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दीपावली 2024: लक्ष्मी पूजा मुहूर्त, पूजन सामग्री, तैयारी और पूजन कैसे करें

दीपावली 2021: लक्ष्मी पूजा मुहूर्त, पूजन सामग्री, तैयारी और पूजन कैसे करें

भारत वर्ष सनातन काल से ही त्यौहारों और उत्सवों की भूमि रही है। अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता के कारण यहां साल के लगभग हर महीने में कोई महत्वपूर्ण तीज या त्यौहार आपको देखने में मिल जाएंगे। सभी त्यौहारों का अपना महत्व है, लेकिन दिवाली या दीपावली उन सभी त्यौहारों में प्रमुख है। मन्याताओं के अनुसार भगवान श्रीराम द्वारा रावण वध और 14 वर्षों के कठिन वनवास के बाद पुनः अयोध्या लौटने की तिथि को ही दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है। कार्तिक अमावस्या को आने वाले इस त्योहार पर लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व है। दिवाली पर विशेष मुहूर्त में घर-घर लक्ष्मी पूजा होती है।

दीपावली कब है 2024

दीपावली का त्यौहार कार्तिक माह की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इस साल दिवाली 31 अक्टूबर 2024 को है। दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व है। इस दिवाली पर जानिए कब करना है आपको लक्ष्मी पूजा

लक्ष्मी पूजा सामग्री

– दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजा के लिये आप अपने सामर्थ्य अनुसार सामग्री जुटा सकते हैं। माता लक्ष्मी को लाल, गुलाबी या फिर पीले रंग के रेशमी वस्त्र प्रिय है।

– फूल में मां को कमल और गुलाब के फूल सुहाते हैं।

– फल में श्री फल (नारीयल), सीताफल, बेर, अनार और सिंघाड़े।

– अनाज में चावल घर में शुद्ध गाय के घी से बनी मिठाई, हलवा और शिरे का नैवेद्य उपयुक्त है।

– दिया जलाने के लिये गाय का घी, मूंगफली या तिल्ली का तेल इस्तेमाल किया जाता है।

– पूजन में कुमकुम, रोली, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, चौकी, कलश, मां लक्ष्मी, भगवान श्री गणेश और सरस्वती की प्रतिमा या चित्र आसन, थाली, चांदी का सिक्-का, धूप, अगरबत्तियां, कपूर, दीपक, रुई, नारियल, मौली, शहद, गुड़, दही, धनियां, गेंहू, जौ, दुर्वा, सिंदूर, चंदन, सुगंध के लिये केवड़ा, गुलाब अथवा चंदन के इत्र की महक मां को प्रिय है।

लक्ष्मी पूजन की तैयारी कैसे करें

लक्ष्मी पूजन की विधि जानने से पहले आपको पूजा की तैयारियों पर विशेष ध्यान देना होगा, क्योंकि पूजा के समय आसन छोड़ाना असाध्य माना गया है। आर्थात पूजा के समय यदि आपको किसी भी कारणवश अपना आसन त्यागना पड़ता है तो आपको पूजा से वांछित लक्ष्यों की प्राप्ति में समय लग सकता है।

लक्ष्मी पूजा सामग्री लिस्ट में बताई सभी चीजें पहले से एकत्र कर लें। सबसे पहले लक्ष्मी पूजा के लिए स्थान निर्धारित करें, संभव हो तो वहां गाय के गोबर से लेपन करें, सूखने के बाद एक नयी झाडू से उस स्थान को साफ करें।

लक्ष्मी पूजा के लिए स्थान का चयन करते सयम यह याद रखें कि साधक का मुंह उत्तर या पूर्व दिशा की ओर हो। दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजा के दौरान साधक का मुख उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। उत्तर दिशा धन, धान्य और वैभव का स्थान है, इसलिए गणेश और मां लक्ष्मी की पूजा के लिए उत्तर दिशा की ओर मुंह रखना उत्तम फलदायक होगा।

जिस चौकी या पाट पर मां लक्ष्मी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करना है, उसे शुद्ध कर लें और उस पर माता को प्रिय लाल, पीले या गुलाबी रंग का रेशमी वस्त्र बिछा दें।

माता की तस्वीर चौकी के बीच में रखें और गणेश व सरस्वती मां की तस्वीर लक्ष्मी जी के आसपास रखें। मां लक्ष्मी की प्रतिमा गणेश जी के दाहिने ओर करें।

कलश स्थापना, दीपक और मां को प्रस्तुत की जाने वाली सभी सामग्री के लिए पूजा स्थल पर उचित व्यवस्था करें। अपनी राशि के अनुसार वस्त्र धारण करें और पूजा के लिए ऊन के आसन का उपयोग करें।

लक्ष्मी पूजा के लिए उत्तम मुहूर्त का चयन करें और आगे दिए गए दिशानिर्देशों के अनुसार लक्ष्मी पूजा संपन्न कर अपना जीवन खुशियों से भर लें।

दीपावली 2024: लक्ष्मी पूजा मुहूर्त

सनातन धर्म में हर मांगलिक या शुभ कार्य के लिए मुहूर्त देखने का रिवाज है। दीपावली का त्यौहार कार्तिक अमावस्या के दिन आता है, मान्यता है कि अमावस्या के दिन नकारात्मक ऊर्जाओं का प्रभाव बढ़ जाता है। इसलिए लक्ष्मी पूजा के लिए मुहूर्त निर्धारण अधिक महत्वपूर्ण है। मां लक्ष्मी की पूजा के लिए स्थिर लग्न सबसे उत्तम माना गया है। इसलिए दीपावली पर लक्ष्मी पूजा वृषभ स्थिर लग्न में संपन्न करने का प्रयास करना चाहिए।

