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दशहरा 2025 – विजयदशमी तारीख, मुहूर्त और पूजा विधि

दशहरा 2023 – विजयदशमी तारीख, मुहूर्त और पूजा विधि

दशहरा 2025: दशहरे पर शस्त्र पूजा व खरीदी के मुहूर्त और कुछ सनातन परंपराएं

वर्ष 2025 में दशहरा अपने तय समय से एक माह आगे खिसक गया है। इस साल 2025 में दशहरे का पर्व गुरुवार, 2 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। वैसे तो दशहरा अपने आपमें बेहद शुभ दिन माना गया है। इसी वजह से लोग इस दिन नए कपड़े, वाहन, आभूषण और शस्त्र पूजा करते हैं। दशहरे के दिन नयी वस्तुओं की खरीदारी का विशेष महत्व है। हालांकि दशहरे के दिन भी यदि शुभ मुहूर्त में इन कार्यों को पूरा किया जाए तो कार्य सिद्धि व सफलता संभावना में वृद्धि होती है। साल के सबसे पवित्र दिनों में से एक दशहरा भी होता है।

दशहरा 2025 के शुभ मुहूर्त

गणेशास्पीक्स के अनुभवी ज्योतिष विशेषज्ञों की टीम ने अपने पाठकों के लिए दशहरे के लिए शुभ मुहूर्त प्रस्तुत करने का कार्य किया है। निम्न मुहूर्त में लोग सिर्फ नयी सामाग्री ही नहीं बल्कि कोई भी मांगलिक कार्य सिद्धि कर सकते हैं।

2025 दशहरा शस्त्र पूजा और अन्य मुहूर्त

विजय मुहूर्त – 02:28 अपराह्न से 03:16 अपराह्न तक

दशहरा पूजन से दूर होगा अशुभ साया

दशहरे के दिन पुरानी वस्तुओं को भी साफ कर किसी नयी सामग्री की तरह सजाया जाता है। लोग इस दिन अपने पुराने वाहनों, बहीखातों और अस्त्र – शस्त्र को विशेष रूप से स्वच्छ कर, हार-फूल चढ़ाकर उसकी पूजा करते हैं। इससे वाहनों से अशुभ साया दूर होता है और उसकी शुभता में वृद्धि होती है। पौराणिक मान्यताएं है कि ऐसा करने से आपके सभी काम अनुकूल होते हैं, और उसकी चोरी, खराबी, तकनीकी अड़चनें आदि से यथासंभव छुटकारा मिलता है। इसी तरह अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, घर, गहने, शस्त्र आदि को भी दशहरे के दिन विशेष सम्मान व दुलार देना चाहिए।

साल के साढ़े तीन सबसे शुभ दिन

गौरतलब है कि दशहरा एक चंद्र वर्ष में आने वाले साढ़े तीन सबसे शुभ दिनों में से एक है। इन साढ़े तीन मुहूर्त में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, अश्विन शुक्ल दशमी, वैशाख शुक्ल तृतीया एवं कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा शामिल है। कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के आधे दिन को ही शुभ माना जाता है। साल के सबसे शुभ मुहूर्त साढ़े तीन दिन के होते हैं। इन विशेष दिनों में किसी मांगलिक या धार्मिक कार्य के लिए मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि यदि इन दिनों में भी यदि विशेष मुहूर्त में कोई कार्य किया जाए, तो उनके सिद्धि होने की संभावनाएं सामान्य से अधिक होती है।

दशहरा शस्त्र पूजा विधि

दशहरे के दिन शस्त्र पूजा के लिए सबसे पहले अपने घर के सभी अस्त्र – शस्त्रों को एक जगह एकत्र करें। इन शस्त्रों को अच्छे से स्वच्छ करें और फिर उन पर पवित्र नदी का जल छिड़कें। शस्त्रों को पवित्र करने के पश्चात् उन पर हल्दी या कुमकुम से टीका लगाएं और फल-फूल, दीप- धूप अर्पित करें। शस्त्र पूजा में शमी के पत्ते जरूर चढ़ाएं। दशहरे पर शमी के पेड़ की पूजा करने का विशेष महत्व होता है।

दशहरे पर अस्त्र शस्त्र की पूजा क्यों!

सनातन परंपरा में शस्त्र और शास्त्र दोनों का ही बहुत महत्व है। शास्त्र और आत्मरक्षा के लिए धर्मसम्म्त तरीके से शस्त्रों का प्रयोग वैदिक ऋषि – मुनियों द्वारा शुरू की गई एक प्रथा है। पुरातन काल में पोषण, व्यापार और रक्षा के लिए नियुक्त वर्ग अपने – अपने द्वारा उपयोग किए जाने वाले संसाधनों के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करने के लिए दशहरे के दिन उनकी पूजा करते थे। इस दिन ब्राह्मण शास्त्रों की, वैश्य बहीखातों की और क्षत्रिय अपने अस्त्र – शस्त्रों की पूजा करते थे। यदि वजह है कि पूर्व की भांति ही आज भी शस्त्र पूजन की परंपरा कायम है और देश के तमाम राज्यों और शासकीय शस्त्रागारों में आज भी शस्त्र पूजा बड़ी धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ की जाती है।

गणेशजी के आशीर्वाद सहित
भावेश एन पट्टनी
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम

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