हिन्दू कैलेंडर के अनुसार ‘एकादशी व्रत’, पूर्णिमा और अमावस्या के 11वें दिन किया जाता है। इस तरह हर माह में 2 एकादशी व्रत होते हैं, एक कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष में। हिन्दू शास्त्रों में एकादशी तिथि का बड़ा महत्व बताया गया है। 2024 में 24 एकादशी की तिथि आएंगी। एकादशी को भगवान विष्णु के दिन के रूप में भी जाना जाता है। एकादशी भगवान विष्णु की प्रिय तिथि है।
2024 में एकादशी कब है, आप यहां जान सकते हैं-
तारीख | एकादशी | समय | विवरण पढ़ें |
जनवरी 7, 2024, रविवार | सफला एकादशी | प्रारम्भ – 00:41, जनवरी 07 समाप्त – 00:46, जनवरी 08 |
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जनवरी 21, 2024, रविवार | पौष पुत्रदा एकादशी | प्रारम्भ – 19:26, जनवरी 20 समाप्त – 19:26, जनवरी 21 |
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फरवरी 6, 2024, मंगलवार | षटतिला एकादशी | प्रारम्भ – 17:24, फरवरी 05 समाप्त – 16:07, फरवरी 06 |
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फरवरी 20, 2024, मंगलवार | जया एकादशी | प्रारम्भ – 08:49, फरवरी 19 समाप्त – 09:55, फरवरी 20 |
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मार्च 6, 2024, बुधवार | विजया एकादशी | प्रारम्भ – 06:30, मार्च 06 समाप्त – 04:13, मार्च 07 |
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मार्च 7, 2024, बृहस्पतिवार | वैष्णव विजया एकादशी | प्रारम्भ – 06:30, मार्च 06 समाप्त – 04:13, मार्च 07 |
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मार्च 20, 2024, बुधवार | आमलकी एकादशी | प्रारम्भ – 00:21, मार्च 20 समाप्त – 02:22, मार्च 21 |
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अप्रैल 5, 2024, शुक्रवार | पापमोचिनी एकादशी | प्रारम्भ – 16:14, अप्रैल 04 समाप्त – 13:28, अप्रैल 05 |
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अप्रैल 19, 2024, शुक्रवार | कामदा एकादशी | प्रारम्भ – 17:31, अप्रैल 18 समाप्त – 20:04, अप्रैल 19 |
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मई 4, 2024, शनिवार | बरूथिनी एकादशी | प्रारम्भ – 23:24, मई 03 समाप्त – 20:38, मई 04 |
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मई 19, 2024, रविवार | मोहिनी एकादशी | प्रारम्भ – 11:22, मई 18 समाप्त – 13:50, मई 19 |
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जून 2, 2024, रविवार | अपरा एकादशी | प्रारम्भ – 05:04, जून 02 समाप्त – 02:41, जून 03 |
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जून 3, 2024, सोमवार | वैष्णव अपरा एकादशी | प्रारम्भ – 05:04, जून 02 समाप्त – 02:41, जून 03 |
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जून 18, 2024, मंगलवार | निर्जला एकादशी | प्रारम्भ – 04:43, जून 17 समाप्त – 06:24, जून 18 |
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जुलाई 2, 2024, मंगलवार | योगिनी एकादशी | प्रारम्भ – 10:26, जुलाई 01 समाप्त – 08:42, जुलाई 02 |
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जुलाई 17, 2024, बुधवार | देवशयनी एकादशी | प्रारम्भ – 20:33, जुलाई 16 समाप्त – 21:02, जुलाई 17 |
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जुलाई 31, 2024, बुधवार | कामिका एकादशी | प्रारम्भ – 16:44, जुलाई 30 समाप्त – 15:55, जुलाई 31 |
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अगस्त 16, 2024, शुक्रवार | श्रावण पुत्रदा एकादशी | प्रारम्भ – 10:26, अगस्त 15 समाप्त – 09:39, अगस्त 16 |
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अगस्त 29, 2024, बृहस्पतिवार | अजा एकादशी | प्रारम्भ – 01:19, अगस्त 29 समाप्त – 01:37, अगस्त 30 |
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सितम्बर 14, 2024, शनिवार | परिवर्तिनी एकादशी | प्रारम्भ – 22:30, सितम्बर 13 समाप्त – 20:41, सितम्बर 14 |
