होम » भविष्यवाणियों » ज्योतिष » कितनी है आपकी विदेश यात्रा की संभावनाएं?

कितनी है आपकी विदेश यात्रा की संभावनाएं?

कितनी है आपकी विदेश यात्रा की संभावनाएं?

इन दिनों लोग अपने ज्योतिषियों से एक सवाल अवश्य पूछ रहे हैं कि “क्या हमारी कुंडली में विदेश यात्रा का योग है?” आईटी उद्योग का विस्तार, शिक्षा और वहां बसने के लिए शादी, यह ऐसे सपने हैं जिनको पूरा करने के लिए भारतीय विदेश यात्रा करने की महत्वाकांक्षा रखते हैं। विदेश यात्रा के लिए मुख्यतः 1, 3, 4, 7, 9, और 12 वां भाव जिम्मेदार हैं, तो आइये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं:


इन दिनों बहुत से छात्र विदेश में अध्ययन करने के लिए उत्सुक हैं और वह विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग युनिवर्सिटी का पता लगा रहे हैं। विद्यार्थियों की यह जिज्ञासा भी उन्हें विदेश यात्रा के लिए प्रेरित कर रही है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार शिक्षा के लिए विदेश यात्रा 5 वें भाव के देवता का 12 वें भाव के स्वामी से संबंध पर निर्भर करता है। यदि पंचम भाव का स्वामी 12वें भाव में हो या 12वें भाव का स्वामी 5वें भाव में हो तो जातक के उच्च शिक्षा या अन्य शिक्षा के लिए विदेश जाने की संभावना प्रबल होती है। अप्रवास और ज्योतिष के बीच संबंधों के बारे में अधिक जानने के लिए अभी पढ़ें।


इस चार्ट में, हम देख सकते हैं कि 12वें घर के स्वामी बृहस्पति 5वें घर में, 5वें घर के स्वामी शुक्र और लग्न के स्वामी शनि के साथ स्थित हैं, यह विदेश में उच्च शिक्षा के लिए एक अद्भुत ‘योग’ बना रहा है।

विदेश जाना चाहते हैं, बार-बार कोशिश करने के बाद भी आप नाकाम हो रहे हैं, तो हर प्रकार की समस्या और बाधा को दूर करने के लिए हमारे द्वारा प्रदान की जा रही विदेश योग तांबे के यंत्र का उपयोग करें।


ज्योतिषीय योगों और भाव में संबंध विदेश में स्थायी निवास के लिए योग बनाते हैं। विदेश में स्थायी रूप से बसने के लिए चतुर्थ भाव के स्वामी को 9वें भाव में 12वें भाव के स्वामी के साथ स्थित होना चाहिए।


उदहारण के तौर पर इस कुंडली को देखते हैं, कि इसमें कौन- कौन से विभिन्न कारक हैं जो यह जानने में सहायता कर सकते हैं कि कोई विदेश यात्रा कब, क्यों और कैसे कर सकता है। हमारे इस जन्मपत्री से पता करें कि क्या आपके पास इस साल विदेश यात्रा करने का मौका है या नहीं?

  • आप देख सकते हैं कि इस कुण्डली में नौवें और बारहवें भाव के स्वामी बुध चतुर्थ भाव में दसवें भाव के स्वामी चंद्रमा के साथ स्थित है, यह योग उच्च शिक्षा के लिए विदेश यात्रा का संकेत देता है।
  • अशुभ राहु चतुर्थ भाव में स्थित है।
  • लग्नेश 12वें भाव में स्थित है, जो विदेश में स्थायी निवास के लिए संकेत देता है।
  • चतुर्थांश में बारहवें भाव के स्वामी मंगल, केतु के साथ चौथे भाव में है और चौथे भाव के स्वामी बृहस्पति बारहवें भाव में स्थित है जोकि विदेश में स्थायी प्रवास की पुष्टि करता है।

ज्योतिष के अनुसार दुनिया में किसी भी जगह विदेश यात्रा संभव होने की आशाजनक और आशावादी अवधि निम्नलिखित हैं:

  • नौवें या बारहवें भाव के स्वामी की दशा/अंतर्दशा या फिर बारहवें भाव के स्वामी के साथ अन्य ग्रहों की दशा विदेश यात्रा की पुष्टि करती है।
  • बारहवें भाव में स्थित किसी ग्रह की दशा/अंतर्दशा भी विदेश यात्रा की पुष्टि करती है।
  • अशुभ ग्रह राहु की दशा/अंतर्दशा विदेश यात्रा का संकेत देती है।

नोट : इन सभी योगों का परीक्षण चंद्र राशि और नवांश कुंडली से करें।

विदेश यात्रा में आने वाली बाधा को दूर करने, अधिक धन और सुख प्राप्त करने के लिए हमारे द्वारा प्रदान की जा रही एक मुखी रुद्राक्ष का उपयोग करें।

किसी भी व्यक्तिगत समस्या का समाधान प्राप्त करने के लिए अभी हमारे ज्योतिषी से संपर्क करें!

गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम



Exit mobile version