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21 दिसंबर को बृहस्पति-शनि का महान संयोग: 800 साल बाद शनि बृहस्पति का संयोग

आकाशीय घटनाएं हमें हमेशा रोमांचित करती है। यह रोमांच ऐसा हो सकता है, जिसकों बयां करना मुश्किल होता है। देखने वालों के लिए यह किसी ईश्वरीय चमत्कार से कम नहीं होता है। कुछ ऐसी घटना इस साल 21 दिसंबर को हो रही है। हमारे सौरमंडल का सबसे सुंदर ग्रह शनि और गुरु दोनों ही एक राशि में होंगे। वैदिक ज्योतिष के हिसाब यह युति मकर राशि मेें हो रही है। 800 सालों बाद शनि और बृहस्पति का यह महासंयोग दिखाई दे रहा है।


खास बात यह है कि इन दोनों के बीच 0.6 डिग्री का मामूली अंतर रहेगा। जिससे पूरे क्रिसमस सप्ताह यह एक तारा युग्म की तरह दिखाई देगा। पश्चिम देशों में इसे क्रिसमस तारे के रूप में देखा जा रहा है। 800 सालों बाद शनि और गुरु इस तरह मिलकर एक तारे के रूप में दिखाई देंगे। ऐसा तब होता है, जब गुरु और शनि एक रेखा में होते हुए पृथ्वी के बिल्कुल सीध में होते हैं। इस इवेंट का सबसे अच्छा व्यू 21 दिसंबर को होगा, लेकिन 25 दिसंबर तक इस नजारे को देखा जा सकता है। इसके बाद दोनों ग्रह गुरु और शनि अपनी-अपनी गति से चलते हुए दूर होने लगेंगे। माना जा रहा है कि अब ऐसा नजारा 2080 में नजर आएगा। इससे पहले 1226 ईं. में शनि और गुरु पृथ्वी की सीधी रेखा में थे और क्रिसमस तारे के रूप में दिखाई दिए थे।


800 सालों में पहली बार गुरु और शनि का महामिलन बिना किसी टेलिस्कोप के देखा जा सकेगा। आम लोग सूर्यास्त के बाद पश्चिम दिशा में क्षीतिज से थोड़ा ऊपर दक्षिण की तरफ झुके हुए इन दो ग्रहों का महामिलन देख सकते हैं। इस समय गुरु यानी बृहस्पति की दूरी पृथ्वी से 5.924 एस्ट्रेनॉमिकल यूनिट है और जबकि शनि की दूरी 10.825 एस्ट्रेनॉमिकल यूनिट के लगभग है। हालांकि इसे टेलिस्कोप से देखना और रोमांचित कर देने वाला होगा।


ज्योतिष शास्त्र के लिए भी यह घटना किसी आश्चर्य से कम नहीं है। ज्योतिष के प्रसिद्ध ग्रंथ बृहत्संहिता में ऐसा लिखा गया है कि जब मंगल, बुध, गुरु और शनि एक सीध में आ जाएं और एक तारे के रूप में दिखाई देने लगे, तो इसे ग्रहों का ग्रहयुद्ध कहा जाता है। इसे भेद-युति भी कहा जाता है। मतलब दो तारे दिखने में एक ही लगे। वैसे तो शनि और गुरु ज्योतिषीय दृष्टि से हर बीस साल में एक बार मिलते हैं, लेकिन साल 2020 यानी इस साल इनकी युति बहुत पास में होगी। जब भेद-युति होती है, तो ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कई मौसमी परिवर्तन आते हैं। मतलब इस साल सर्दी अपने रिकॉर्ड तोड़ सकती है। अभी से कई इलाकों में पारा 10 डिग्री से नीचे चल रहा है। वहीं राजनीतिक परिवर्तन भी देखे जा सकते हैं। ट्रंप की सरकार का परिवर्तन, भारत में कई राजनीतिक दलों में आपसी फूट इस दौरान देखी जा सकेगी। वहीं अर्थतंत्र पर भी इस युति का गहरा असर दिखाई देगा।


बहुत से ज्योतिष इस घटना को शुभ भी मान रहे हैं। गुरु को ज्योतिष में शुभ ग्रह कहा जाता है। जब शनि पाप ग्रह शनि के साथ इसका संयोजन होता है, तब भी गुरु अपनी शुभता नहीं छोड़ता है। शनि न्याय का देवता है और गुरु के साथ सम दृष्टि रखता है। माना जाता है कि गुरु-शनि का यह मिलन आध्यात्मिक दृष्टि से बेहद अच्छा होता है। इस दौरान लोगों में पूजा-पाठ और स्पिरिचुअलिटी की ओर उनकी रुचि बढ़ती है। ज्योतिष के एक पक्ष का यह भी मानना है कि इस तरह की युति दुनिया से कोरोना के असर को कम करेगी।


कुंडली में ग्रहों की स्थिति के बाद गोचर में इस स्थिति में आने पर बृहस्पति की शुभता बढ़ाने के लिए ओम्‌ बृहस्पतयै नम: और शनि के अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए ओम शं शनैच् राय नम: मंत्र का जाप किया जा सकता है। देखते हैं राशियों पर इस युति का क्या असर होगा-
मेष- पारिवारिक विवाद सुलझेंगे। नए मौके मिलेंगे।
वृषभ- भाग्य का साथ मिलेगा।
मिथुन-विवाद से बचने की कोशिश करें।
कर्क- व्यापारियों को सफलता मिलेगी।
सिंह- कुछ परेशानी हो सकती है।
कन्या- शुभ समाचार मिलेंगे।
तुला- आपके प्रयास सफल होंगे।
वृश्चिक- दांपत्य जीवन में मधुरता रहेगी।
धनु- आध्यात्मिक मामलों में रुचि बढ़ेगी।
मकर- बिगड़े काम बनेंगे।
कुंभ- खर्च अधिक हो सकता है।
मीन- स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें।

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