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सितम्बर 28, 2024, शनिवार | इन्दिरा एकादशी | प्रारम्भ – 13:20, सितम्बर 27 समाप्त – 14:49, सितम्बर 28 |
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अक्टूबर 13, 2024, रविवार | पापांकुशा एकादशी | प्रारम्भ – 09:08, अक्टूबर 13 समाप्त – 06:41, अक्टूबर 14 |
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अक्टूबर 14, 2024, सोमवार | गौण पापांकुशा एकादशी, वैष्णव पापांकुशा एकादशी | प्रारम्भ – 09:08, अक्टूबर 13 समाप्त – 06:41, अक्टूबर 14 |
वैष्णव पापांकुशा एकादशी का विवरण पढ़ें… |
अक्टूबर 28, 2024, सोमवार | रमा एकादशी | प्रारम्भ – 05:23, अक्टूबर 27 समाप्त – 07:50, अक्टूबर 28 |
रमा एकादशी का विवरण पढ़ें… |
नवम्बर 12, 2024, मंगलवार | देवुत्थान एकादशी | प्रारम्भ – 18:46, नवम्बर 11 समाप्त – 16:04, नवम्बर 12 |
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नवम्बर 26, 2024, मंगलवार | उत्पन्ना एकादशी | प्रारम्भ – 01:01, नवम्बर 26 समाप्त – 03:47, नवम्बर 27 |
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दिसम्बर 11, 2024, बुधवार | मोक्षदा एकादशी, गुरुवायुर एकादशी | प्रारम्भ – 03:42, दिसम्बर 11 समाप्त – 01:09, दिसम्बर 12 |
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दिसम्बर 26, 2024, बृहस्पतिवार | सफला एकादशी | प्रारम्भ – 22:29, दिसम्बर 25 समाप्त – 00:43, दिसम्बर 27 |
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सभी एकादशी का अपना महत्व
एकादशी का व्रत कई बार दो दिन का होता है। व्रत के एक दिन पहले व्रत करना वाला व्यक्ति सिर्फ दोपहर का भोजन ग्रहण करता है और रात को कुछ नहीं खाता। इसका मुख्य कारण ये माना जाता है कि व्रत के दिन पेट में खाने का कोई अवशेष नहीं रहना चाहिए। एकादशी के पूरे दिन कठिन व्रत करना होता है। एकादशी के दूसरे दिन सूर्योदय के बाद व्रत करने वाला व्यक्ति खाना खा सकता है। व्रत के दिन किसी प्रकार का अनाज नहीं लिया जा सकता है। इसके अलावा भक्त अपने समर्थ अनुसार निर्जला व्रत रख सकते हैं। भोजन में सिर्फ फल खाना चाहिए, जो की इच्छा अनुसार एक समय लिया जा सकता है।
प्रत्येक एकादशी का अपना विशेष महत्व होता है। ये व्रत भगवान विष्णु के भक्त उनके कृपा के लिए रखते हैं। एकादशी व्रत का फल किसी भी व्रत हवन, यज्ञ, वैदिक कर्म-कांड आदि से भी अधिक होता है। ये भी माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने के पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
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एकादशी व्रत के लिए विष्णु मंत्र
विष्णु मंत्र : ॐ नमो नारायणाय ।।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।।
विष्णु गायत्री महामंत्र- ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णु: प्रचोदयात्।।
एकादशी व्रत में क्या करना चाहिए
– सुबह सबसे पहले शुद्ध पानी से नहा कर व्रत का संकल्प करना चाहिए।
– विधि पूर्वक भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए और रात्रि में दीपदान करना चाहिए।
– भजन-कीर्तन के लिए एकदशी का दिन बहुत ही अच्छा होता है।
– दूसरे दिन यानी द्वादशी के दिन सुबह भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए और जरूरतमंद लोगों को भोजन करवाना चाहिए।
– यथासंभव दान दे कर पूजा का समापन करना चाहिए।
कई बार एकादशी व्रत की तिथि दो दिनों की होती है। ऐसे में पहले दिन विधिपूर्वक व्रत करना चाहिए, दूसरे दिन भोजन ग्रहण करना चाहिए। दो दिनों के व्रत में दूसरा दिन संन्यासियों, विधवा स्त्रियों और और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक लोगों के लिए होता है। दोनों दिनों में से जिस दिन भी भक्त व्रत करें, वे भगवान विष्णु की कृपा का पात्र बनते हैं।
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गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम
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