वैदिक ज्योतिष की उत्पत्ति के साथ ही इसका उपयोग प्रमुख रूप से देश-दुनिया में घटने वाली अप्रिय घटनाओं का आंकलन करने के लिए किया जा रहा है। प्राचीन समय में कई महान ज्योतिषीयों ने भारत वर्ष और दुनिया के कई हिस्सों के बारे में भविष्यवाणियां की, जो ना सिर्फ समय के साथ सही साबित हुई। बल्कि उन विपत्तियों से निपटने के लिए पहले से की गई व्यवस्थाओं के कारण बहुत हद तक जनहानि और जान-माल के नुकसान को कम भी किया जा सका। समय-समय पर ब्रह्मांड में मौजूद ग्रह-नक्षत्र कुछ ऐसी स्थिति में आ जाते है, जिसका व्यापक असर पृथ्वी पर मौजूद प्राणी मात्र पर अलग-अलग तरह से पड़ता है। ऐसी ही एक स्थिति आगामी 16/12/2019 से 16/01/2019 के दौरान बनने वाली है। इस दौरान 6 ग्रहों की महायुति(महासंयोग) बनने वाली है। ग्रहों के इस महासंयोग के दौरान कई विपरीत आचरण वाले ग्रह एक साथ एक भाव में विचरण करेंगे। इस दौरान इन ग्रहों की संयुक्त ऊर्जा बेहद ही तीव्र और प्रभावशाली रहेगी। ग्रहों के इस योग का प्रत्यक्ष प्रभाव जातक निजी कुंडली का अध्यन करके ही निकाला जा सकता है।
दिसंबर में बन रहा 6 ग्रहों का महासंयोग, आप पर पड़ने वाला प्रभाव और समाधान
लेकिन इस महासंयोग का असर सिर्फ मनुष्यों तक ही सीमित नहीं रहेगा। इसका प्रभाव देश और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों पर अलग-अलग तरह से पड़ने वाला है। गणेशास्पीक्स की टीम ने ग्रहों के इस महासंयोग का, भारत पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन करने के लिए देश के जाने-माने और गणेशस्पीक्स.कॉम के वरिष्ठ ज्योतिषी आचार्य धर्माधिकारी जी का सहारा लिया। उन्होंने ग्रहों की इस महायुति का भारत की कुंडली पर पड़ने वाले प्रभाव का विस्तार से अध्ययन किया और भविष्य के गर्भ में छुपी कई संभावनाओं को आप तक पहुंचाने का प्रयास किया।
उपरोक्त प्रथम कुंडली भारत देश के स्थापना की कुंडली है, दूसरी महासंयोग के समय की भारत की कुंडली है। मतलब एक कुंडली में बताया गया है कि भारत की स्थापना के समय ग्रहों की स्थिति क्या थी, और दूसरी कुंडली में मौजूदा समय में ग्रहों की स्थिति को बताया गया है। दूसरी कुंडली में आप आसानी से देख पाएंगे की आगामी दिनों में बनने वाला ग्रहों का महासंयोग, भारत वर्ष की कुंडली के 8वें भाव में निर्मित हो रहा है। कुंडली का आठवां भाव आयुष्य, मृत्यु, दुर्घटना और नुकसान से संबंधित है। इस भाव में ग्रहों का महासंयोग अप्रिय और प्रतिकूल स्थिति की ओर इशारा करता है। भारत वर्ष के परिपेक्ष में 16 दिसंबर से 16 जनवरी तक का समय काफ़ी मुश्किल भरा हो सकता है। इस दौरान ग्रहों की जो स्थिति उभरकर सामने आ रही है। वह अनुकूल परिस्थितियों का चित्रण नहीं करती, अपितु अनुचित और अप्रिय घटनाओं का प्रतिनिधित्व करती है। ग्रहों के इस संयुक्त गोचर की शुरूआत 16 दिसंबर से होगी। इस दिन से सभी ग्रह एक-एक कर महायुति के निर्माण के लिए आगे बढ़ेंगे। 26 दिसंबर तक यह महायुति या महासंयोग अपने चरम पर होगा। जिसके बाद से इस महायुति का विघटन या विच्छेदन होने लगेगा। 16 जनवरी 2020 तक इस शक्तिशाली महायुति का अंत हो जाएगा।
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उल्लेखित समयावधि के दौरान की भारत की कुंडली देखने पर पता चलता है कि, ग्रहों की यह प्रतिकूल महायुति 8वें घर में निर्मित हो रही है। जिससे देश पर कई तरह की विपत्तियों की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। ग्रहों के इस महासंयोग के कारण देश में महामारी, जन-जीवन की हानि, युद्ध या ऐसी दुर्घटना जिससे उभरने में समय लगे या अचानक आर्थिक गिरावट का भी ख़तरा बना रहेगा। ग़ौरतलब है कि बीते दिनों सरकार द्वारा जारी जीडीपी के आंकड़ों में भारी गिरावट दर्ज की गई है। इस तरह के सरकारी आंकड़े आने वाले समय की रूपरेखा तय कर, महायुति के नकारात्मक प्रभावों पर मुहर लगाने का काम करते है।
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इसके साथ ही ग्रहों की यह महायुति अग्नितत्व की राशि में होने के कारण बढ़े स्तर पर आग की दुर्घटनाओं के होने की संभावना भी बनी रहेगी। इस महायुति से अलग मंगल भी अपनी स्वग्रही राशि में गोचर करने वाला है। मंगल के इस गोचर से देश-दुनिया में भूकंप और ज्वालामुखी जैसी घटनाओं की संभावनाओं को बल मिलता है। ग्रहों के इस महासंयोग में सीमित समय के लिए चंद्रमा भी मौजूद रहेगा, जिससे समुद्री लहरों (सुनामी) से जान-माल की हानि के संकेत मिलते है। भारत वर्ष की कुंडली की विवेचना के बाद इस बात के साफ संकेत मिलते है, कि मौजूदा साल का अंत और आगामी नए साल की शुरूआत दोनों ही देश के लिहाज से अनुकूल नहीं रहने वाले है।
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गणेशजी की कृपा से,
गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
आचार्य धर्माधिकारी
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम