मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि जल्द ही एक और चक्रवाती तूफान भारतीय तटवर्तीय सीमा को प्रभावित कर सकता है। यदि ऐसा होता है तो एक माह के अंदर दूसरी बार चक्रवाती तूफान भारतीय तटरेखा से जुड़े क्षेत्रों को प्रभावित करेगा। इस महीने की शुरूआत में हुदहुद चक्रवाती तूफान ने बंगाल की खाड़ी के रास्ते भारतीय राज्य आंध्र प्रदेश एवं उड़ीसा के समुद्र के साथ लगते क्षेत्रों को प्रभावित किया था। इस चक्रवाती तूफान के कारण काफी बड़े स्तर पर जानी माली नुकसान हुआ है। अब निलोफर नामक चक्रवाती तूफान के कारण गुजरात व राजस्थान के कुछ हिस्से प्रभावित होने की संभावनाएं प्रकट की जा रही हैं। मौसम जानकारों का मानना है कि 31 अक्टूबर या 1 नवंबर को निलोफर चक्रवाती तूफान के कारण गुजरात का कच्छ एवं सौराष्ट्र इलाका प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा पाकिस्तानी समुद्री तटरेखा स्थित कराची शहर भी प्रभावित होगा। इसके साथ ही राजस्थान के शहर जैसलमेर एवं बाड़मेर भी इसकी चपेट में आ सकते हैं।
मौसम विभाग के अनुसार निलोफर की गति 100 किलोमीटर प्रति घंटा मानी जा रही है एवं तेज बारिश होने की संभावना है। इस चेतावनी को ध्यान में रखते हुए अभी तक गुजरात के समुद्री इलाकों से 30,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंच दिया गया है।
मौसम विभाग की तरफ से 31 अक्टूबर और 1 नवंबर को निलोफर नामक चक्रवाती तूफान के आने की संभावना प्रकट की गई है। इसको ध्यान में रखते हुए गणेशास्पीक्स ने उपरोक्त दो दिनों की ग्रहीय स्थितियों का आकलन करने की कोशिश की है, ताकि मौसम को लेकर भविष्यवाणी की जा सके।
31 अक्टूबर2014
गणेशजी 31 अक्टूबर2014 का ग्रहीय पारगमन देखने के बाद कहते हैं कि उस दिन श्रवण नक्षत्र लागू होगा। इस नक्षत्र का स्वामी चंद्रमा है। स्वतंत्र भारत की कुंडली में उस दिन पांच ग्रहों की युति बन रही है एवं चंद्रमा उसके बिल्कुल सामने की दिशा में है। ग्रहीय स्थिति संकेत दे रही है कि उस दिन भारत के बहुत सारे क्षेत्रों में तेज बारिश होने की संभावना है, विशेषकर तटवर्तीय क्षेत्रों में। इसको देखते हुए चक्रवाती तूफान आने की संभावनाएं अधिक हो जाती हैं। इसके अलावा निलोवर के कारण कुछ क्षेत्रों में भूस्खलन की संभावना भी है। हालांकि, गणेशजी 31 अक्टूबर2014 को अधिक नुकसान होने की संभावना नहीं देख रहे हैं।
1 नवंबर2014
हालांकि, 1 नवंबर2014 को ग्रहीय स्थिति तो अच्छी नहीं नजर आ रही है; मौसमी गड़बड़ियों के कारण चिंता बनी रह सकती है। इस दिन चंद्रमा धनिष्ठा नक्षत्र में है, जिसका स्वामी उग्र स्वभाव का ग्रह मंगल है। गणेशजी इस ग्रहीय स्थिति को अच्छा संकेत नहीं मान रहे हैं क्योंकि मंगल जबरदस्त तबाही का संकेत देता है।
इसके साथ ही, उस दिन भगवान शनि देव भी महत्वपूर्ण ग्रहीय चाल बना रहा है। 2 नवंबर 2014 को शनि वृश्चिक राशि में प्रवेश करेगा, जिसका स्वामी मंगल है। इसके कारण शनि का प्रभाव भी देखने को मिलेगा। शनि अपनी उच्च की राशि तुला को छोड़कर वृश्चिक में प्रवेश करेंगे, जहां शनि अगले 2.5 साल तक रहेगा। यह सबसे महत्वपूर्ण ग्रहीय परिवर्तन माना जा रहा है। इसका प्रभाव धरती पर सबसे अधिक देखने को मिलेगा, क्योंकि शनि सौर मंडल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है।
हालांकि, कुल मिलाकर राहत की बात यह है कि भारत देश की कुंडली के अनुसार इस समय गुरू की भारत पर पूरी पूरी कृपा है। शनि के मुकाबले में गुरू बड़ा ग्रह है। इसलिए गणेशजी को उम्मीद है कि गुरू की कृपा दृष्टि से भारत के तटवर्तीय क्षेत्रों मे अधिक नुकसान नहीं होगा।
गणेशजी आशा करते हैं कि आपका भाग्य आपका साथ दे एवं आपका जीवन मंगलमय हो।
गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
श्री धर्मेश जोशी
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम