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दिवाली 2025: लक्ष्मी पूजन विधि, महत्व और मुहूर्त

दिवाली 2023: लक्ष्मी पूजन विधि, महत्व और मुहूर्त

दीपावली पर आपके घर में ऐसे बरसेगा धन, केवल 2 घंटे का है मुहूर्त

इस साल दीपों का पर्व दिवाली सोमवार, अक्टूबर 20, 2025 को मनाया जायेगा। इसे दीपावली और प्रकाशोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में इसकी काफी मान्यता और खास महत्व है। माना जाता है कि कार्तिक मास की अमावस्या की आधी रात मां लक्ष्मी धरती पर आती हैं और जिस घर में स्‍वच्‍छता और शुद्धता होती है, वे वहां निवास करती हैं। इस बार दीपावली पूजन का मुहूर्त केवल 1 घंटे 56 मिनट का ही है। ऐसे में आप माता का पूजन कर प्रसन्न करने की तैयारी कर लें, ताकि आप उनकी कृपा प्राप्ति से चूक न जायें। यहां हम अापको महालक्ष्मी पूजन के महत्व, विधि और मुहूर्त के साथ ही इस बात की जानकारी देंगे कि लक्ष्मी की प्रतिमा कैसी होनी चाहिए और उसका क्या लाभ होता है, ताकि आपको पूजन में किसी तरह की कोई परेशानी न हो।घर में पूजन की संपूर्ण विधि सहित सारी जानकारी के लिए हमारे विद्वान ज्योतिषाचार्यों से संपर्क कर सकते हैं।

अमावस्या का दिन होता है महत्वपूर्ण

दीपावली की शुरूअात धनतेरस से हो जाती है और भैया दूज के वक्त यह समाप्त होता है। पांच दिनों के इस प्रकाशोत्सव में विभिन्न अनुष्ठानों और नियमों का पालन किया जाता है। इसमें अमावस्या का दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है। इस दिन केवल घर ही नहीं कार्यालयों और व्यावसायिक स्थलों और दुकानों में भी पूजा की जाती है।

क्या है दिवाली की मान्यता

दीपावली के बारे में मान्यता है कि भगवान श्री राम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या वापसी पर लोगों ने उनका स्वागत घी के दीपक जलाकर किया था। दीपों की रोशनी से अमावस्या की काली रात भी रोशन हो गई थी। इसलिये दीपावली को प्रकाशोत्सव भी कहा जाता है। दीपावली के साथ ही त्यौहारों की शुरूआत हो जाती है और एक के बाद एक कई त्यौहारों से पूरा माहौल खुशमय हो जाता है। दीपावली के साथ ही दीपदान, धनतेरस, गोवर्धन पूजा, भैया दूज आदि त्यौहार मनाये जाते हैं। सांस्कृतिक, सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक हर लिहाज से दिवाली बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है। एक ओर यह जीवन में ज्ञान रुपी प्रकाश को लाने वाला पर्व है तो दूसरी ओर सुख-समृद्धि की कामना के लिये भी इससे बढ़कर कोई त्यौहार नहीं, इसलिये दीपावली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है

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दीपावली और लक्ष्मी पूजा

माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिये यह दिन काफी शुभ माना जाता है। घर में सुख-समृद्धि के लिये प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न (वृषभ लग्न को स्थिर लग्न माना जाता है) में मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

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दीपावली तिथि व मुहूर्त 2025

लक्ष्मी पूजा सोमवार, अक्टूबर 20, 2025 पर
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – 07:36 पी एम से 08:40 पी एम
अवधि – 01 घण्टा 04 मिनट्स
प्रदोष काल – 06:10 पी एम से 08:40 पी एम
वृषभ काल – 07:36 पी एम से 09:34 पी एम
अमावस्या तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 20, 2025 को 03:44 पी एम बजे
अमावस्या तिथि समाप्त – अक्टूबर 21, 2025 को 05:54 पी एम बजे

