नवरात्रि के नौवें दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। जैसा कि नाम से स्पष्ट है कि माता सिद्धिदात्री अपने भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियां देती है। नवरात्रि के आखिरी तीन दिन माता सरस्वती को समर्पित होते हैं। माता सिद्धिदात्री को माता सरस्वती का रूप भी माना जाता है। समस्त प्रकार की सिद्धियां इनके अधीन होती है। नवरात्रि 2025 में माता सिद्धिदात्री की पूजा 01 अक्टूबर को होगी। मार्कण्डेयपुराण में अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व एवं वशित्व आठ सिद्धियाँ बतलायी गयी है। भगवती सिद्धिदात्री उपरोक्त संपूर्ण सिद्धियाँ अपने उपासको को प्रदान करती है। माँ दुर्गा के इस अंतिम स्वरूप की आराधना के साथ ही नवरात्र के अनुष्ठान का समापन हो जाता है। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व- ये आठ सिद्धियाँ होती हैं और माँ सिद्धिदात्री भक्तों और साधकों को ये सभी सिद्धियाँ प्रदान करने में समर्थ हैं। देवीपुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था और इनकी कृपा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण वे लोक में ‘अर्द्धनारीश्वर’ नाम से प्रसिद्ध हुए।
मां सिद्धिदात्री का रूप
माता सिद्धिदात्री का स्वरूप बहुत सौम्य और आकर्षक है। उनके चार हाथ हैं। एक हाथ में चक्र, एक हाथ में गदा, एक हाथ में कमल का फूल और एक हाथ में शंख लिया हुआ है। माता की आराधना करने से सभी प्रकार के ज्ञान सुलभता से मिल जाते हैं। माता की आराधना करने वालों को कभी कोई कष्ट नहीं होता है। यह नवरात्रि का आखिरी दिन है। इसके बाद का दिन दशहरा मनाया जाता है।
माँ सिद्धिदात्री के मंत्र –
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
भगवान शिव को बनाया अर्द्धनारीश्वर
भगवान शिव को माता सिद्धिदात्री की कृपा से ही अर्द्धनारीश्वर स्वरूप प्राप्त हुआ था। माता सिद्धिदात्री की पूजा में नौ तरह के फल-फूल चढ़ाने का भी विधान है। उनका कोई विशेष भोग नहीं है, लेकिन सभी अपनी कुलरीति के अनुसार माता के लिए विशेष भोग बनाते हैं, जो अपनी कुलदेवी को चढ़ाते हैं। माता उसी प्रसाद को ग्रहण करती है।
मां सिद्धिदात्री अपने भक्तों की 26 अलग-अलग मुरादें पूरी करती है
मां सिद्धिदात्री भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करती है। देवी दुर्गा के इस अंतिम स्वरुप को नव दुर्गाओं में सबसे श्रेष्ठ और मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है। जो श्वेत वस्त्रों में महाज्ञान और मधुर स्वर से भक्तों को सम्मोहित करती है। अगर भक्त मां सिद्धिदात्री की पूर्ण निष्ठाभाव से नवरात्रि के नौवें दिन पूजा करता है तो ये भक्त सभी आठों सिद्धियां प्राप्त कर सकता है। इसके परिणामस्वरूप, ऐसे भक्त के लिए ब्रह्मांड में कुछ भी अप्राप्य नहीं होगा। वहीं उपाख्यानों में ये भी लिखा है कि मां सि़द्धदात्री भक्तों की 26 विभिन्न इच्छाएं पूरी करती है। मां सिद्धिदात्री की विशेष कृपा प्राप्त करें, गोल्ड प्लेटेड सर्वकार्य सिद्धि यंत्र खरीदकर
इस दिन होने वाले अन्य सेलीब्रेशनः
2025 महानवमी
महानवमी दुर्गा का तीसरा और अंतिम दिन होता है। महानवमी पर दुर्गा पूजा महास्नान और षोडोपचार पूजा के साथ शुरू होती है। महानवमी पर मां दुर्गा को महिषाषुर मर्दिनी के रूप में पूजा जाता है। दरअसल ऐसा माना जाता है कि महानवमी के दिन ही मां दुर्गा ने दुष्ट दैत्य महिषाषुर का संहार कर तीनों लोकों को उसके आतंक से मुक्त कराया था।
2025 आयुध पूजा, शस्त्र पूजा
आयुध पूजा महानवरात्रि के दिन की जाती है जो कि सिर्फ दक्षिण भारत खासकर कर्नाटका, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, और केरला में प्रचलित है। आयुध पूजा को शस्त्र पूजा और अस्त्र पूजा के नाम से भी जाना जाता है।
पहले आयुध पूजा का उद्देश्य हथियारों की पूजा करना था, लेकिन वर्तमान रूप में इस दिन सभी प्रकार के वाद्ययंत्रों की पूजा की जाती है। ये एक ऐसा दिन है, जब दक्षिण भारत और भारत के दूसरे हिस्सों में विश्वकर्मा पूजा के समान कारीगर अपने उपकरणों की पूजा करते है।
मां सिद्धिदात्री का मंत्र और अन्य तथ्यः
मां सिद्धिदात्री ध्यानः
मां सिद्धिदात्री मंत्रः ओम सिद्धिदात्रये देव्यै
नम: इस मंत्र का 108 बार जाप करें
नौवें दिन का रंगः लाल और पीला रंग
नौवें दिन का प्रसादः नैवेद्य, खीर, पंचामृत, नारियल
गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम
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