वर्ष 2024 में दीपावली का त्यौहार 31 अक्टूबर के दिन आ रहा है। इस दिन वृषभ स्थिर लग्न का शुभ मुहूर्त सन्ध्या – 18:56 से 21:00 तक रहेगा। लक्ष्मी पूजन रात 18:56 से 20:27 के बीच भी किया जा सकता है।

इसके अलावा दिन में व्यापारी अपने चौपड़े का पूजन दिन में अमृत के चौघड़िए में 18:00 से 21:03 तक कर सकते हैं।

लक्ष्मी पूजा कलश स्थापना

लक्ष्मी पूजा के स्थान पर मां लक्ष्मी की प्रतिमा या आकृति विराजित करने के बाद, कलश को लक्ष्मीजी के पास चावल पर रखें।

नारियल को लाल वस्त्र में लपेटे और नारियल का आगे का हिस्सा  खुला छोड़ दे और इसे कलश पर रखें। यह कलश वरुणदेव का प्रतीक है।

कलश स्थापित करने के बाद दो बड़े दीपक प्रज्वलित करें। एक दीपक गाय के घी का व दूसरा दीपक तेल का लगाएं। एक दीपक चौकी के दाहिनी ओर रखें एवं दूसरा मूर्तियों या प्रति के चरणों में रखें।

लक्ष्मी की चौकी कैसे सजाएं

– दीपावली के दिन मां लक्ष्मी, गणेश और सरस्वती की सामूहिक पूजा की जाती है। मां लक्ष्मी के माध्यम से वैभव, सरस्वती से ज्ञान व विद्या और गणेश की पूजा से विघ्नों से छुटकारा और अक्षय सफलता मिलती है।

– लक्ष्मी, गणेश व सरस्वती की मूर्तियों वाली चौकी के सामने छोटी चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं। फिर कलश की ओर एक मुट्ठी चावल से लाल वस्त्र पर नवग्रह के प्रतीक रूप में नौ ढेरियां तीन लाइनों में बनाएं।

– गणेशजी की ओर चावल की सोलह ढेरियां बनाएं। यह सोलह ढेरियां मातृका की प्रतीक है। नवग्रह व सोलह मातृका के बीच में स्वस्तिक का चिन्ह बनाएं। इसके बीच में सुपारी रखें व चारों कोनों पर चावल की ढेरी रखें।

– लक्ष्मीजी की ओर श्री का चिन्ह बनाएं। गणेशजी की ओर त्रिशूल बनाएं। एक चावल की ढेरी लगाएं जो कि ब्रह्माजी की प्रतीक है। सबसे नीचे चावल की नौ ढेरियां बनाएं जो मातृका का प्रतीक है।

– सबसे ऊपर ऊँ का चिन्ह बनाएं। इन सबके साथ ही व्यापारियों को कलम, दवात, बहीखाते और सिक्कों की थैली भी रखना चाहिए। इस प्रकार मां लक्ष्मी की चौकी सजाने से पूजा जल्दी सफल हो सकती है।

दीपावली: लक्ष्मी पूजा विधि

– पूजा की थाली को व्यस्थित रूप से सुसज्जित कर, माता महालक्ष्मी की पूजा करें। सबसे पहले मूर्ति या तस्वीर को जल से पवित्र कर लें और फिर पूजा स्थान और अपने आसन को पवित्र करें।

– थोड़ा सा जल अपने हाथ में लेकर आचमन करते रहें और ओम केशवाय नमः, ओम नारायणाय नमः, ओम वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप करते हुए एक एक बूंद पानी अपने मुंह में छोड़ते जाए।

– आचमन के बाद आप लक्ष्मी पूजा का संकल्प धारण करने के लिए तैयार हैं। अपने आप हाथ में अक्षत लें, पुष्प और जल के साथ कुछ द्रव्य भी ले लीजिए। यहां द्रव्य का तात्पर्य धन से है। ये सब हाथ में लेकर संकल्प मंत्र बोलते हुए संकल्प धारण कीजिए कि मैं अमुक नाम, अमुक स्थान व समय पर अमुक देवी – देवता की पूजा करने जा रहा हूं जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हों। सबसे पहले गणेशजी व गौरी का पूजन कीजिए। उसके बाद वरुण पूजा यानी कलश का पूजन करें।

-हाथ में थोड़ा सा जल ले लीजिए और आह्वान व पूजन मंत्र बोलिए और पूजा सामग्री चढ़ाइए। फिर नवग्रहों का पूजन कीजिए। हाथ में अक्षत और पुष्प ले लीजिए और नवग्रह स्तोत्र बोलें। इसके बाद भगवती षोडश मातृकाओं का पूजन करें। हाथ में गंध, अक्षत और पुष्प ले लीजिए। सोलह माताओं को नमस्कार कर आशीर्वाद लें और पूजा सामग्री चढ़ा दीजिए।

– सोलह माताओं की पूजा के बाद रक्षा बंधन होता है। रक्षा बंधन विधि में मौली लेकर भगवान गणेश पर चढ़ाएं और फिर अपने हाथ में बंधवा लें और तिलक लगाएं।

–  इसके बाद माता महालक्ष्मी का ध्यान कर श्री सुक्त स्तोत्र का कम से कम तीन पाठ करें। आरती करके सपरिवार प्रसाद ग्रहण करें। 

– ध्यान रखें लक्ष्मी पूजन में नए वस्त्र या शुद्ध वस्त्र धारण करें।

श्री गणेशजी के आशीर्वाद के साथ

गणेशास्पीक्स डॉट कॉम/हिंदी

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