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लक्ष्मी पूजन के बारे में

लक्ष्मी धन और सुख-संपदा की देवी हैं। हर कोई चाहता है कि उसके घर में लक्ष्मी का वास हो। सभी किसी ना किसी रुप में लक्ष्मी को अपने घर के मंदिर में स्थापित करते हैं, लेकिन अक्सर लोग ये नहीं जानते कि लक्ष्मी की कौन सी प्रतिमा उनके लिए शुभ है। सुख-समृद्धि के लिए आप किसी भी शुक्रवार को अपने घर में मूर्ति की स्थापना कर सकते हैं। जिन घरों में महालक्ष्मी की सोने या चांदी से बनी मूर्ति रहती हैं वहां गरीबी का वास नहीं होता है। शास्त्रों के अनुसार धन की प्राप्ति के लिए महालक्ष्मी की प्रसन्नता जरूरी है। जिन भक्तों पर महालक्ष्मी की कृपा रहती है उन्हें जीवन में कभी भी धन संबंधी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता। देवी को प्रसन्न करने के लिए प्रतिदिन इनका विधिवत पूजन करना चाहिए। धन से जुड़ी परेशानियों को दूर करने के लिए महालक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु का पूजन करना श्रेष्ठ है। देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं और इसी वजह से विष्णु की पूजा करने से भक्तों पर भी धन की देवी की विशेष कृपा रहती है।

सोने या चांदी की मूर्ति का महत्व

जिस घर में सोने या चांदी से निर्मित महालक्ष्मी की मूर्ति होती है वहां देवी लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है। भक्त को प्रतिदिन विधि-विधान से चांदी या सोने की मूर्ति का पूजन करना चाहिए। सोना सुख-समृद्धि का प्रतीक है और चांदी महालक्ष्मी की प्रिय धातु मानी गई है। ऐसे में इनसे निर्मित मूर्ति की पूजा करने वाले को कभी भी दरिद्रता का सामना नहीं करना पड़ता है।

सोने-चांदी के बदले पीतल की मूर्ति भी कर सकते हैं स्थापित

महंगी होने के कारण अगर आप सोने या चांदी की मूर्ति घर नहीं ला सकते हैं तो पीतल की मूर्ति भी घर में स्थापित कर उसकी पूजा कर सकते हैं। मूर्तियों के लिए पीतल को भी काफी शुभ माना गया है। मंदिरों में भी पीतल की प्रतिमाएं ही स्थापित की जाती हैं।

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ऐसी होनी चाहिए लक्ष्मी की मूर्ति

– कमल के फूल पर विराजित माता लक्ष्मी की मूर्ति होती है शुभ फलदायी।

– मूर्ति के हाथ में धन का कलश, कमल का फूल, शंख और एक हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में हो।

– मूर्ति हाथ के अंगूठे से बड़ी ना हो।– लक्ष्मी की मूर्ति के साथ अगर गणपति की भी मूर्ति हो तो और बेहतर है।

– घर के मंदिर में श्रीयंत्र की स्थापना करना भी श्रेयस्कर होगा।

दिवाली पूजन की विधि

1. सुबह स्नानादि से निवृत्त हो स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. दिनभर उपवास रखें।
3. दिन में पकवान बनाएं और घर सजाएं।
4. शाम में फिर से स्नान करें।
5. महालक्ष्मी के स्वागत की तैयारी में घर की सफाई कर लक्ष्मीजी का चित्र लगायें।
6. भोजन में स्वादिष्ट व्यंजन और मिठाइयां बनाएं।
7. लक्ष्मीजी की तस्वीर के सामने एक चौकी रखकर उस पर मौली बांधें और उसपर गणेशजी की मिट्टी की मूर्ति स्थापित करें और तिलक कर पूजा करें।
8. चौकी पर छः चौमुखे व 26 छोटे दीपक रख तेल-बत्ती डालकर जलाएं और जल, मौली, चावल, फल, गुड़, अबीर, गुलाल, धूप आदि से विधिवत पूजन करें।
9. पूजा के बाद एक-एक दीपक घर के कोनों में जलाकर रखें।
10. एक छोटा तथा एक चौमुखा दीपक रखकर लक्ष्मीजी का पूजन करें और इसके बाद तिजोरी में गणेशजी तथा लक्ष्मीजी की मूर्ति रखकर विधिवत पूजा करें।
11. लक्ष्मी पूजन रात के बारह बजे करने का विशेष महत्व है। इसके लिए एक पाट पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति रखें और पास में एक सौ रुपए, सवा सेर चावल, गुड़, चार केले, मूली, हरी ग्वार की फली तथा पांच लड्डू रखकर पूजन करें और उन्हें लड्डुओं का भोग लगाएं।
12. व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में भी विधिपूर्वक पूजा करें।

दिवाली की शुभकामनाओं के साथ
गणेशास्पीक्स डॉट कॉम / हिंदी
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