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ग्रहों के राजा सूर्य का कुंभ गोचर, जानिए अपनी राशि पर पड़ने वाले प्रभाव

ग्रहों के राजा सूर्य का कुंभ गोचर, जानिए अपनी राशि पर पड़ने वाले प्रभाव

हमारे सौरमंडल में मौजूद सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हुए राशियों का भ्रमण करते हैं, लेकिन ग्रहों के राजा सूर्य सिर्फ राशिचक्र का भ्रमण करते हैं। सूर्य लगभग एक साल में राशिचक्र की सभी बारह राशियों का भ्रमण पूरा कर लेते हैं। राशिचक्र के भ्रमण के दौरान सूर्य सामान्य तौर पर एक राशि के भ्रमण में लगभग एक महीने का समय लगाते हैं। लेकिन अन्य साथी ग्रहों की तरह सूर्य और चंद्रमा अपने भ्रमण चक्र में वक्री या मार्गी नहीं होते। फिलहाल सूर्य मकर राशि में अपने शत्रु ग्रह शनि के साथ भ्रमण कर रहे हैं। लेकिन आगामी 13 फरवरी को सूर्य, मकर में अपना भ्रमण पूर्ण कर कुंभ में गोचर करने वाले हैं। सूर्य का कुंभ में गोचर 2020, 13 फरवरी से शुरू होकर 14 मार्च तक जारी रहने वाला है। वैदिक ज्योतिष में सूर्य को शरीर, चरित्र, तेज, आत्मा, संपन्नता और पद का प्रतीक माना गया है। फरवरी के मध्य में सूर्य का राशि परिवर्तन होने वाला है, और सूर्य कुंभ राशि में गोचर करने वाले हैं।

कुंभ, वायु तत्व की स्थिर राशि है, इसके स्वामी शनि हैं, और ज्योतिष में शनि व सूर्य के संबंधों को दुष्प्रभावों का कारण बताया गया है। कुंभ शुद्रवर्ण की पुरूष संज्ञक द्विपाद, दिवाबलि, हस्व, शीर्षोदय अल्प प्रसव, विषम राशि है। कुंभ का स्वभाव मानवतावादी, विकासशील, महत्वकांशी, गूढ़ और गंभीर विचार कर्ता, प्रतिभाशाली और सामाजिक होता है। 13 फरवरी को कुंभ राशि में सूर्य का गोचर होने वाला है। एक महीने लंबे चलने वाले सूर्य के इस गोचर के राशिचक्र की तमाम राशियों पर शुभ-अशुभ प्रभाव देखने को मिलेंगे। गणेशास्पीक्स के अनुभवी ज्योतिषीयों ने राशि चक्र की तमाम राशियों पर चंद्र राशि कुंडली के आधार पर सूर्य के कुंभ गोचर के प्रभावों की विस्तार से विवेचना की है।

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चंद्र राशि मेष कुंडली के पांचवें भाव के स्वामी सूर्य हैं, और उनका गोचर कुंडली के ग्यारहवें भाव में हो रहा है। कुंडली का ग्यारहवां भाव लाभ स्थान होकर यश, कीर्ति, कृपा, आवक, आर्थिक लाभ और महत्वाकांक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों से संबंध रखता है। मेष जातकों के जीवन पर सूर्य के कुंभ गोचर का शुभ और लाभकारी प्रभाव देखने को मिलेगा। इस दौरान आप अपने गुणों का विकास कर सकते हैं, और आपको इसका लाभ भी मिल सकता है। इस दौरान सभी लंबित परियोजनाओं को पूरा करने लिए सकारात्मक प्रयास करने का सटीक समय है। इस दौरान आपको नौकरी और व्यावसायिक मोर्चे पर अपने ईमानदार प्रयासों के लिए पदोन्नति और अधिक मान सम्मान मिलने की संभावना है, इस चरण में आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा भी बढ़ने वाली है। सूर्य का कुंडली के ग्यारहवें भाव में गोचर आपकी कुंडली में यात्रा के संकेत भी देता है, सूर्य के प्रभाव से ये यात्राएं धार्मिक या तीर्थ से जुड़ी हो सकती हैं। कुल मिलाकर सूर्य का कुंभ में गोचर मेष राशि जातकों के जीवन में कुछ अच्छे और सकारात्मक बदलाव लेकर आने वाला है।


