हमारी भारतीय संस्कृति और परंपराएं हैं ही ऐसी कि इसके अनुसार किसी विवाह प्रस्ताव को स्वीकार करने से पहले दोनों जातकों की कुंडलियों को बड़ी उत्सुकता के साथ मिलाया जाता है। ये परंपरा ना केवल पुराने लोगों में है बल्कि आजकल तो नयी पीढ़ी के पढ़े-लिखे परिवार में भी बड़े ज़ोर शोर से कुंडली मिलान को महत्ता देने लगे हैं। वैदिक ज्योतिष जातकों की कुंडली में उन ग्रहों की तलाश करने की कोशिश करती है जिसकी वजह से उनके वैवाहिक जीवन में कोई बाधा या रुकावट उत्पन्न हो सकती है। इसलिए विवाह से पहले ही विवाह के बाद आने वाली समस्याओं का पता लगाकर उनका समाधान कर दिया जाये तो इससे बेहतर और कुछ नहीं हो सकता।
पिछले कुछ दशकों से भारत में प्रेम विवाह को बड़े बहुत तीव्रता से अपनाया जा रहा है। लेकिन प्रेम विवाह में जिस बात की संभावना सबसे अधिक होती है वो ये है कि हो सकता है प्रेम विवाह करने वाले जातकों की जन्म कुंडली में स्थित ज़्यादातर गुण मेल न खाएं। ऐसे में उनके व्यवहिक जीवन पर ये प्रश्न खड़ा हो जाता है कि उनकी शादी कितने समय तक चल पायेगी। हो सकता है उनकी कुंडलियों के मेल खाने के कारण बाद में किसी को एक-दूसरे के प्रति प्यार नहीं रहे? बे-मेल कुंडली उनके विवाह में रुकावट बन जाती है, जिसके परिणामस्वरूप अंततः रिश्ता खत्म हो जाता है। लेकिन चिंता न करें, हमारे पास कुंडली मिलान के लिए कुछ बेजोड़ उपाय हैं जो आपको अपने साथी के साथ शुभ बंधन में बांधने में सहायक होंगे।
कुंडली मिलान करने से पहले जाने की ज़रूरी क्यों है कुंडली मिलान?
कुंडली मिलान के लिए कौन-कौन से चाहिए गुण होते हैं?
जब कुंडली मिलान की बात आती है, तो अष्टकूट गुण मिलान विधि बहुत लोकप्रिय है। इससे यह पता लगाया जा सकता है कि शादी के बाद उनका दाम्पत्य जीवन कैसा रहने वाला है? अष्टकूट कुंडली मिलान में आठ (कूटों) गुणों की जांच की जाती है इसे अष्टकूट गुण मिलान कहते हैं। प्रत्येक कूट के अपने 6 बिंदु होते हैं, जो कुल 36 होते हैं। इस प्रकार के वैवाहिक विश्लेषण में निम्नलिखित आठ गुण होते हैं।
आठ कूट हैं: वर्ण, वैश्य, तारा, योनी, ग्रहमित्र, गण, भकूट और नाडी
हमें यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक गुण एक विशेषता का प्रतिनिधित्व करता है जो उसके जातक के लिए अनिवार्य होता है। आप यहां कुंसलि मिलान में प्रत्येक गुण की विशेषता के बारे में और अधिक जान सकते हैं।
अगर गुण मेल नहीं खाएंगे तो क्या हो सकता है?
