्धता के बारे में जरूर पता लगाएं। 24 कैरेट गोल्ड सबसे शुद्ध होता है, लेकिन गहने सदैव 22 या 18 कैरेट सोने से ही बनते हैं। हमेशा हॉल मार्क वाले गहने ही खरीदें। हालांकि हाॅलमार्क वाले गहने थोड़े महंगे हो सकते है, क्योंकि इन गहनों के मूल्य में परीक्षण की लागत को भी शामिल किया जाता है। आपकों गहनों के मेकिंग चार्ज के बारे में भी पता करना चाहिए।
गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम