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ज्योतिषीय विश्लेषण: एयर इंडिया बेचने की योजना कितनी प्रभावी, कितनी सफल?

ज्योतिषीय विश्लेषण: एयर इंडिया बेचने की योजना कितनी प्रभावी, कितनी सफल?

हिंदुस्तान की अपनी पहली, सबसे बड़ी और सबसे पुरानी हवाई यातायात कंपनी है एयर इंडिया। साल 1932 में जब हिंदुस्तान, ब्रिटिश इंडिया हुआ करता था, तो एयर इंडिया की शुरुआत ‘टाटा एयरलाइंस’ के नाम से शुरू हुई। 1946 में पब्लिक लिमिटेड कंपनी बनी और 1953 में इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया गया। उसी समय इसको एयर इंडिया नाम दिया गया। फिर इसके बाद 21 फरवरी 1960 को, इसने अपने पहले बोईंग 707 की डिलीवरी गौरी शंकर नाम से ली, और अपने बेड़े में जेट विमान को शामिल करने वाली पहली एशियाई एयरलाइन बन गई। हमने यहाँ 21 फरवरी 1960 की तारीख को अधिक अहमियत दी है। क्योंकि इसी तिथि के आधार पर हम आपको आगे का विश्लेषण बताने वाले हैं।

दरअसल मामला ये है, कि भारत सरकार ने हिंदुस्तान की इस सबसे बड़ी हवाई यातायात कंपनी को पूर्ण रूप से बेचने के तैयारी कर ली है। अगर दूसरे शब्दों में कहें तो सरकार एयर इंडिया का विनिवेश करना चाहती है। जिसके लिए सरकार ने विज्ञप्ति निकाल दी है, और इच्छुक कंपनियों से आवेदन माँगा है। ये सब इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि कभी महाराजाओं जैसा रुतबा रखने वाली एयर इंडिया लगभग 60,000 करोड़ रुपये के क़र्ज़ के बोझ तले दबी है। इसलिए इससे पहले की कंपनी पूरी तरह से दिवालिया हो जाये, और इसकी हालत भी किंगफ़िशर एयरलाइंस जैसी हो जाये। सरकार ने इसकी 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का एलान कर दिया। जिससे कंपनी भी बची रहे और कर्मचारियों का नुकसान भी न हो।

लेकिन भारत सरकार जिस प्रकार से अन्य सरकारी सार्वजनिक कंपनियों या एयर इंडिया के विनिवेश की जो नीति अपना रही है, वो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कितनी प्रभावशाली रहेगी। इसी विषय में गणेशास्पीक्स डॉट कॉम के अनुभवी ज्योतिषी विशेषज्ञों ने 21 फरवरी 1960 की तारीख को ध्यान में रखते हुए एयर इंडिया की कुंडली के आधार पर ज्योतिषीय विश्लेषण करने की कोशिश की है। तो आइये जानते हैं, क्या कहते हैं एयर इंडिया के सितारे वैदिक ज्योतिषी के अनुसार।

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एयर इंडिया की कुंडली

एयर इंडिया की स्थापना के विश्वसनीय समय की अनुपलब्धता के कारण, 21 फरवरी 1960 की तिथि को आधार मानते हुए सूर्य कुंडली के आधार पर केवल स्थापना के स्थान और तारीख के अनुसार इसके विश्लेषण और पूर्वानुमान किए गए हैं।
नाम – एयर इंडिया
स्थापना की तिथि – 21 फरवरी 1960
स्थान – नई दिल्ली
समय – अज्ञात

गणेशजी कहते हैं कि जिस प्रकार से एयर इंडिया प्रमुख रूप से आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रही है, इसका भविष्य अनिश्चितताओं से भरा हुआ दिखाई दे रहा है। आइए देखें कि सितारे एयर इंडिया के भविष्य के लिए क्या बता रहे हैं।

भारत सरकार की विनिवेश योजना एयर इंडिया के लिए कितनी प्रभावी रहेगी?

बृहस्पति का ग्रह गोचर एयर इंडिया के लिए अनुकूल प्रतीत हो रहा है। बृहस्पति ग्रह, जन्म के बृहस्पति और कुंडली के 11वें भाव से होकर गोचर कर रहा है। इस समय में एयर इंडिया अपनी आर्थिक तंगी में कुछ राहत की उम्मीद कर सकती है। शनि का अशुभ गोचर या शनि की साढ़े साती जो कि पिछले साढ़े 7 साल से चल रही थी, अब खत्म हो गयी है, और अब हम व्यापक समाधान की उम्मीद कर सकते हैं।

एयर इंडिया की बेहतर प्रगति के लिए जून 2020 के बाद की समय सीमा अनुकूल रहेगी। ऐसा प्रतीत होता है कि सितंबर से नवंबर 2020 की समयावधि के दौरान अनिश्चितता स्पष्ट हो जाएगी।

क्या विनिवेश के बाद एयर इंडिया 60,000 करोड़ रुपये के क़र्ज़ से उबर पायेगी?

एयर इंडिया की कुंडली का अध्ययन करने पर ज्ञात होता है, की बृहस्पति के गोचर प्रभाव के कारण विनिवेश के बाद कंपनी को कुछ वित्तीय राहत मिलने की संभावना है। हालांकि पर्याप्त सौदा ऋण से पूरी तरह से उबरने के लिए बहुत संतोषजनक नहीं रहेगा है, क्योंकि क्रेता कंपनी को मात्र 23,286 करोड़ रुपए के कर्ज़ का उत्तरदायित्व दिया जायेगा, जबकि बाकी बचे लगभग 37 हजार करोड़ रुपए का ऋण भारत सरकार ही चुकाएगी। लेकिन फिर भी वर्तमान स्थिति में कुछ राहत अवश्य दिखाई देगी। विनिवेश के बाद काफी कुछ पहलू क्रेता कंपनी पर भी निर्भर करेंगे कि वे किस प्रकार से एयर इंडिया का प्रबंधन करते हैं, और अपने ग्राहकों को कितना संतुष्ट कर पाते हैं।

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क्या सरकारी सार्वजनिक कंपनियों के विनिवेश के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था गति पकड़ेगी?

गणेशजी कहते हैं कि अभी इस मामले की भविष्यवाणी करना जल्दबाजी होगी। क्योंकि विनिवेश के बाद इसमें कई सुधार किये जायेंगे और कुछ नई नीतियों को भी अमल में लाया जायेगा। उन तमाम नीतियों और स्थितियों को ध्यान में रख कर ही समय, काल और परिस्थिति के अनुसार ज्योतिषीय गणना करके गणेशाजी भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव की भविष्यवाणी कर पाएंगे।

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गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम