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नक्षत्र – धनिष्ठा

नक्षत्र – धनिष्ठा

 

रंगः हल्का ग्रे
भाग्यशाली अक्षरः ज

धनिष्ठा नक्षत्र के पीठासीन देव वसु हैं जो आठ वैदिक देव हैं, और इसका प्रतीक एक ड्रम और बांसुरी हैं | इस नक्षत्र को ‘स्वर समता के नक्षत्र ‘ के रूप में भी जाना जाता हैं | चूंकि वसु उत्कृष्टता और उपकार के पर्याय हैं अत: इसके जातक अपार धन और संपत्ति का प्रबंधन करते हैं | यह नक्षत्र मूल्यवान वस्तुओं, जवाहरात और कीमती धातु, नियमों और दान और आदेश की क्षमता का स्वामीत्व करता हैं | जबकि ड्रम लय और संगीत से जुड़ा हुआ होता हैं | यह लड़ाई और कलह का प्रतीक भी हो सकता है खासकर अगर हानिकारक प्रभाव जुड़ा हुआ हो तो | इस नक्षत्र के लोग दुबले शरीर वाले , बहुमुखी प्रतिभा, बुद्धि, कई क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल किए हुए होते हैं | इन्हे यात्रा करना, विविध रुचि रखना और नई बातें जानने को उत्सुक रहना अच्छा लगता हैं | ये सामरिक योजनाकार, और अच्छे शिक्षाविद और दूसरों की अपेक्षाओं पर खरे उतरते हैं | इनमें जमा करने और संसाधनों को इकट्ठा करने की शक्ति निहीत होती हैं | ये कई रहस्यों के संरक्षक होते हैं, ये उत्कृष्ट गुप्त सेवा कर्मी हो सकते हैं | ये वाद विवाद में सख्त विरोधी साबित हो सकते हैं, और बदला लेने के लिए हमेशा प्रतीक्षा कर सकते हैं | ड्रम संगीत और नृत्य के लिए इनकी क्षमता और प्यार की ओर इंगित करता हैं | ये समय के बड़े पक्के होते हैं, और सही समय पर सही जगह में होते हैं | लेकिन ये अपने भीतर एक खालीपन महसूस करते हैं, क्योंकि ड्रम और बांसुरी दोनों अन्दर से खोखलें होते हैं |धनिष्ठा नक्षत्र के लोग लगातार इस शून्य को भरने की कोशिश में लगे रहते हैं , और इससे वैवाहिक और अन्य रिश्तों में समस्या उत्पन्न होती हैं |जीवन शक्ति में कमी ,कमजोरी,रक्ताल्पता और खांसी आदि से इनके स्वास्थ्य के लिए खतरा हो सकता हैं | इन्हे मेरूदंड और मलाशय का ख्याल रखना होगा | पेशे से ये दवा और सर्जरी के साथ, अचल संपत्ति, संगीत (ताल), ड्रम,मंत्रोच्चार आदि कार्य कर सकते हैं |

गणेशजी के आशीर्वाद सहित
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम