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Sankashti Chaturthi 2025: व्रत की लिस्ट और उपवास के दिन

Sankashti Chaturthi 2024: व्रत की लिस्ट और उपवास के दिन

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार मास में दो चतुर्थी होते हैं। कृष्ण पक्ष में आने वाले चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। जबकि शुक्ल पक्ष में आने वाले चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति करता है और सभी तरह के कष्टों को दूर करता है। संकष्टी चतुर्थी के व्रत से भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

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तारीखसमयसंकष्टी चतुर्थीमहीने
17 जनवरी 2025, शुक्रवारप्रारंभ – 04:06, 17 जनवरी
समाप्त – 05:30, जनवरी 18
सकट चौथ, लम्बोदर संकष्टी चतुर्थीमाघ
16 फ़रवरी 2025, रविवारआरंभ – 23:52, 15 फरवरी
समाप्त – 02:15, 17 फरवरी
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थीफाल्गुन
17 मार्च 2025, सोमवारप्रारंभ – 19:33, 17 मार्च
समाप्त – 22:09, मार्च 18
भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थीचैत्र
16 अप्रैल 2025, बुधवारआरंभ – 13:16, 16 अप्रैल
समाप्त – 15:23, 17 अप्रैल
विकट संकष्टी चतुर्थीवैशाख
16 मई 2025, शुक्रवारआरंभ – 04:02, 16 मई
समाप्त – 05:13, 17 मई
एकदंत संकष्टी चतुर्थीज्येष्ठ
14 जून 2025, शनिवारआरंभ – 15:46, 14 जून
समाप्त – 15:51, 15 जून
कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थीआषाढ़
14 जुलाई 2025, सोमवारआरंभ – 01:02, 14 जुलाई
समाप्त – 23:59, 14 जुलाई
गजानन संकष्टी चतुर्थीश्रावण
12 अगस्त 2025, मंगलवारआरंभ – 08:40, 12 अगस्त
समाप्त – 06:35, अगस्त 13
बहुला चतुर्थी, हेरम्ब संकष्टी चतुर्थीभाद्रपद
10 सितंबर 2025, बुधवारप्रारम्भ – 15:37, सितम्बर 10
समाप्त – 12:45, सितम्बर 11
विघ्नराज संकष्टी चतुर्थीआश्विन
10 अक्टूबर 2025, शुक्रवारआरंभ – 22:54, अक्टूबर 09
समाप्त – 19:38, 10 अक्टूबर
करवा चौथ, वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थीकार्तिका
8 नवंबर 2025, शनिवारआरंभ – 07:32, नवंबर 08
समाप्त – 04:25, 09 नवंबर
गणाधिप संकष्टी चतुर्थीमार्गशीर्ष

7 दिसंबर 2025, रविवार
आरंभ – 18:24, दिसंबर 07
समाप्त – 16:03, दिसम्बर 08
अखुरथ संकष्टी चतुर्थीपौष

संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश को समर्पित होता है। ये व्रत कर भक्त भगवान गणेश से कष्टों को हरने की प्रार्थना करते हैं। हिन्दू पंचाग के अनुसार ये व्रत हर माह की पूर्णिमा के चौथे दिन (कृष्ण पक्ष का चौथ ) किया जाता है। गणपति जी को हिन्दू धर्म में प्रथम पूज्य माना गया है, और सारे संकट हर लेते हैं। पूरे साल में 13 संकष्टी चतुर्थी के व्रत होते हैं। संकष्टी चतुर्थी को तमिलनाडु में ‘गणेश संकटहरा’ या ‘संकटहरा चतुर्थी’ के नाम से जाना जाता है।

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  • सुबह शुद्ध पानी से नहा कर साफ कपड़े पहनें।
  • भगवान गणेश की पूजा तिल, गुड़, लड्डू, दुर्वा, चंदन चढ़ाकर करें।
  • उसके बाद गणेश की कथा का पाठ करें।
  • भगवान गणेश का वंदन और मंत्रों का जाप करें।
  • संध्याकाल गणेश जी की पूजा के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा संपन्न करें।

संकष्टी चतुर्थी का व्रत काफी कठिन होता है। इसमें किसी प्रकार के अनाज का सेवन ना करें। संकष्टी चतुर्थी के दिन फल, कंद-मूल खाया जा सकता है। शाम को चन्द्रमा के दर्शन कर अर्घ्य देने के बाद आप उपवास तोड़ सकते हैं। इस व्रत को तोड़ने के बाद शाम को आप साबूदाने की खिचड़ी, आलू और मूंगफली खा सकते हैं।

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गणपति जी की पूजा आप इन मंत्रो से कर सकते हैं।
ॐ गं गणपतये नम:
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ:, निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥

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