शनि न्याय के देवता है। माना जाता है कि हर राशि पर शनि का प्रभाव लगभग साढ़े सात साल तक रहता है। 2019 में वृश्चिक, मकर और धनु राशि पर शनि का प्रभाव रहेगा। मतलब ये तीन राशियां महत्वपूर्ण रूप से शनि की साढ़े साती से ग्रसित रहेगी। इसके अलावा कुछ और राशियों पर भी शनि का प्रभाव रहता है।
लोगों में शनि को लेकर अनेक मान्यताएं हैं। कर्इ लोगों का मानना है कि जातक के जीवन में मुश्किलें और विघ्नों को लाने का काम शनि करता है। लेकिन, यह मान्यता सरासर गलत है। शनिदेव व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। शनि के शुभ होने पर वह जातकों को शुभ फल दिलाने के अलावा मोक्ष के मार्ग पर भी अग्रसर करता है।
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एक राशि में ढाई साल तक रहते हैं शनि
शनिदेव जब भी किसी राशि पर आते हैं तो वहां ढाई वर्ष तक भ्रमण करते हैं। शनि जिस भी राशि में होता है, उसका प्रभाव पहले और बाद की राशि पर पड़ने से शनि की अवधि कुल मिलाकर साढ़े सात वर्ष तक होती है। इसलिए, इस अवधि को शनि की साढ़े साती के नाम से पुकारा जाता है। जैसे कि शनि धनु राशि में है तो उसके पहले की राशि वृश्चिक के लिए शनि की साढ़े साती का अंतिम चरण, धनु के लिए साढ़े साती का दूसरा चरण और मकर राशि के लिए साढ़े साती का पहला चरण कहा जाएगा।
शनि की साढ़े साती से जुड़े तथ्यः ऐसे देते हैं शनि अच्छा फल
अगर आपकी जन्मकुंडली में जन्म के चंद्र से बारहवें, पहले और दूसरी राशि से शनि का भ्रमण होता हो तो आप शनि के प्रभाव में कहे जाएंगे। साढ़े साती के दौरान ढाई-ढाई वर्ष के तीन चरण होते हैं। हर एक जातक की कुंडली में जब साढ़े साती की शुरुआत होती है, तब उसको इन तीन चरणों में से होकर गुजरना पड़ता है। तीन चरणों में से दूसरा चरण सबसे कठिन माना जाता है। सामान्य रूप से हर एक आदमी साढ़ेसाती को लेकर डरा और सहमा-सा रहता है। जो जातक सभी की मदद करते हैं, कपट नहीं करते, सदा पुण्य कर्म करते है, ईमानदार रहते हैं, अभिमान नहीं करते हैं उन सभी के लिए शनिदेव कभी भी बाधा नहीं बनते हैं। एेसे सच्चरित्र जातकों के ऊपर हमेशा शनिदेव की कृपा बनी रहती है।
ऐसे होते हैं शनि प्रसन्न
जन्मकुंडली में यदि शनि वक्री हो, नीच राशि (मेष राशि) का हो, अस्त का हो, पाप ग्रह केतु, मंगल, राहु या केतु के साथ युति, प्रतियुति या फिर दृष्टि संबंध बना रहा हो अथवा गोचर में शनि की बड़ी पनौती या छोटी पनौती हो तो एेसे जातकों को शनिदेव की सेवा करके उन्हें प्रसन्न करने का उपाय करना चाहिए।
वृश्चिक पर आखिरी तो मकर राशि पर शुरू हुई है साढ़े साती
शनि अभी धनु राशि में भ्रमण कर रहे हैं। इस कारण मकर राशि के जातकों के लिए वे जन्म के चंद्र से बारहवें में भ्रमण कर रहे होने से उनके लिए साढ़ेसाती का प्रथम चरण रहेगा। जब धनु राशि के जातकों के लिए शनि जन्म के चंद्र के ऊपरसे गोचर करता है, तो इस राशि के जातकों के लिए साढ़े साती का दूसरा चरण कहा जाएगा। वृश्चिक राशि के जातकों के लिए शनि जन्म के चंद्र से दूसरे स्थान पर गति करता है। इन जातकों के लिए साढ़े साती का अंतिम चरण रहेगा। कन्या राशि के जातकों के लिए शनि जन्मकालीन चंद्र से चौथे स्थान पर गोचर करता है। इसलिए, कन्या राशि के लिए शनि की छोटी पनौती (ढैय्या) कही जाएगी। वृषभ राशि की बात करें तो शनि जन्मकालीन चंद्र से आठवें स्थान पर से गतिमात होता है। शनि के इस चाल की वजह से वृषभ राशि के जातक इस समय शनि की छोटी पनौती की अवस्था से होकर गुजर रहे हैं।
शनि के इन उपायों को करने से मिलेगी शांति
– शनि मंत्र का नियमित रूप से जप करें। ये मंत्र हैं-
(1) ॐ शं शनैश्चराय नमः
(2) नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।
छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
– संपूर्ण आस्था और श्रद्धा के साथ शनि चालीसा का पाठ करें।
