माघ मास में स्नान और तिल द्वादशी व्रत से पूर्ण होती है मनोकामनाएं
माघ महीने की कृष्ण पक्ष की द्वादशी को तिल द्वादशी का व्रत किया जाता है। वर्ष 2019 में यह व्रत 16 फरवरी को मनाया जाएगा। इस दिन खास तौर पर तिल से भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। तिल द्वादशी के दिन पवित्र नदियों में स्नान व दान करने से मनुष्य को शुभ फल की प्राप्ति होती है।
भगवान को अतिप्रिय है माघ का महीना
हिन्दू धार्मिक ग्रंथ पद्म पुराण में माघ मास के माहात्म्य का वर्णन किया गया है। कहा गया है कि पूजा करने से भी भगवान श्री हरि को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी केवल माघ माह में स्नान से होती है। ऐसे में सभी पापों से मुक्ति और भगवान श्री हरि का प्रेम प्राप्त करने के लिए माघ स्नान अवश्य करना चाहिए। कहा जाता है कि जो मनुष्य माघ मास में तपस्वियों को तिल दान करता है, वह कभी नर्क का भागी नहीं होता। इतना ही नहीं माघ मास की द्वादशी तिथि को उपवास कर भगवान की पूजा करने से व्यक्ति को राजसूय यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
माघ स्नान का नियम
कार्तिक स्नान की तरह माघ स्नान का भी नियम है। अगर माघ माह की बात करें तो शास्त्रों के मुताबिक इस माह की हर तिथि एक पर्व है। अगर बीमारी के कारण कोई पूरे माह स्नान न कर सके तो तो वह 3 दिन अथवा 1 दिन माघ स्नान व्रत का पालन कर सकता है।
तिल द्वादशी से मिलती है पापों से मुक्ति
इस माह की तिल द्वादशी व्रत का भी महत्व है। अगर एकादशी की तरह ही पूर्ण पवित्रता के साथ शांत चित्त रखते हुए पूर्ण श्रद्धा-भक्ति से किया जाता है तो यह व्रत मनुष्य के सभी कार्य सिद्ध करके उसे पापों से मुक्ति दिलाता है।
तिल द्वादशी-पूजन विधि
तिल द्वादशी के दिन सुबह पूजा का संकल्प लेकर षोड़शोपचार या पंचोपचार विधि से ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करते हुए पूजन करना चाहिए। सुबह स्नान आदि से निवृत होकर सूर्य देव को नमस्कार करें और तांबे के पात्र में सुगंध, अक्षत, तिल, जल तथा फूलों को मिलाकर सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए अर्घ्य देना चाहिए।
तिल द्वादशी का महत्व
तिल द्वादशी के दिन भगवान को धूप व दीप दिखाकर, फल, फूल, चावल, रौली, मौली, पंचामृत से स्नान आदि कराने के बाद भगवान को तिल से बनी वस्तुओं या तिल तथा गुड़ से बने प्रसाद का भोग लगाना चाहिए। इस दिन व्रतधारी को पीले वस्त्र धारण करने चाहिए। इस व्रत को भगवान श्री कृष्ण स्वयं का स्वरूप कहा है। तिल द्वादशी व्रत से सुख और वैभव की प्राप्त होती है समस्त पापों का नाश होता है। इस दौरान ब्राह्मण को तिल का दान, पितृ तर्पण, हवन, यज्ञ, आदि का काफी महत्व है। इस दिन व्रत रखने वाले जो व्यक्ति व्रत नहीं रखते हैं, वे भी अगर अपनी क्षमता के अनुसार गरीबों को दान करते हैं तो शुभ फल की प्राप्ति होती है। भगवान श्री विष्णु के विधिवत पूजन से घर-परिवार के सुख व समृद्धि में वृद्धि होती है।
माघ मास का हर दिन है पवित्र
-माघ माह की शुरूअात 22 जनवरी 2019 से शुरू होगी। इस माह नदी में स्नान करने से विशेष ऊर्जा की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही सभी पापों से भी छुटकारा मिल जाता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
– धार्मिक दृष्टिकोण से भी माघ मास का काफी महत्व है। माघ मास में खिचड़ी, घी, नमक, हल्दी, गुड़, तिल का दान करने से अति पुण्यफल की प्राप्ति होती है।
– मान्यता है कि इस माह एक दिन के स्नान से श्रद्धालु स्वर्ग लोक का उत्तराधिकारी बन सकता है।
– माघ माह में नर्मदा, गंगा, यमुना, सरस्वती, कावेरी सहित नदी तट पर माघ मेला भी लगता है।
– माघ मास में तीर्थ स्नान के साथ ही दान का भी विशेष महत्व है। इस माह तिल, गुड़ और कंबल अादि के दान से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
– पद्मपुराण के मुताबिक अन्य मास में जप, तप और दान से भगवान विष्णु जितने प्रसन्न नहीं होते उतने माघ मास में नदी या तीर्थस्थलों पर स्नान करने से होते हैं।
– मान्यता है कि माघ मास की पूर्णिमा को नदी में स्नान और दान से सूर्य और चंद्रमा के दोषों से भी मुक्ति मिलती है।
गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम
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