सूर्य, चंद्र राशि वृषभ कुंडली के चौथे भाव का स्वामी होकर इसके दसवें भाव में गोचर करने वाला है। कुंडली का दसवां भाव केंद्रीय भाव होकर कर्म स्थान कहलाता है, इसका संबंध जातक के कर्म, व्यापार, व्यवसाय, वैभव, समृद्धि, कार्य यश, सरकार और सार्वजनिक जीवन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों से होता है। वृषभ राशि जातकों के लिए सूर्य का कुंभ गोचर करियर से जुडे मामलों पर सीधा असर डाल सकता है। यह समयावधि आपके जीवन के लिए बेहद महत्वपूर्ण रहने वाली है, इस दौरान आपको अपनी नौकरी या पेशेवर जीवन के कुछ क्षेत्रों में सुधार करने के संकेत मिलने वाले हैं। इस अवधि के दौरान आपको अपनी ग़लतियाँ सुधारने के मौके भी मिलेंगे, लेकिन यदि आपने इन उपयोगी मौक़ों का उपयोग अपने लाभ के लिए नहीं किया तो आपको इसके दुष्परिणाम भी भुगतने पड़ सकते हैं। सूर्य के कुंभ गोचर के दौरान आपको अपने रवैये को अधिक सहज और प्रेम पूर्ण बनाने की कोशिश करनी चाहिए। सूर्य के कुंभ गोचर 2020 के दौरान परिवर्तन को स्वीकार करना आपके लिए बेहद जरूरी हो जाता है। यदि आप अपने स्वभाव और रवैये में परिवर्तन नहीं लेकर आते, तो आपको बेहद जटिल और मुश्किल परिस्थितियों का सामना भी करना पड़ सकता है। सूर्य के कुंभ में गोचर के दौरान आपको सकारात्मक सोच के साथ अपने निर्धारित लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ना चाहिए।


चंद्र राशि मिथुन कुंडली के तीसरे भाव के स्वामी हैं सूर्य, और उनका गोचर कुंडली के नौवें भाव में होने वाला है। कुंडली का नौवां भाव धर्म या भाग्य स्थान होकर धर्म, तीर्थ और अंतर्ज्ञान से संबंध रखता है। कुंडली के नौवें भाव के कारक सूर्य हैं, जिनका मिथुन कुंडली के नौवें भाव में गोचर हो रहा है। सूर्य का कुंभ गोचर मिथुन राशि जातकों पर अनुकूल प्रभाव डालने वाला है, इस दौरान आपको करियर के मोर्चे पर प्रगति मिलने के कई अवसर मिलने की संभावना है। शैक्षणिक मोर्चों पर अच्छा प्रदर्शन करने की संभावना है। वित्तीय रूप से यह आपके लिए एक अच्छा साल रहने वाला है, क्योंकि इस दौरान आपके व्यवसाय में वृद्धि दिखाई देने की पूरी संभावना है। यदि आप नौकरीपेशा हैं, तो खुद को चुनौती पूर्ण परिस्थितियों से आसानी से बाहर कर पाएंगे। मिथुन कुंडली के नौवें भाव में सूर्य का गोचर तीर्थ यात्रा या धार्मिक अनुष्ठानों के लिए आपको प्रेरित करेगा। इस दौरान परिवार या जान पहचान में किसी मांगलिक कार्य की संभावना भी है।

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सूर्य चंद्र राशि कर्क कुंडली के दूसरे भाव का स्वामी है, और कुंडली के आठवें भाव में इसका गोचर हो रहा है। कुंडली का आठवां भाव आयुष्य या मृत्यु स्थान होकर विरासत, दुर्घटना, भयंकर नुकसान, अप्रत्याशित मृत्यु और हिस्सेदार के धन से संबंध रखता है। कर्क कुंडली के आठवें भाव में सूर्य का गोचर कर्क जातकों के लिए अनुकूल दिखाई नहीं देता, इस दौरान आपको जीवन के कुछ क्षेत्रों में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इस समयावधि के दौरान आपको वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ग़ौरतलब है कि कुंडली के आठवें भाव का संबंध भयंकर नुकसान से होता है, सूर्य का इस भाव में मौजूद रहना किसी बड़े नुकसान की ओर भी इशारा करता है, आपको सावधान रहने की जरूरत है। इस अवधि में संयुक्त खातों, वंशानुगत या पैतृक विरासत से संबंधित समस्याओं के अचानक उभरकर सामने आने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता। इस दौरान समस्याओं से निपटने के लिए आपको सकारात्मक सोच के साथ कड़ी मेहनत करनी चाहिए। इस दौरान स्वास्थ्य के संबंध में भी कुछ समस्याओं के उभरकर सामने आने की संभावना है, इसलिए नियमित स्वास्थ्य जांच की अनुशंसा की जाती है। कर्क कुंडली के आठवें भाव में सूर्य गोचर से आपका ध्यान आध्यात्मिक, ज्योतिष, मनोसाधना और अंर्तज्ञान की ओर आकर्षित होने की संभावना है।


