विश्व के भिन्न भिन्न हिस्सों में तूफान को अलग अलग नामों जैसे चक्रवात, झंझावात एवं बवंडर आदि नाम से पुकारा जाता है। आम तौर पर चक्करदार तेज हवाओं के साथ मूसलाधार बारिश होने की स्थिति को चक्रवात तूफान कहा जाता है। अटलांटिक महासागर में इसको चक्रवात, जबकि हिंद महासागर में झंझावात के नाम से पुकारा जाता है। इसके अलावा प्रशांत महासागर में बवंडर के नाम से जाना जाता है।
चाहे वर्तमान समय में फ़िलिपींस में आया हगुपिट हो या पूर्व में आए हुदहुद, वोंगफोंग, निलोफर, फैलिन या अन्य समुद्री तूफान, इन सभी ने मानवीय जीवन को बहुत बड़े स्तर पर नुकसान पहुंचाया है। हिंद महासागर चक्रवाती गतिविधियों का एक बड़ा केंद्र है। इतिहास में दर्ज घातक 35 तूफानों में से 27 तूफान बंगाल की खाड़ी के माध्यम से आए, जिन्होंने बंग्लादेश एवं भारत को प्रभावित किया।
हाल में, फीलिपींस के अंदर आया हगुपिट नामक तूफान प्राकृतिक आपदा की बेहद घातक व्यवस्था है। इसके कारण कुछ स्थानों पर भूस्खलन हुआ, जहां पिछले वर्ष हैयां बवंडर आया था, अभी तक हैयां के कारण हुए नुकसान से उभरने के लिए संघर्ष जारी है।
मौसम विज्ञान विशेषज्ञों के अनुसार, हगुपिट की तीव्रता कमजोर हो सकती है, हालांकि, फिर भी इसके कारण बाढ़ आने एवं बड़े स्तर पर नुकसान होने की संभावना है। उष्णकटिबंधीय चक्रवात हगुपिट अब तक 24 लोगों की जान ले चुका है एवं इसके कारण 30 मिलियन लोग बुरी तरह प्रभावित हो चुके हैं।
पर्यावरण और मौसम विश्लेषण :
वैदिक ज्योतिष की मदद से प्राकृतिक आपदाओं के पीछे ग्रहीय स्थिति की भूमिका का अध्ययन किया जा सकता है। इस विशेष पद्धति के माध्यम से प्राकृतिक प्रणाली, जलवायु / मौसम परिवर्तन और पर्यावरणीय प्रभावों का पूर्व में पता लगाया जा सकता है। गणेशजी ने ग्रहीय स्थितियों का आकलन करने के बाद कुछ महत्वपूर्ण जानकारियों को प्रकट करने की कोशिश है, जिनके बारे में जानने के लिए लोगों में उत्सुकता देखने मिल रही है।
ज्योतिषीय अवलोकन :
कठोर और धीमी गति से चलने वाला ग्रह शनि वायु तत्व को प्रकट करता है, जो इस समय जल तत्व राशि वृश्चिक के बीच से पारगमन कर रहा है। इसके अलावा, वृश्चिक का स्वामी मंगल है, जिसको शनि का विरोधी ग्रह माना जाता है।
उधर, शनि का दुश्मन एवं अत्यधिक अग्नि तत्व ग्रह सूर्य वृश्चिक राशि के बीच से गुजर रहा है। यह ग्रहीय संयोजन काफी निर्णायक है। इस संयोजन का प्रभाव अगले 10-12 दिनों तक लागू रहेगा। इस समय के दौरान प्राकृतिक आपदा की तीव्रता मध्यम स्तर से उच्च स्तर तक जाने की संभावना है।
पानी तत्व राशि में प्रतिगामी गुरू के कारण प्राकृतिक आपदा का असल स्थान या स्थल पहचान पाना मुश्किल है। हालांकि, समुद्री तटों, बड़ी नदियों एवं नौगम्य जलाशय के समीप प्राकृतिक आपदा आने की संभावना अधिक रहेगी।
इसके साथ ही, 22 दिसंबर 2014 से 21 जनवरी 2015 तक की समय अवधि के दौरान सूर्य एवं बुध वृश्चिक राशि के बीच से पारगमन करेगा। इस समय अवधि के दौरान यूरोप, ब्रिटेन एवं अमेरिका के समुद्रीय तटों पर बिजली व वज्रध्वनि के साथ आंधी चलने और मूसलाधार बारिश होने की संभावना है।
गणेशजी देख रहे हैं कि पारगमन करता बुध 22 जनवरी 2015 को प्रतिगामी हो जाएगा, जिसके कारण जलवायु परिस्थितियों में अचानक परिवर्तन देखने को मिल सकता है, विशेषकर 10 फरवरी 2015 तक। इस जलवायु परिवर्तन के साक्षी ऑस्ट्रेलिया, चिली, हंगरी, सऊदी अरब, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका और स्पेन निवासी बन सकते हैं।
गणेशजी पूरे विश्व एवं मानवता के मंगल जीवन की कामना करते हैं।
गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
मालव भट्ट
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम