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संजय लीला भंसाली को गणेशजी की चेतावनी, ‘बच के रहना रे बाबा’

संजय लीला भंसाली को गणेशजी की चेतावनी, ‘बच के रहना रे बाबा’

संजय लीला भंसाली बाॅलीवुड के एेसे निर्देशक जो बहुमुखी प्रतिभा के धनी है। अपनी फिल्मों को वास्तविक आैर प्रभावी बनाने में वे कोर्इ कसर नहीं छोड़ते। ये ही कारण है फिल्म के सेट से लेकर कलाकारों का काॅस्टयूम दर्शकों को अत्यधिक प्रभावित करता है। हम दिल दे चुके सनम, देवदास, ब्लैक आैर बाजीराव मस्तानी जैसी फिल्में रूपहले पर्दे पर पर उतारकर भंसाली ने कर्इ पुरस्कार जीते। लेकिन उनकी आगामी फिल्म पद्मावती को लेकर जयपुर में हुर्इ घटना ने उन्हें काफी आहत किया है। तो आइए गणेशजी से जानते है कि ज्योतिषीय दृष्टि से उनका आगामी वर्ष कैसा होगा ?

संजय लीला भंसालीजन्म-दिनांकः 24 फरवरी, 1963जन्म-समयः अज्ञातजन्म-स्थानः मुंबर्इ, महाराष्ट्र, भारत

सूर्य कुंडली

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दिग्गज निर्देशक की ज्योतिषीय ताकतों का विश्लेषणः गणेशजी के अनुसार उच्च स्तर के ग्रह – गुरू, सूर्य आैर चंद्र युति कर रहे है जो कि कुंडली को मजबूत बनाते है। ये बात ध्यान देने योग्य है कि ये युति कुंभ राशि में स्थान बना रही है – जो कि वास्तविक आैर अभिनव सोच की राशि है। ये एक एेसा पहलू है जो भंसाली को अपने अपरंपरागत विचारों आैर रचनात्मकता के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।

शुक्र प्रस्तुत करता है अभिव्यक्ति का मंच कला आैर मनोरंजन का ग्रह शुक्र, कुंभ में स्थिति ग्रहों से ग्यारवें भाव में है, जो ये दर्शाता है कि संजय लीला भंसाली अपने विचारों को रचनात्मक निरूपण में अच्छी तरह से बदलने में सक्षम है। क्यूंकि शुक्र धनु राशि में स्थित है, जिसका कारक गुरू है, यही कारण है कि भंसाली अपनी फिल्मों में भव्य चित्रण आैर वैभव प्रस्तुत करने में रूचि लेते है।

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भंसाली की कुंडली में मकर की भूमिकाः भंसाली की कुंडली को देखें तो उसमें शनि, बुध आैर केतु मकर राशि में है। ग्रहों का ये विन्यास एक एेसे व्यक्तित्व को प्रस्तुत करता है जो गहन अनुसंधान आैर जटिल विश्लेषण में उत्तम हो सकता है। हालांकि बुध केतु के साथ विराजमान होने के कारण दूषित है, जो शीर्ष ग्रहों के बीच में स्थानन होकर शुभ कर्तरी योग बनाता है। ये योग कर्इ सारे नकारात्मक कारकों को प्रभावहीन करता है आैर भंसाली के दिमाग को अत्यधिक तेज बनाता है।

वर्तमान परिदृश्यः 30 जनवरी, 2016, से राहु-केतु सिंह-कुंभ की धुरी से गोचर कर रहे है, इसका मतलब ये है कि जो ग्रह कुंभ में है वे केतु से प्रभावित है। एेसे में ये कहा जा सकता है कि ग्रहों की ये स्थिति भंसाली के लिए परेशानियां खड़ी कर रहे है। केतू एेसा ग्रह है जो आकस्मिक घटनाआें, सम्मान की हानि, जटिलताआें, अवरोधों आैर दुख का कारक है। ये मुख्य कारक है जो विवाद बढ़ा सकता है।

‘ पद्मावती ‘ विवाद का क्या कारण हो सकता है ? इसके अलावा, ये ध्यान देने योग्य बात है कि ये विवाद शुक्र-केतु युति के दौरान उपजा। जब शुक्र राहु-केतु से दूषित होता है, तो कलाकार या फिल्म इंडस्ट्री के लोग आमतौर पर समस्याआें आैर विवादों से ग्रसित होते है। इसके अलावा, 26 जनवरी, 2017 से शनि धनु राशि में गोचर कर चुका था आैर जो भंसाली के जन्म के शुक्र आैर कुंभ में स्थित ग्रहों को प्रभावित कर रहा है। यही कारण है कि गोचर की इस घटना के एक दिन बाद यानि 27 जनवरी, 2017 को ये विवाद उपजा।

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क्या आगे की राह होगी आसान ? गणेशजी कहते है कि वर्ष 2017 का पहला भाग भंसाली के लिए अनुकूल अवधि नहीं होगी आैर इस दौरान कुछ घटनाएं हो सकती जो उनकी मानसिक शांति को प्रभावित कर सकती है। इस समय कर्इ बाधाएं आ सकती है आैर कानूनी मसलें बनने की भी संभावना है। लेकिन सितंबर के बाद गुरू तुला राशि में गोचर करेगा आैर कुंभ में जन्म के सूर्य, गुरू अौर चंद्र पर दृष्टि डालेगा। इसके अलावा, केतु उपरोक्त ग्रहों से दूर हो जाएगा। ये भंसाली के लिए चीजें अासान बनाएगा आैर वो तीव्र प्रगति का आनंद लेंगे। उन्हें मनोरंजन जगत की हस्तियों से उचित सहयोग आैर समर्थन मिलेगा। लेकिन सितंबर के बाद भी कानूनी बाधाआें की संभावनाआें से इंकार नहीं किया जा सकता।

गणेशजी के अनुसार अक्टूबर 2017 से मार्च 2018 की अवधि के दौरान भंसाली को अपनी सेहत आैर वित्त से जुड़े मामलों को लेकर अत्यधिक सावधान रहना होगा।

गणेशजी संजय लीला भंसाली को उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं देते है

गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
मालव भट्ट
गणेशास्पीक्स डाॅटकाॅम टीम

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