श्रावणमास के प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी की पूजा की जाती है और इस धार्मिक अनुष्ठान को मंगला गौरी व्रत के नाम से जाना जाता है। ये व्रत विवाहित महिलाओ विशेषकर नवविवाहित महिलाओ द्वारा, अपने पति आैर बच्चों के अच्छे भाग्य, लंबी उम्र अौर सुखी वैवाहिक जीवन के लिए किया जाता है। आइए जानते है इस व्रत से जुड़े दिलचस्प पहलूः
श्रावण मास में आने वाले मंगलवार पर सुबह, एक लाल कपड़े से बंधे लकड़ी के पाट पर देवी मंगला गौरी की तस्वीर पर रखी जाती है। आटे से बने दीयों में सोलह बत्ती वाले घी के दीपक जलाए जाते है और भक्त निम्नलिखित मंत्र का जाप करते हैः
कंगकुमागुरु लिपटांगा
सर्वा आवरण भूषितम
नीलकंठाप्रायम गौरेम
वंदेम मंगलाह्याआम।।
ध्यान खत्म होने के बाद, देवी मंगला गौरी की षोडोपचार अनुष्ठान के साथ पूजा की जाती है।
मंगला गौरी व्रत पर देवी को निम्नलिखित चीजें अर्पित की जाती हैः
सोलह माला, सोलह लडडू, सोलह विभिन्न प्रकार के फल, पांच प्रकार के ड्रार्इ फ्रूटस सोलह बार, सोलह बार सात प्रकार के अनाज, सोलह बार जीरा, साेलह पान के पत्ते, सोलह सुपारी, सोलह लौंग, सोलह इलायची, सोलह सुहाग छाबड़ा इत्यादि मां गौरी को अर्पित करने चाहिए। ये बात ध्यान देने योग्य है कि इस पूजा में सोलह नंबर प्रमुख महत्व रखता है। क्या आप अपने प्रोफेशन के भविष्य को जानने के लिए उत्सुक है। तो खरीदें कैरियर एक प्रश्न पूछें रिपोर्ट और कैरियर से जुड़े अपने मसले का समाधान पाए।
इस व्रत से जुड़े संस्कार और अनुष्ठान पूरे करने के बाद, भक्तों को मंगला गौरी व्रत से जुड़ी कथा कहना/सुनना चाहिए। जो कुछ इस प्रकार हैः
बहुत समय पहले की बात है, धर्मपाल नामक एक व्यापारी था। उसी पत्नी सुशील आैर सुंदर थी, उसके पास पर्याप्त धन था। लेकिन वे खुश नहीं थे क्यूंकि उनकी कोई संतान नहीं थी। हालांकि, भगवान के आशीर्वाद से उनको पुत्र प्राप्ति हुर्इ लेकिन वो दुर्भाग्यवश अल्पायु था क्यूंकि उसे सोलह वर्ष की उम्र में सांप द्वारा काटने से मृत्यु होने का शाप दिया गया था। लेकिन सोलह वर्ष की उम्र से पहले उसकी शादी हो गर्इ थी वो भी ऐसी लड़की के साथ जिसकी मां मंगला गौरी का व्रत करती थी। इसके परिणामस्वरूप, उसे एक ऐसी बेटी अाशीर्वाद के रूप में मिली थी जिसके जीवन में कभी वैधव्य दुख नहीं आ सकता था। इस कारण धर्मपाल के बेटे ने सौ साल का जीवनकाल प्राप्त किया। इसलिए, सभी नवविवाहित महिलाएं को सुखी वैवाहिक जीवन के लिए ये पूजा और व्रत करना चाहिए। वे महिलाएं जो व्रत नहीं कर सकती उन्हें कम से कम मां की पूजा अवश्य करनी चाहिए। इस वर्ष अापकी वित्तीय कैसी रहेगी, इसका जवाब जानने के लिए हमारी फ्री रिपोर्ट 2025 वित्त रिपोर्ट का लाभ उठाए।
इस कथा को सुनने के बाद, विवाहित महिलाएं अपनी सास और ननद को सोलह लडडू देती है। जिसके बाद वे यही प्रसाद ब्राहण को भी देती है। ये परंपराएं निभाने के बाद, भक्तजन मां की सोलह दीपकों से आरती करते है। व्रत के अगले दिन देवी मंगला गौरी की प्रतिमा को तालाब या झील में विसर्जित किया जाता है। परिवार की खुशियों के लिए ये पूजन और व्रत पांच साल तक निरंतर किया जाता है।
इस वर्ष मंगल गौरी व्रत 2025 श्रावण मंगलवार यानि 15 जुलाई, 22 जुलाई, 29 जुलाई और 05 अगस्त को है।
गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
डाॅ. सुरेन्द्र कपूर
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम
त्वरित समाधान के लिए ज्योतिषी से बात कीजिए।