होम » भविष्यवाणियों » ज्योतिष » Magha Saptami 2021: जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

Magha Saptami 2021: जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

Magha Saptami 2021: जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

बसंत पंचमी के दो दिन बाद मतलब माघ शुक्ल पक्ष की सप्तमी को माघ सप्तमी या रथ सप्तमी या आरोग्य सप्तमी के नाम से जाना जाता है। भारत के कई हिस्सों में इस दिन को माघ सप्तमी, अचला सप्तमी या सूर्य जयंती के रूप में मनाने की भी परंपरा है। हिंदू फेस्टिवल कैलेंडर के अनुसार भगवान सूर्य के प्रति अपनी आस्था और आभार व्यक्त करने के लिए इस दिन की बड़ा ही महत्व है। माघ सप्तमी के दिन सूर्य देव से जुड़े दान पुण्य और विधिवत उनकी पूजा आराधना से व्यक्ति को कई तरह से दोषों से मुक्ति मिलती है।

2021 में माघ सप्तमी या रथ सप्तमी या अचला सप्तमी या आरोग्य सप्तमी कब है

देश के विभिन्न हिस्सों में फैले हिदू धर्म के अनुयायी माघ सप्तमी के दिन को अलग-अलग नाम से जानते हैं। देश के कुछ हिस्सों में इसे रथ सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। कहीं अचला सप्तमी, वहीं कुछ क्षेत्रों में इसे आरोग्य सप्तमी या सूर्य सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। यही कारण है कि माघ सप्तमी की तारीख के लेकर कई बार असमंजस की स्थिति पैदा हो जाती है। हमने यहां यह स्पष्ट करने की कोशिश की है कि उपरोक्त सभी त्योहार माघ शुक्ल पक्ष की सप्तमी के ही दिन मानाए जाने वाला एक ही त्योहार है। कोई व्यक्ति माघ सप्तमी पर क्या करें इसे लेकर लोगों की अलग अलग मान्यताएं हो सकती है। इस दिन देश के सभी हिस्सों में भगवान सूर्य की पूजा का महत्व है। इस वर्ष यानी साल 2021 में माघ सप्तमी या रथ सप्तमी या अचला सप्तमी 19 फरवरी 2021 के दिन मनाई जाएगी।

माघ सप्तमी या रथ सप्तमी या अचला सप्तमी का महत्व

मान्यताओं के अनुसार माघ शुक्ल सप्तमी के दिन से ही भगवान सूर्य ने दुनिया को अपना ज्ञान से प्रकाशमान करना शुरू किया था। इस दिन दान पुण्य और परोपकार के कार्यों का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने का विशेष महत्व है। धर्म अनुयायी इस दिन पवित्र नदियों और तालाबों में स्नान कर भगवान सूर्य को अर्घ्य देने का काम करते हैं। धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार इस दिन सुबह सूर्योदय के पहले पवित्र नदी में स्नान करने से सभी प्रकार से रोगों से मुक्ति मिलती है, इसीलिए इसे आरोग्य सप्तमी भी कहा जाता है।
इस दिन भगवान सूर्य ने अपने रथ पर बैठकर दुनिया में ज्ञान का प्रकाश फैलाने की शुरूआत की थी इसीलिए इस दिन को रथ सप्तमी भी कहा जाता है। कुछ मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान सूर्य का जन्म भी हुआ था, इसलिए इसे सूर्य सप्तमी या सूर्य जयंती भी कहा जाता है। इस दिन भगवान सूर्य के उदय से पहले स्नान करने और सूर्य की पहली किरण के साथ उनका स्वागत करने का अधिक महत्व है, इसलिए नीचे माघ सप्तमी का मुहूर्त और सुर्योदय का समय उपलब्ध करवाया गया है।

माघ सप्तमी या अचला सप्तमी के दिन स्नान का मुहूर्त – 05ः14 ए एम से 06ः56 ए एम तक

माघ शुक्ल पक्ष सप्तमी तिथि प्रारंभ – 18 फरवरी 2021, – 08ः17 ए एम
माघ शुक्ल पक्ष सप्तमी तिथि समाप्त – 19 फरवरी 2021, – 10ः58 ए एम

माघ सप्तमी या रथ सप्तमी से नई शुरुआत

बसंत पंचमी के दूसरे दिन मनाया जाने वाला यह त्योहार सूर्य के उत्तरायण होने के शुरुआती दौर के पूरा होने का प्रतीक है। माघ सप्तमी का त्योहार भगवान सूर्य की उत्तरी गोलार्ध यात्रा का प्रतीक है। यह जलवायु परिवर्तन और गर्मियों की शुरुआत का भी प्रतीक है। रथ सप्तमी के बाद से आम व्यक्ति के कार्यबल में वृद्धि होने लगती है और किसानों के लिए यह नई फसलों के मौसम की शुरुआत के तौर पर देखा जाता है।

रथ सप्तमी या अचला सप्तमी पूजा विधि

माघ सप्तमी या रथ सप्तमी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करें और सूर्योदय के साथ ही भगवान सूर्य को क्षमतानुसार सोने, तांबे या पीतल के कलश से अर्घ्य अर्पण करें। लाल रंग से फूल, धूप और घी के दीपक से प्रभु की पूजा करें। इसके बाद सूर्य की ओर मुंह करके नमस्कार की मुद्रा मे खड़े हो जाएं और सूर्य को बारह बार प्रणाम करें। सूर्य के हर प्रणाम के साथ नीचे दिए गए मंत्रों का एक का उच्चरण करें –

1. ॐ मित्राय नमः, 2. ॐ रवये नमः, 3. ॐ सूर्याय नमः, 4.ॐ भानवे नमः, 5.ॐ खगाय नमः, 6. ॐ पूष्णे नमः,7. ॐ हिरण्यगर्भाय नमः, 8. ॐ मरीचये नमः, 9. ॐ आदित्याय नमः, 10.ॐ सवित्रे नमः, 11. ॐ अर्काय नमः, 12. ॐ भास्कराय नमः ।।

रथ सप्तमी की पूजा के बाद महिलाएं घर के प्रवेश द्वार पर सुंदर रंगोली बनाती है। इसके बाद किसी साफ और पवित्र मिट्टी के बर्तन में दूध डालकर उसे ऐसी दिशा में रखा जाता है, जहां उस पर सूर्य की सीधी किरणें पड़ें। फिर उस दूध से मीठी खीर बनाकर भगवान सूर्य को अर्पित करें और प्रसाद के रूप में खुद भी ग्रहण करें। अचला सप्तमी के दिन सूर्य शक्तिम, सूर्य सहस्त्रनाम और गायत्री मंत्रों का निरंतर जाप करना भी बेहद शुभ माना गया है।

गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम

ये भी पढ़ें-
gupt-navratri: गुप्त नवरात्रि में करें दस महाविद्याओं को प्रसन्न
mauni amavasya 2021: जानिए कब है और क्यों मनाई जाती है?
सोमवती अमावस्या 2021 तारीख, लाभ, महत्व और उपाय
बसंत पंचमी 2021 – वसंत पंचमी मुहूर्त, पूजा विधि, सरस्वती स्तोत्रम् और वंदना

Exit mobile version