कहीं आपके रत्न का प्रभाव खत्म तो नहीं हो गया है..
अपने ग्रहों को शुभ और बलशाली बनाने के लिए हर कोई रत्न धारण करता है, लेकिन शायद ही किसी को यह पता होता है कि इन रत्नों को कब तक धारण करना चाहिए। न कोई पूछता है और न ही कोई इसे बताता है। इसकी जानकारी आपको होनी चाहिए, क्योंकि रत्न तभी तक धारण करना चाहिए, जब तक उसका लाभ मिलता है। इसके बाद उसका कोई महत्व नहीं रह जाता। जिस तरह रत्नों के विभिन्न प्रकार होते हैं, उसी तरह उनका अपना अलग-अलग महत्व होता है। ज्योतिष विशेषज्ञों की मानें तो किसी जानकार की सलाह पर ही रत्न धारण करना चाहिए, अन्यथा इसके दुष्परिणाम भी हो सकते हैं। विशेषज्ञों से मिली जानकारी के आधार पर हम इस महत्वपूर्ण जानकारी को आपके साथ साझा कर रहे हैं। इस संबंध में और ज्यादा जानकारी के लिए आप हमारे ज्योतिष विशेषज्ञों से संपर्क कर सकते हैं।
क्या रखें रत्न संबंधी सावधानी
वैसे तो रत्न धारण करने की सलाह देते वक्त ज्योतिष विशेषज्ञ आपको पूरी जानकारी देते हैं, लेकिन इसके लिए खास तौर पर राशि का ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि राशि के अनुसार रत्न पहनना बेहतर होता है। कुछ खास रत्न जैसे लहसुनियां-हीरा, मूंगा-नीलम, नीलम और माणिक को कभी एक साथ नहीं पहनना चाहिए। ग्रहों की अवस्था या दशा-अन्तर्दशा की स्थिति में ही एक साथ पहनना फलदायी होता है।
अपने जीवन के दुर्भाग्य को दूर करें, आप सीधे हमारे विशेषज्ञ ज्योतिषियों से बात करें और उचित रत्न पहनकर सफलता प्राप्त करें।
रत्न धारण करने की अवधि
माणिक – यह रत्न अंगूठी में जड़वाने से लेकर चार साल तक प्रभावशाली रहता है। पन्ना – यह अंगूठी में जड़वाने के दिन से तीन साल तक प्रभावशाली रहता है। हीरा – यह अंगूठी में जड़वाने के बाद से सात साल तक प्रभावशाली रहता है। नीलम – अंगूठी में धारण करने के पांच साल तक प्रभावशाली रहता है।पुखराज – यह चार साल तक प्रभावशाली होता है। गोमेद – यह धारण करने से लेकर तीन साल कर प्रभावशाली रहता है।लहसुनिया – धारण करने के बाद से इसका प्रभाव तीन साल तक रहता है।
गणेशजी के आशीर्वाद सहित
भावेश एन पट्टनी
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम
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