सूर्य, चंद्र राशि सिंह कुंडली के लग्नेश हैं, और उनका गोचर कुंडली के सातवें भाव में हो रहा है। कुंडली का सातवां भाव कलत्र स्थान होकर साझेदारी और वैवाहिक जीवन से संबंध रखता है। सिंह कुंडली के सातवें भाव में सूर्य का गोचर आप पर औसत प्रभाव डालने का काम करेगा, इस दौरान आपके सामने समस्याओं का भंडार हो सकता है, जो एक के बाद एक आपके सामने आ सकती है। इस दौरान आपके कानूनी पचड़ों में फंसने की भी संभावना है। हालांकि इस दौरान आपकी वित्तीय स्थिति के स्थिर रहने की उम्मीद है, जो आपको व्यापारिक या व्यावसायिक मोर्चे पर जोखिम उठाने की अनुमति देती दिखाई देती है। वैसे सूर्य के कुंभ गोचर के दौरान आपको अपने किसी क़रीबी व्यक्ति द्वारा धोखा दिये जाने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। कुंडली के सातवें भाव में सूर्य का प्रभाव धर्म के प्रति आपके विचारों में प्रतिकूलता लाने का काम कर सकता है। इस दौरान मुख्य रूप से आपके सामने अपने साथी और प्रतिष्ठा से जुड़ी समस्या हो सकती है, हांलाकि गणेश जी की सलाह है कि आप इनके बारे में अनावश्यक चिंता न करें, और अपनी गति से लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ते रहें।


कन्या कुंडली के बारहवें भाव के स्वामी सूर्य का कुंडली के छठे भाव में गोचर हो रहा है। कुंडली का छठा भाव शत्रु स्थान होकर पीड़ा, भय, रोग की अवधि, शत्रु, दैनिक कार्य, बीमारी, कर्ज और नौकरी में परेशानी जैसे क्षेत्रों से संबंध रखता है। सूर्य का शत्रु स्थान पर गोचर आपके जीवन के कुछ बेहद महत्वपूर्ण क्षेत्रों में समस्याओं की ओर इशारा करता है। इस दौरान आपको करियर से जुड़े क्षेत्रों में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। नौकरीपेशा लोग खुद को काम के बोझ तले दबा पाएंगे। इस दौरान आपको अपनी स्थिति के प्रति सजग रहते हुए, सकारात्मक प्रयास करना एक बेहतर युक्ति हो सकती है। अन्यथा यह अवधि आपके करियर की वृद्धि पर कुछ प्रतिकूल प्रभाव डालने का काम कर सकती है। इस दौरान सकारात्मक ऊर्जा के साथ निश्चिंत होकर आपनी उम्मीदों को कम करने की सलाह दी जाती है, साथ ही आपको वित्तीय नुकसान के प्रति भी सजग रहने की कोशिश करनी चाहिए।

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चंद्र राशि तुला कुंडली के ग्यारहवें भाव के स्वामी सूर्य का कुंडली के पांचवें भाव में गोचर हो रहा है। कुंडली का पांचवां भाव संतान या विद्या स्थान होकर, संतान के जन्म, शिक्षा, ज्ञान, गूढ़ ज्ञान, उपासना, लेखन, आत्म अभिव्यक्ति और परमानंद जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों से संबंध रखता है। सूर्य का कुंभ गोचर तुला राशि जातकों पर औसत प्रभाव डालने वाला है। कुंडली के पांचवें भाव में सूर्य के प्रभाव के कारण इस पूरी अवधि में आप खुद को अधिक विचलित महसूस करेंगे। इस दौरान किसी भी कार्य में आपको ध्यान लगाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ सकती है। इस दौरान व्यर्थ की गतिविधियों पर समय खर्च करने से बचने की सलाह है, क्योंकि समय बीतने के बाद आपको निराशा हो सकती है। पांचवें भाव में सूर्य की मौजूदगी प्रेम संबंधों के लिहाज से भी प्रतिकूल परिस्थिति का निर्माण कर सकती है, इस दौरान सूर्य के प्रभाव में आपको प्रेम जीवन में कुछ प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। सूर्य का यह गोचर, लेखन से संबंधित कार्यों में जुटे जातकों को नई सोच के साथ रचनात्मक लेखन करने में भी सहायता कर सकता है।


