होम » भविष्यवाणियों » ज्योतिष » मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने की परंपरा एवं ज्योतिषीय महत्व

मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने की परंपरा एवं ज्योतिषीय महत्व

मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने की परंपरा एवं ज्योतिषीय महत्व

जानिए मकर संक्रांति पर क्यों है खिचड़ी खाने की परंपरा

मकर संक्रांति का हिन्दू धर्म में काफी महत्व है। सूर्य के उत्तरायण होने के कारण दिन बड़े होने लगते हैं। इस दिन तिल दान का धार्मिक महत्व है तो खिचड़ी खाने का भी एक अलग महत्व है। यही कारण है कि कहीं-कहीं खासकर बिहार और उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति को ‘खिचड़ी’ के नाम से भी जाना जाता है। यहां हम जानेंगे कि मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी का क्या महत्व है।

खिचड़ी तेरे रुप अनेक

– मकर संक्राति को कई जगहों पर खिचड़ी के नाम से जाना जाता है औऱ इस दिन खिचड़ी खायी जाती है।
– केरल, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक में इसे संक्रांति कहा जाता है। तमिलनाडु में पोंगल तो पंजाब और हरियाणा में इसे लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है।
– असम में इस पर्व को बिहू के रुप में तो बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने की पुरानी परंपरा रही है।

यदि आप जानना चाहते हैं कि 2024 में आपका जीवन कैसा होगा, तो 2024 की विस्तृत रिपोर्ट पढ़ें…

 

बाबा गोरखनाथ ने शुरू की खिचड़ी की परंपरा

माना जाता है कि मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनने की परंपरा बाबा गोरखनाथ थे। ऐसा माना जाता है कि नाथ योगियों को खिलजी से लगातार संघर्ष के कारण खाना बनाने का समय नहीं मिल पाता था। इस वजह से ये योगी अक्सर भूखे रह जाते थे। योगियों की हालत देख बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्जी को साथ में पकाकर खाने की सलाह दी। बस यह स्वादिष्ट व्यंजन तैयार हो गया। यह बनाने में बहुत सरल भी था। बाद में जब खिलजी को दूर भगाने में योगी सफल हुए, तो मकर संक्रांति पर इस महत्वपूर्ण भोजन बनाकर भोग लगाया, बस कहते हैं तभी से इस तरह की परंपरा शुरू हुई।

Also Read: जानिए 2024 में सूर्य के मकर राशि में गोचर का क्या होगा असर?

खिचड़ी का ज्योतिषीय महत्व

मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी की पौराणिक मान्यता है। इस दिन खास तौर पर खिचड़ी खायी जाती है।
– खिचड़ी को आयुर्वेद में सुपाच्य भोजन की संज्ञा दी गई है। स्वास्थ्य के लिए भी यह औषधि के समान है। कई बार रोगियों को डॉक्टर खिचड़ी खाने की सलाह देते हैं।
– आयुर्वेद में चावल को चंद्रमा का रूप माना जाता है। शास्त्रों में भी चावल को चंद्रमा और काली उड़द की दाल को शनि का प्रतीक माना गया है। इसी तरह हल्दी को बृहस्पति तो नमक को शुक्र का प्रतीक माना गया है। इनके अलावा हरी सब्जियों का बुध से संबंध होता है। खिचड़ी की गर्मी व्यक्ति को मंगल और सूर्य से जोड़ती है। इस तरह खिचड़ी खाने से सभी प्रमुख ग्रह मजबूत हो जाते हैं। मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन नए अन्न की खिचड़ी खाने से पूरे साल आरोग्यता रहती है।

गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम

ये भी पढ़ें-
मकर संक्रांति पर क्यों है तिल ग्रहण करने की परंपरा
इस महीने करें पुत्रदा एकादशी व्रत, पाएं सुखी संतान
चाइनीज नववर्ष से जानें अपना भविष्यफल
2024 में विवाह के लिए जानिए तारीख