अक्सर कई लोगों में आत्मविश्वास की कमी होती है। इस आत्मविश्वास में कमी के कारण लोग जीवन में ज्यादा उन्नति नहीं कर पाते हैं। आमतौर पर ज्योतिषीय भाषा में सूर्य को आत्मविश्वास का कारक माना जाता है। अक्सर जिन लोगों की कुंडली में सूर्य संबंधी कोई दिक्कत होती है, उन्हें सूर्य से संबंधित उपाय करने की सलाह दी जाती है। ऐसे में योगासन के माध्यम से भी सूर्य के विभिन्न उपाय किए जा सकते हैं। योगासन में सूर्य नमस्कार को सभी आसनों का राजा कहा जाता है।
सबसे आसान और श्रेष्ठ आसन सूर्य नमस्कार
रोजाना सूर्य नमस्कार करने वालों की कुंडली में सूर्य ग्रह के दोष दूर हो जाते हैं। कई विशेषज्ञ ज्योतिषियों का कहना है कि सूर्य नमस्कार के सभी 12 आसानों से नवग्रहों के दोषों को दूर किया जा सकता है। वैसे भी यदि ग्रहों के राजा सूर्य को साध लिया जाएं, तो सभी ग्रहों के नकारात्मक दोष कम हो जाते हैं। यदि आप सिरदर्द, पित्त रोग, आत्मिक निर्बलता, नेत्र रोग से पीड़ित हैं, तो निश्चिततौर पर सूर्य के दोष से पीड़ित हैं। यदि जातक के जोड़ की हड्डी में दर्द, शरीर में अकड़न भी सूर्य के दोष की ओर इशारा करता है। ऐसे में ज्योतिषी सूर्य के उपाय करने को कहते हैं। योगासन में सूर्य के उपायों के लिए सबसे श्रेष्ठ आसन है सूर्य नमस्कार।
सूर्य नमस्कार की 12 विधियां-
1. सीधे खड़े रहकर दोनों हाथों ऊपर की ओर उठाएं। खिंचाव देते हुए नमस्कार की आकृति बनाएं।
2. सांस लेते हुए दोनों हाथों ऊपर की ओर खींचे। इस दौरान कमर के नीचले हिस्से से कंधे तक के शरीर को पीछे की ओर झुकाएं।
3. सांस को छोड़ते हुए हाथ को गर्दन, कानों से नीचे ले जाएं और पैरों उंगली छुने का प्रयास करें। शुरुआत में जितना हो सकें, झुकें।
4. अब हाथों को जमीन पर टिकाकर दाहिने पैर को पीछे की तरफ जाएं। उसके बाद सीने को आगे खींचते हुए सिर को ऊपर की ओर उठाएं। इस स्थिति में पैर का पंजा सीधा खड़ा रहना चाहिए।
5. सांस को धीरे-धीरे बाहर निकालते हुए हुए बाएं पैर को भी पीछे की तरफ ले जाएं। अब दोनों पैरों की एड़ियां मिलाएं। शरीर को ऊपर की ओर खिंचाव में रखें।
6. सांस लेते हुए शरीर को जमीन के बराबर में रखें। इस दौरान घुटने, सीने और मुंह को जमीन पर लगा दीजिए।
7. इस स्थिति में धीरे-धीरे सांस को भरते हुए सीने को आगे की ओर खींचते हुए हाथों को सीधा करें। गर्दन को पीछे की ओर ले जाएं। घुटने जमीन को छू रहें हो तथा पैरों के पंजे खड़े रहें।
8. अब फिर से नंबर पांच की तरह मुद्रा बनाना है।
9. अब चौथी की तरह मुद्रा बनाएं।
10. अब तीसरी मुद्रा की तरह उठने का प्रयास करें।
11. दूसरी मुद्रा की तरह हाथ ऊपर की ओर और कमर पीछे की ओर झुकी हुई हो।
12. अब फिर से पहली मुद्रा की तरह नमस्कार मुद्रा में लौट आए।
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गणेशजी के आशीर्वाद सहित
भावेश एन पट्टनी
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम
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