सावन माह में एकादशी व्रत से होती है संतान की रक्षा
सावन माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। इस साल 2025 में पुत्रदा एकादशी व्रत 10 जनवरी, 30 दिसम्बर और 31 दिसम्बर को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान की प्राप्ति और इसके प्रभाव से संतान की रक्षा होती है।
पुत्रदा एकादशी का महत्व
हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रतिवर्ष दो बार पुत्रदा एकादशी का व्रत मनाया जाता है। सावन महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी का त्योहार होता है। वहीं पौष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को भी पुत्रदा एकादशी मनाई जाती है। मान्यता है कि संतान प्राप्ति में बाधा आने या पुत्र या पुत्री प्राप्ति की कामना करने वाले लोगों के लिए पुत्रदा एकादशी का व्रत शुभफलदायक होता है।
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संतान प्राप्ति के लिए पुत्रदा एकादशी पूजन विधि
इस दिन बाल गोपाल की पूजा करनी चाहिए। पूरे दिन उपवास रहकर शाम के समय कथा सुनने के बाद फलाहार किया जाता है। इस दिन दीप दान करने का भी महत्व है।
1. सावन में पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं को व्रत से पूर्व यानी दशमी के दिन एक ही वक्त वह भी सात्विक भोजन करना चाहिए। व्रती को संयमित और ब्रह्मचर्य के नियम का पालन करना चाहिए।
2. सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर गंगा जल, तुलसी दल, तिल, फूल और पंचामृत से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
3. व्रती को उपवास रहना चाहिए और शाम को दीपदान के बाद फलाहार किया जा सकता है।
4. व्रत के अगले दिन द्वादशी पर किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराकर, दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करना चाहिए।
5. संतान की इच्छा के लिए पति-पत्नी को सुबह के वक्त संयुक्त रूप से भगवान श्री कृष्ण की उपासना करनी चाहिए।
6. संतान गोपाल मंत्र का जाप करें और इसके बाद प्रसाद ग्रहण कर गरीबों और जरुरतमंदों को भोजन कराना और दक्षिणा देना चाहिए
पुत्रदा एकादशी व्रत कथा
प्राचीन काल में भद्रावती नगर में राजा सुकेतुमान का शासन था। उनकी पत्नी का नाम शैव्या था। वर्षों बीत जाने के बावजूद संतान नहीं होने के कारण पति-पत्नी दुःखी और चिंतित रहते थे। इसी चिंता में एक दिन राजा सुकेतुमान अपने घोडे़ पर सवार होकर वन की ओर चल दिए। घने वन में पहुंचने पर उन्हें प्यास लगी तो पानी की तलाश में वे एक सरोवर के पास पहुंचे। वहां उन्होंने देखा कि सरोवर के पास ऋषियों के आश्रम भी हैं और वहां ऋषि-मुनी वेदपाठ कर रहे हैं। पानी पीने के बाद राजा आश्रम में पहुंचे और ऋषियों को प्रणाम किया। राजा ने ऋषियों से वहां जुटने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि वे सरोवर के निकट स्नान के लिए आये हैं। उन्होंने बताया कि आज से पांचवें दिन माघ मास का स्नान आरम्भ हो जाएगा और आज पुत्रदा एकादशी है। जो मनुष्य इस दिन व्रत करता है, उन्हें पुत्र की प्राप्ति होती है। इसके बाद राजा अपने राज्य पहुंचे और पुत्रदा एकादशी का व्रत शुरू किया और द्वादशी को पारण किया। व्रत के प्रभाव से कुछ समय के बाद रानी गर्भवती हो गई और उसने एक पुत्र को जन्म दिया। अगर किसी को संतान प्राप्ति में बाधा होती है तो उन्हें इस व्रत को करना चाहिए। व्रत के महात्म्य को सुनने वाले को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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पुत्रदा एकादशी व्रत मुहूर्त
पौष पुत्रदा एकादशी शुक्रवार, जनवरी 10, 2025 को
एकादशी तिथि प्रारम्भ – जनवरी 09, 2025 को 12:22 बजे
एकादशी तिथि समाप्त – जनवरी 10, 2025 को 10:19 बजे
11वाँ जनवरी को, पारण (व्रत तोड़ने का) समय – 07:15 से 08:21
पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय – 08:21
पौष पुत्रदा एकादशी मंगलवार, दिसम्बर 30, 2025 को
एकादशी तिथि प्रारम्भ – दिसम्बर 30, 2025 को 07:50 बजे
एकादशी तिथि समाप्त – दिसम्बर 31, 2025 को 05:00 बजे
31वाँ दिसम्बर को, पारण (व्रत तोड़ने का) समय – 13:26 से 15:31
पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय – 10:12
गौण पौष पुत्रदा एकादशी बुधवार, दिसम्बर 31, 2025 को
1वाँ जनवरी को, गौण एकादशी के लिए पारण (व्रत तोड़ने का) समय – 07:14 से 09:18
पारण के दिन द्वादशी सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाएगी।
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