– प्रत्येक शनिवार को उड़द की दाल भोजन में लीजिए और एक समय उपवास करें।
– हर शनिवार को शनिदेव के मंदिर में जाकर तेल चढ़ाएं।
– हर शनिवार को उड़द की जलेबी या कचौड़ी बनाकर अपंग व दरिद्र व्यक्ति को खिलाने से शनिदेव की कृपा मिलती है।
– लोहे की अंगूठी को मध्यमा उंगली में धारण करें।लोगों में शनि को लेकर अनेक मान्यताएं हैं। कर्इ लोगों का मानना है कि जातक के जीवन में मुश्किलें और विघ्नों को लाने का काम शनि करता है। लेकिन, यह मान्यता सरासर गलत है। शनिदेव व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। शनि के शुभ होने पर वह जातकों को शुभ फल दिलाने के अलावा मोक्ष के मार्ग पर भी अग्रसर करता है।
– विशेषज्ञ की राय से शनि का रत्न नीलम पंचधातु की अंगूठी में जड़वाकर पहनने से शनिदेव के लाभदायी प्रभाव में बढ़ोतरी की जा सकती है।
– शनि यंत्र की पूजा करने से शनिदेव का आशीर्वाद मिलता है।
– हर शनिवार को उड़द की दाल, काला कपड़ा अथवा काला चादर किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दान में देने से शनिदेव खुश होते हैं।
– संध्याकाल के बाद और रात में सोने से पहले उत्तर दिशा की ओर मुख करके हनुमान चालीसा का पाठ करने से शनिदेव के दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है।
– हर शनिवार को बजरंगबली हनुमानजी को आक (आंकड़ा) के फूल की माला चढ़ाएं।
– शनिवार को पवनपुत्र हनुमानजी को तेल-सिंदूर चढ़ाकर शनिदेव की आराधना करें।
– भगवान शनिदेव को शुभ बनाने के लिए शनिवार को काले तिल के लड्डू बनाकर गाय या छोटे बालकों को खिलाएं।
– कुपित शनि को शांत करने के लिए सुंदरकांड या बजरंग बाण का पाठ करना फलदायी होता है।
– हर शनिवार को *ॐ हं हनुमते नमः * की माला का जप करिये।
शनि का पाठ करते समय खास ध्यान में रखने योग्य बातेंः-
– पाठ करते समय हमेशा उत्तर दिशा की तरफ बैठें।
– तांबे के दीपक में तिल या सरसों का तेल भरकर ज्योति जलाएं।
– हनुमान जयंती अथवा शनि अमावस्या के दिन हवन कराकर शनिदेव की उपासना की जा सकती है।
इस लेख में बताए गए किसी भी उपाय को अाजमाने पर जातकों पर शनिदेव की कृपा बनी रहती है। इससे जीवन के कष्टों व विघ्नों का शमन होता है। शनि की साढ़े साती के दौरान यदि इन उपायों को पूरी आस्था व विश्वास के साथ किया जाए तो शनिदेव अवश्य ही प्रसन्न होकर वक्त की मार झेल रहे व्यक्ति को मुसीबतों से बाहर लाते हैं। शनिदेव दयालु हैं और अपने भक्तों की सभी दुःखों से रक्षा करते हैं। जिन जातकों के जीवन में इस समय शनि की साढ़े साती चल रही हो, यदि वे सुझाए गये सभी उपायों को अपनाएंगे तो निश्चित रूप से शनि के अनिष्टकारी प्रभाव से बचे रहकर राहत का अनुभव करेंगे।
नीचे दी गई राशि के जातकों को ये उपाय अवश्य ही करना चाहिएः-
वृश्चिक राशि (न, च) – शनि की पनौती का अंतिम चरण (चंद्र से दूसरे स्थान पर शनि)
धनु राशि (भ, ध, फ, थ)– शनि की पनौती के मध्य का चरण (चंद्र के ऊपर से शनि)
मकर राशि (ख, ज) – शनि की साढ़े साती का प्रथम चरण (चंद्र से बारहवें में शनि)
कन्या राशि (प, ठ, ण) – शनि की छोटी पनौती (चंद्र से चौथे स्थान पर शनि)
वृषभ राशि (ब,व,उ) – शनि की छोटी पनौती (चंद्र से आठवें में शनि की उपस्थिति)
इसके अलावा, जातक की कुंडली में शनि वक्री या अस्त का हो, नीच का हो, पाप ग्रह मंगल, केतु या राहु के साथ संबंध में हो तो इन तमाम जातकों के लिए बताए गए ज्योतिषीय उपाय कारगर साबित होंगे। इन उपायों को अमल में लाने से जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं। शनि के कष्ट निवारण हेतु हमारे द्वारा बताए गए उपायों को अपनाकर कष्टमुक्त जीवन जी सकेंगे।
गणेशजी के आशीर्वाद सहित
भावेश एन पट्टनी
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम
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