सूर्य के सूर्यास्त के बाद उत्तरायण होने के कारण इस बार मकर संक्रांति का पर्व एक दिन बाद यानी 15 जनवरी को मनाया जाएगा। नवग्रहों में बलशाली सूर्य 14 जनवरी की रात 8:57 बजे धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश कर रहे हैं। हालांकि मकर संक्रांति का पुण्यकाल 15 जनवरी की सुबह 07:15 बजे से 15 जनवरी की दोपहर 05:46 बजे तक रहेगा। ऐसे में दोनों दिन दान-पुण्य और स्नान किया जा सकेगा। मकर संक्रांति के दिन तिल दान की परंपरा है और लोग तिल से बने खाद्य पदार्थ का भी सेवन करते हैं। इसके धार्मिक के साथ ही वैज्ञानिक कारण भी हैं।
यदि आप जानना चाहते हैं कि 2024 में आपका जीवन कैसा होगा, तो 2024 की विस्तृत रिपोर्ट पढ़ें…
तिल के धार्मिक पहलू
– मकर संक्रांति के दिन तिल दान से सौ गुना फल की प्राप्ति होती है।
– तिल दान या तिल से बनी सामग्री ग्रहण करने से कष्टदायक ग्रहों से छुटकारा मिलता है।
– मान्यता है कि माघ मास में प्रतिदिन तिल से भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
– मकर राशि के स्वामी शनि देव हैं। सूर्य पुत्र होने के बावजूद उनका सूर्य से शत्रुवत संबंध होता है। ऐसे में शनि के भाव में सूर्य की उपस्थिति से कष्ट न हो, इसलिए मकर संक्रांति के दिन तिल का दान और सेवन किया जाता है।
तिल के वैज्ञानिक पहलू
– तिल और गुड़ गर्म होते हैं। इसके सेवन से शरीर गर्म रहता है।
– तिल तेल से शरीर को भरपूर नमी भी मिलती है।
– तिल में कॉपर, मैग्नीशियम, आयरन, मैग्नीज, कैल्शियम, फास्फोरस, जिंक, विटामिन बी 1 और फाइबर आदि प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
– तिल के सेवन से शरीर को भरपूर कैलोरी हासिल होती है।
– तिल एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो शरीर में मौजूद कीटाणुओं का नाश करता है।
अपनी जिंदगी में यदि आप लगातार व्यक्तिगत समस्याओं से घिरे हुए हैं, तो पाएं व्यक्तिगत समस्याओं के लिए सबसे प्रभावी उपाय पाइए।
गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम
ये भी पढ़ें
मकर संक्रांति 2024 पर सर्वार्थ सिद्धि योग: जानें किस राशि के लोग क्या करें
तिल द्वादशी 2024 : पूजन विधि, स्नान एवं व्रत का महत्व
बसंत पंचमी 2024 – बसंत पंचमी मुहूर्त, महत्व और सरस्वती पूजन