चंद्र राशि वृश्चिक कुंडली के दसवें भाव के स्वामी सूर्य का कुंडली के चौथे भाव में गोचर हो रहा है। कुंडली का चौथा भाव सुख स्थान होकर, माता, सुख, मकान, वाहन, ज़मीन, तृष्णा, लालसा, महत्वाकांक्षा, घनिष्ठ प्रेम और मित्र जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों से संबंध रखता है। वृश्चिक कुंडली के चौथे भाव में सूर्य का कुंभ गोचर वृश्चिक जातकों के जीवन में कुछ भावनात्मक चुनौतियों की ओर इशारा करता है। इस दौरान आपको सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों पर ध्यान देने की कोशिश करनी चाहिए, इस दौरान आपके लिए ऐसा करना आवश्यक भी हो सकता है। करियर के क्षेत्र में कुछ उतार चढ़ावों की संभावना है, नौकरीपेशा लोगों के अपने वरिष्ठ या उच्च अधिकारियों के साथ वाद विवाद हो सकते हैं या ट्रांसफर भी हो सकता है। इस चरण के दौरान निजी या पारिवारिक जीवन में भी कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। स्वास्थ्य के मोर्चे पर भी आपको कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है, इस दौरान आपको सिर दर्द, जोड़ों के दर्द या रक्त से संबंधित बीमारियों का सामना भी करना पड़ सकता है। सूर्य के कुंभ गोचर 2020 के चरण में आपके सामने आने वाली परिस्थितियों से आप चिड़चिड़ापन या तनाव महसूस कर सकते हैं, इस दौरान भावनात्मक स्थिरता बनाए रखना भी मुश्किल होने वाला है।


सूर्य, चंद्र राशि धनु कुंडली के नौवें भाव के स्वामी होकर तीसरे भाव में गोचर कर रहे हैं। कुंडली का तीसरा भाव पराक्रम स्थान होकर, पौरुष, पराक्रम, दोस्त, लघु प्रवास, भाई, कार्य सफलता और महत्वपूर्ण फेरबदल से संबंध रखता है। धनु कुंडली के तीसरे भाव में गोचर कर रहे सूर्य के प्रभाव से आप अपनी बुद्धि के बल पर सफलता प्राप्त कर सकते हैं। इस दौरान आपकी रचनात्मकता और नवीन विचार आपको अपने क्षेत्र में सफलता के शिखर पर पहुंचा सकते हैं। इस दौरान आपको नाम, प्रसिद्धि और पैसा तीनों मिलने की संभावना है। इस दौरान आप अपनी योजनाओं को अधिक बेहतर ढंग से क्रियांन्वित कर सकते हैं। सूर्य के प्रभावों में आपको भौतिक रूप से प्रगति करनी चाहिए। इस दौरान कुछ मामूली समस्याओं के बावजूद आपको सामाजिक प्रशंसा मिलने की संभावना है। कुल मिलाकर कहें तो, सूर्य का कुंभ गोचर आपको शुभ और लाभदायक परिणाम देने की क्षमता रखता है।

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सूर्य, चंद्र राशि मकर कुंडली के आठवें भाव के स्वामी हैं और कुंडली में उनका गोचर दूसरे भाव में हो रहा है। कुंडली का दूसरा भाव धन अथवा कुटुंब स्थान के नाम से जाना जाता है। कुंडली के दूसरे भाव का संबंध धन, चल-अचल संपत्ति, कुटुंब, वाणी, वंश, धन संग्रह और विरासत संपत्ति जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों से होता है। सूर्य के कुंभ गोचर 2020 का मकर कुंडली जातकों पर मिलाजुला प्रभाव देखने को मिलेगा। इस चरण के दौरान आपका मुख्य ध्यान परिवार और वित्त से संबंधित मामलों को व्यवस्थित करने पर होगा। कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य की मौजूदगी आपको संयुक्त बैंक खातों, संपत्ति और विरासत से संबंधित मामलों में कुछ लाभ देने की संभावना को दर्शाती है। इस समयावधि के दौरान आप अपनी जीवनशैली में कई सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रयासरत रह सकते है। हालांकि इस दौरान आर्थिक दृष्टिकोण से आप उतने संतुष्ट नजर नहीं होंगे जितनी आप उम्मीद करते हैं। इस दौरान आर्थिक मोर्चे पर आपकी प्रगति उतनी तेज नहीं रहने वाली जितनी इस दौर से पहले थी, साथ ही इस दौरान आपको अपना लंबित बकाया वसूलने में भी देरी का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि सूर्य के प्रभाव में आप इन समस्याओं से समय रहते ही निजात भी पाने वाले हैं।


मकर से राशि परिवर्तन कर सूर्य, कुंभ राशि में गोचर करने वाले हैं, इस दौरान सूर्य कुंभ कुंडली के सातवें भाव के स्वामी हैं और उनका गोचर कुंडली के प्रथम भाव में होने वाला है। कुंडली का प्रथम भाव लग्न भाव होकर शरीर, स्व संरचना, स्वरूप, चरित्र, इच्छा, मनोबल, मनोवृत्ति, संतोष, बल और कीर्ति जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों से संबंध रखता है। सूर्य का प्रथम भाव में गोचर कुंभ राशि जातकों के लिए सांसारिक दृष्टिकोण और आत्म उद्देश्य लेकर आने की संभावना रखता है। इस अवधि के दौरान आप पूरी तरह से अपने आप पर ध्यान केंद्रित करेंगे। इस दौरान आप यथार्थवाद की आवश्यकता महसूस कर सकते हैं, और एक मजबूत पहचान प्राप्त करने की तीव्र इच्छा भी आपको प्रभावित कर सकती है। इस चरण के दौरान आप स्वयं के लिए नए लक्ष्यों का निर्धारण कर सकते हैं। इन नए लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आपकी बुद्धि और मन एक दिशा में काम करेंगे। लग्न में सूर्य की मौजूदगी आपको अपने से अलग किसी और की अपेक्षाओं और इच्छाओं के बारे में सोचने नहीं देंगी। इस दौरान अपनी वित्तीय स्थिति को स्थिर करने के लिए आप कड़ी मेहनत कर सकते हैं। इस दौरान नकारात्मक विचारों को दूर रखने से आपको अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में अधिक आसानी होने वाली है। इस समयावधि के दौरान आपके द्वारा किए गए परिश्रम और गंभीर प्रयासों के आधार पर आपको सफलता मिलने की पूरी संभावना है। लेकिन यह सुनिश्चित करें की अपनी व्यस्तता के बावजूद आप स्वास्थ्य के मुद्दे पर सचेत रहते हुए सभी जरूरी सावधानियां बरतने वाले हैं।


सूर्य, चंद्र राशि मीन कुंडली के छठे भाव का स्वामी है, और उनका गोचर कुंडली के बारहवें भाव में हो रहा है। कुंडली का बारहवां भाव व्यय स्थान होकर खर्च, भोगविलास, राज्य भय, जेल, त्रास, चिंता, धन हानि, नुकसान और गुप्त दुश्मन से संबंध रखता है। इस दौरान आप प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से बेहद व्यस्त दिनचर्या का हिस्सा बनने वाले हैं। प्रत्यक्ष का अर्थ आपके करियर, व्यापार व्यवसाय, नौकरी या पेशवर जीवन से है। वहीं परोक्ष का अर्थ मानसिक व्यस्तता से है, अर्थात इस दौरान आप शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से व्यस्त रहने वाले हैं। इस दौरान छोटे-मोटे मुद्दे भी आपको परेशान कर सकते हैं। आपके आसपास के लोग इस दौरान आप पर प्रभुत्व जमाने की कोशिश करेंगे। हालांकि अपने आत्मबल के दम पर इस स्थिति से बाहर निकलने में सफल होंगे। मीन कुंडली के बारहवें भाव में सूर्य के गोचर से आपको प्राण ऊर्जा की कमी का अहसास होगा। इस दौरान आप तनाव भी महसूस कर सकते हैं, और छोटी-छोटी बातों पर चिड़ना और आवेग में आ जाने की संभावना है। आपको मानसिक तौर पर भी अपनी स्थिति का बेहतर ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि इस दौरान आपको कुछ चिंताएं अंदर से भी परेशान कर सकती हैं। इस दौरान अपने लक्ष्य पर कायम रहे और एकाग्र रहने की कोशिश करें।

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गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम


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