किसी भी विवाह की सहमति के लिए कुल 36 में से कम से कम 18 गुणों का मेल खाना बहुत जरुरी है। यदि ये 18 से कम होते हैं, तो इसे उत्तम विवाह नहीं माना जाता है। ऐसे मामले में, शादी को अक्सर अस्वविकृत कर दिया जाता है।क्योंकि इससे शादीशुदा जीवन में निम्न मुश्किलें बढ़ सकती हैं:
- व्यापार और धन में नुकसान।
- शारीरिक संबंध में समस्या हो सकती हैं।
- वैवाहिक जीवन में लगातार लड़ाई और बहस।
- संतान सुःख नहीं मिलता है, भले ही दोनों स्वस्थ हों।
- दोनों के करियर की प्रगति में समस्याएं आ सकती हैं।
हालांकि, निम्न अन्य कारकों के आधार पर मिलान को अच्छा माना जा सकता है। जैसे कि…
- निम्नलिखित मामलों में, विवाह की अनुमति दी जा सकती है।
- यदि दोनों की कुंडली में शुक्र मजबूत है तो प्रेम विवाह के लिए अच्छे संकेत हैं।
- यदि दोनों की कुंडली में मंगल दोष नहीं है और यदि है तो वो निष्प्रभावी हो जाता है।
- यदि लड़के और लड़की की लग्न में शादी का सातवाँ भाव और नवमांश कुंडली में मजबूत हो।
कुंडली मेल नहीं खाने पर कौन-कौन से उपाय करने चाहिए?
हालांकि, ऐसे मामलों जहां गुण मेल नहीं खाते, किसी अच्छे ज्योतिषी की मदद से दोनों लोगों की कुंडली का सही तरीके से विश्लेषण कराना जाना चाहिए। यदि कुंडली में कोई दोष दिखाई देते हैं, तो संबंधित व्यक्ति को शादी से पहले इन दोषों के लिए पूजा (अनुष्ठान) करना चाहिए। जिससे इन दोषों के कारण ग्रहों के हानिकारक प्रभाव को बेअसर किया जा सकता है। जो बदले में दंपति को एक अच्छा वैवाहिक जीवन जीने में मदद करता है। इस तरह की पूजा एक विशेषज्ञ और कुशल ज्योतिषी द्वारा ही की जानी चाहिए।
कुंडली मेल नहीं खाने और दोष निवारण के लिए एक ज्योतिषी विशेषज्ञ से परामर्श करें अभी!
विवाह और वैवाहिक जीवन का प्रतीक शुक्र, नकारात्मकता को दूर करने में मदद कर सकता है। सफेद नीलम धारण करके शुक्र की शक्ति को और मजबूत किया जा सकता है। यह पहनने वाले दांपत्य जीवन आनंदमय होता है। हालांकि, ऐसे कोई भी रत्न पहनने से पहले एक विशेषज्ञ ज्योतिषी की सलाह ज़रूर ले लेनी चाहिए। यदि उचित मार्गदर्शन के बिना रत्न पहना जाता है, तो जातक पर ग्रहों का नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है।
यदि विवाह का सातवाँ घर कमजोर है, तो एक अच्छा विद्वान ज्योतिषी विवाह से पहले ‘अर्क विवाह’ या ‘कुंभ विवाह ’उपाय के रूप में सुझा सकता है। इसके अलावा, यदि आपकी जन्म कुंडली में सप्तम भाव पीड़ित और कमजोर (दोष युक्त) है, तो व्यक्ति को अपने हानिकारक प्रभाव को कम करने के लिए शादी से पहले दोष की शांति पूजा करनी चाहिए। यह पूजा, विवाह के लिए आगे बढ़ने से पहले किसी अच्छे ब्राह्मण के माध्यम से करवा लेनी चाहिए।
अंत में एक जरुरी बात यदि कुंडलियों के मेल न खाने के बावजूद विवाह किया जाये तो कई लोगों के लिए यह अभिशाप भी बन सकता हैं। बहुत कम लोग ही ऐसे होते हैं, जिनका विवाह कुंडली मेल न खाने के बाद भी वरदान की तरह शुभ हो। इसलिए विवाह हेतु आगे बढ़ने से पहले अपनी कुंडलियों का मेल करवाएं। यदि उनमें कोई दोष या समस्या दिखाई देती है, तो किसी विद्वान ज्योतिषी से जन्म कुंडली के आधार पर विश्लेषण करवाएं और एक ठोस निवारण करवाएं।
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गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम