क्वार ( वर्षा ऋतु और ठंड के बीच का संधि काल) में सूर्य जब कन्या राशि में आते हैं, तो उस समय दिवंगत आत्माएं चंद्र लोक में अपने पुत्रों से प्राप्त दान से संतुष्ट होती है। इसी दौरान भारत में श्राद्ध पक्ष मनाए जाते हैं। इस दौरान पितृ दोष से ग्रसित लोग दोष मुक्ति के लिए विशेष पूजा या अनुष्ठान करवाते हैं। श्राद्ध से पितरों का आव्हान करके विधिवत पिंड दान करना की श्राद्ध है, जो श्राद्ध पितृों को संतुष्ट कर देते हैं, उनसे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।पितृ ऋण से मुक्त होने के लिए पितृों के निमित्त श्राद्ध करने का विधान है। कहते हैं मनुष्यों को अपने जीवन में पितृ ऋण चुकाना चाहिए। यदि पितृ ऋण नहीं चुकाया जाता है, तो पितृों को मुक्ति नहीं मिलती है और वे प्रेत अथवा पिशाच योनि में चले जाते हैं। अब यहां ध्यान देने वाली बात है, कि पितृ ऋण क्या होता है। दरअसल पितृ ऋण कई तरह के होते हैं। इसमें मातृ, भ्रातृ, देव, ब्रह्म आदि ऋण शामिल है। हालांकि सभी ऋण को मिलाकर आजकल पितृ ऋण कहते हैं।
कब होता है पितृ ऋण-– पिता, पिता के भाई या परिवार के बड़ों और ससुर आदि का घोर अनादर करना और बीमारी में उनका पालन-पोषण नहीं करने वाले इस दोष से पीड़ित हो जाते हैं।- इसी तरह माता, माता की बहन, जेठानी या देवरानी के अलावा सास आदि का अनादर करना, उन्हें विधवा होने पर घर से निकाल देने वाले भी इस दोष से पीड़ित हो जाते हैं।- मरने पर माता-पिता, रिश्तेदारों और आश्रितों के शास्त्रोक्त विधि से अंत्येष्टि या श्राद्ध नहीं करने वाले भी पितृ दोष से पीड़ित होते हैं।- दहेज के लालच में अपनी पत्नी की हत्या करने वाले लोग भी इस दोष से पीड़ित होते हैं।- किसी पीपल या फलदार वृक्ष को काटने वाले लोग घोर पितृ दोष से पीड़ित होते हैं। इससे पितृों को भी घोर कष्ट होता है।- धोखे से दूसरों की संपत्ति हड़प करने वाले लोगों पर भी पितृ दोष का साया रहता है। इससे पितृ बदनाम होते हैं।
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, 24 सितंबर से श्राद्धपक्ष
पितृ ऋण से मुक्ति के कुछ आसान उपाय-– पितृ ऋण से मुक्ति से के लिए शास्त्रों में आसान उपाय बताए गए हैं। – भगवान सूर्य को रोजाना जल चढ़ाएं। – हर अमावस्या को पितृों के निमित्त किसी गरीब ब्राह्मण को दान करें। – गरीब कन्याओं की शादी में मदद करें। – बदनियति से कभी किसी का रुपया-पैसा हड़पने की कोशिश नहीं करें। – हर दिन गाय और कुत्तों के लिए घर में रोटी बनाकर उन्हें खिलाएं। – वट-वृक्ष में दूध चढ़ाएं। – भगवान विष्णु के मंदिर में पांच तरह के फल हर महीने दान करें। – शिव मंदिर में रुद्राभिषेक करवाएं।
क्या ध्यान रखें– पितृों के निमित्त श्राद्ध कभी किसी और के घर पर नहीं करवाएं। एक मान्यता है कि यदि दूसरों के घर पर श्राद्ध कर्म किया जाए, तो उसके पितृ हमारे श्राद्ध कर्म का विनाश कर देते हैं। – बिहार प्रांत के गयाजी में श्राद्ध करने का विशेष विधान है। कहते हैं भगवान राम ने राजा दशरथ का पिंडदान इसी जगह किया था। वहीं गुजरात के सिद्धपुर में भी मातृश्राद्ध का विधान है। मातृ ऋण से मुक्ति के लिए सिद्धपुर का महत्व ज्यादा है। कहते हैं गया में पिंड देकर ही पितृ ऋण से मुक्त हुआ जा सकता है। माता-पिता या पूर्वजों के प्रति श्रद्धा से श्राद्ध तर्पण करके हम सभी कठिनाइओं को दूर हो सकते हैं। उज्जैन, नासिक, हरिद्वार, बनारस में सर्व ऋण मुक्ति के लिए नाग बली नारायण बली की पूजा का भी विधान है।
गणेशजी के आशीर्वाद सहित
भावेश एन पट्टनी
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम