गणाधिपति गणेश को गणों का ईश अर्थात गणों के भगवान के रूप में पूजा जाता है। वे प्रथम पूज्य देव हैं। हिंदू धर्म में कोई भी मांगलिक कार्य भगवान गणेश की पूजा से ही शुरू होता है। देश में हर साल भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष चतुर्थी को गणेश चतुर्थी महापर्व मनाया जाता है। इस साल 2025 में गणेश चतुर्थी 27 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी। चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक भगवान गणेश की विशेष पूजा और आराधना की जाती है। देश में दस दिन तक गणेश उत्सव मनाया जाता है। मप्र, गुजरात, महाराष्ट्र और खासकर मुंबई में गणेश उत्सव की विशेष धूम रहती है। लेकिन इसके बावजूद कई लोगों को गणेश उत्सव का महत्व या गणेश उत्सव क्यों मनाया जाता है इस संबंध में अधिक जानकारी नहीं होती। अपने पाठकों की इसी जिज्ञासा को पूरा करने के लिए हमने इन सभी सवालों के जवाब आप तक पहुंचाने का प्रयास किया है।
गणेश चतुर्थी कब और क्यों मनाई जाती है?
शिव पुराण और गणेश पुराण के अनुसार भाद्र माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेशजी का जन्म हुआ था। देश में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान लोगों में एकजुटता पैदा करने के उद्देश्य से लोकमान्य तिलक ने देश में गणेशोत्सव की शुरुआत की। इसके बाद से शुरु हुए इस पर्व पर घर-घर दस दिनों तक गणेशजी की स्थापना होने लगी। हिंदू धर्म कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद महीने की शुल्क चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। शिव पुराण के चतुर्थ खंड में बताया गया है कि माता पार्वती ने अपने अंग रक्षक के तौर पर भगवान गणेश को अपने शरीर पर लगे उबटन के लेप से तैयार किया और फिर उनमें प्राण फूंके। तभी से भाद्रपद माह की चतुर्थी को भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
दस दिन क्यों चलता है गणेशोत्सव?
गणेश चतुर्थी को भगवान गणेश का जन्म हुआ इसीलिए इस दिन उनकी पूजा की जाती है। लेकिन गणेश जन्म उत्सव दस दिनों तक क्यों चलता है? इसका जवाब कई पौराणिक ग्रंथों में अलग-अलग देखने को मिलता है। लेकिन इनमें सबसे प्रचलित और मान्य कथा का संबंध महाभारत से है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जब वेदव्यास को महाभारत का ज्ञान हुआ तो उसे लिखित रूप देने के लिए उन्हे किसी महा विद्वान की जरूरत थी जो उनके शब्दों के उच्चारण को शब्दशः लिख सके। वे बोलते हुए विश्राम नहीं कर सकते थे, अन्यथा महाभारत का वह ज्ञान लुप्त हो जाता। इसके लिए तीनों लोक में सबसे उपयुक्त व्यक्ति थे भगवान गणेश। उन्होंने वेद व्यास का अनुरोध स्वीकारा और भाद्रपद की शुक्ल चतुर्थी से चतुर्दशी तक दस दिन लगातार महाभारत का लेखन किया। लेकिन निरंतर दस दिनों तक लेखन करने के कारण उनके शरीर का तापमान बेहद बढ़ गया, इसलिए वेद व्यास ने गणेश को पास ही में बने कुंड में स्नान करवाया! इससे उनका तापमान सामान्य हो गया। वेद व्यास और महाभारत से जुड़े इसे वाक्ये के कारण गणेश उत्सव दस दिनों तक जारी रहता है और दस दिनों के बाद गणेश जी की मूर्ति को जल में विसर्जित कर दिया जाता है।
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गणेश स्थापना मुहूर्त और विधि
देश के कई हिस्सों में गणेश उत्सव के इस दिनों के इस काल खंड को सुविधा अनुसार घटाया या बढ़ाया जाता है। कुछ लोग दो दिन, पांच दिन अथवा आठ दिनों के लिए भी गणेश जी की स्थापना करते हैं। साल 2025 में गणेश चतुर्थी 27 अगस्त 2025, बुधवार के दिन मनाई जाएगी। आइए जानते है गणेश स्थापना 2025 के शुभ मुहूर्त।
गणेश चतुर्थी 2025, 27 अगस्त, बुधवार
मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त – 11:10 पूर्वाह्न से 01:37 अपराह्न
अवधि – 02 घंटे 28 मिनट
शनिवार, 6 सितंबर, 2025 को गणेश विसर्जन
पिछले दिन चंद्र दर्शन से बचने का समय – 01:54 अपराह्न से 08:41 अपराह्न, 26 अगस्त
अवधि – 06 घंटे 47 मिनट
चंद्र दर्शन से बचने का समय – 09:12 पूर्वाह्न से 09:19 अपराह्न
अवधि – 12 घंटे 06 मिनट
चतुर्थी तिथि प्रारंभ – 01:54 अपराह्न, 26 अगस्त, 2025
चतुर्थी तिथि समाप्त – 03:44 अपराह्न, 27 अगस्त, 2025
गणेश स्थापना 2025 के शुभ मुहूर्त
11:21 AM से 01:51 PM – पुणे
11:05 AM से 01:40 PM – नई दिल्ली
10:56 AM से 01:25 PM – चेन्नई
11:11 AM से 01:45 PM – जयपुर
11:02 AM से 01:33 PM – हैदराबाद
11:06 AM से 01:40 PM – गुड़गांव
11:07 AM से 01:42 PM – चंडीगढ़
10:22 AM से 12:54 PM – कोलकाता
11:24 AM से 01:55 PM – मुंबई
11:07 AM से 01:36 PM – बेंगलुरु
11:25 AM से 01:57 PM – अहमदाबाद
11:05 AM से 01:39 PM – नोएडा
(अलग-अलग शहरों के मुहूर्त सूर्योदय के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं। ऊपर बताएं मुहूर्त सामान्य मुहूर्त हैं)
दस दिनों तक करें गणेश के इन मंत्रों का जाप
भगवान गणेश रिद्धि-सिद्धि दाता है, इसलिए उनका स्मरण मात्र ही जीवन के सभी दुराग्रहों से मुक्ति देता है। गणेश चतुर्थी से अगले दस दिनों तक गणेश मंत्रों के जाप से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। वहीं गणेशजी के 12 नामों के लगातार जाप करने और प्रत्येक नाम के साथ गणेशजी को दुर्वा अर्पण करने से सभी तरह के कार्यों के सिद्धि होती है। ये 12 नाम इस प्रकार है-
1. ॐ सुमुखाय नम:
2. ॐ एकदंताय नम:
3. ॐ कपिलाय नम:
4. ॐ गजकर्णाय नम:
5. ॐ लंबोदराय नम:
6. ॐ विकटाय नम:
7. ॐ विघ्ननाशाय नम:
8. ॐ विनायकाय नम:
9. ॐ धूम्रकेतवे नम:
10. ॐ गणाध्यक्षाय नम:
11. ॐ भालचंद्राय नम:
12. ॐ गजाननाय नम:।
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गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम