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जानें भाद्रपद माह के विशेष नियम अर्थ और महत्व

जानें भाद्रपद माह के विशेष नियम अर्थ और महत्व

हिंदू धर्म कैलेंडर के अनुसार 10 अगस्त से भाद्रपद यानी भादौ माह की शुरुआत होने वाली है। भाद्रपद चातुर्मास के चार पवित्र महीनों में दूसरा महीना है। मान्यताओं के अनुसार इन चार महीनों में भगवान विष्णु क्षीर सागर छोड़ पाताल में राजा बलि के यहां निवास करते हैं। चातुर्मास धार्मिक और व्यावहारिक नजरिए से जीवनशैली में संयम और अनुशासन अपनाने का काल है। भाद्रपद मास में हिन्दू धर्म के कई बड़े व्रत, पर्व और त्यौहार मनाए जाते हैं। इनमें श्री कृष्ण जन्माष्टमी, हरतालिका तीज, गणेशोत्सव, डोल ग्यारस, ऋषि पंचमी, और अनंत चतुर्दशी व्रत व त्यौहार शामिल है। भाद्रपद माह का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है, क्योंकि यह महीना केवल भक्ति के लिए है। अन्य सभी तरह के मांगलिक कार्य इस दौरान बंद रहते हैं।

भाद्रपद माह का ज्योतिषीय महत्व

हिंदू धर्म कैंलेंडर में चंद्रमा को आधार मानकर दिन, तिथि और माह का निर्धारण किया जाता है। चंद्रमा और नक्षत्रों में उनके भ्रमण के आधार पर महीने और उनके नाम तय किए जाते हैं। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा जिस नक्षत्र में होते हैं, उसे नक्षत्र को हिंदी महीने के नाम से जाना जाता है। भाद्रपद की शुरूआत सावन माह के खत्म होने के साथ होती है। सावन के बाद भादौ में भी मानसून से पृथ्वी तर बतर होती रहती है। इसी के साथ भाद्र के महीने में घर का निर्माण, शादी, सगाई और अन्य किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है। भादौ का महीना भक्ति, स्नान-दान और पूजा पाठ के लिए उत्तम माना गया है।

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भाद्रपद मास की शुरुआत रंक्षबंधन के त्यौहार के अगले दिन यानी श्रावण मास की शुक्ल पूर्णिमा के दिन से होती है। वर्ष 2025 में भाद्र मास 10 अगस्त 2025, रविवार से शुरू होकर भाद्र शुक्ल पूर्णिमा तक रहेगा। वर्ष 2025 में भाद्र शुक्ल पूर्णिमा 7 सितंबर 2025, रविवार को आने वाली है

भाद्रपद माह के प्रमुख त्यौहार और तिथि

10 अगस्त, रविवार- भाद्रपद प्रारंभ
12 अगस्त, मंगलवार- कजरी तीज
15 अगस्त, शुक्रवार- श्री कृष्ण जन्माष्टमी
22 अगस्त, शुक्रवार- दर्श अमावस्या
26 अगस्त, मंगलवार- हरतालिका तीज
27 अगस्त, बुधवार- गणेश चतुर्थी
28 अगस्त, गुरुवार- ऋषि पंचमी
06 सितंबर, शनिवार- अनंत चतुर्दशी
07 सितंबर, रविवार- भाद्रपद पूर्णिमा

भाद्रपद माह के विशेष नियम

भाद्र एक संस्कृत शब्द है और इसका अर्थ है, कल्याण करने वाला। इस महीने में भद्र यानी अच्छे परिणाम देने वाले व्रत आने के कारण इसे भाद्र माह कहा जाता है। यह महीना संयम बरतने, व्रत, उपवास, नियम और निष्ठा पालन के लिए जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार यह माह अपनी गलतियों के प्रायश्चित के लिए उत्तम माना गया है। आइए जानते है इस माह में किन नियमों का पालन करना चाहिए और क्या करने से बचना चाहिए ।

– भाद्र माह में कच्ची चीजें खाने से परहेज करें।
– दही खाने के बचें, क्योंकि दही खाने से स्वास्थ्य बिगड़ सकता है।
– इस दौरान गुड़ का सेवन करने से गले से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
– भाद्र माह में किसी का दिया हुआ चावल खाने से लक्ष्मी घटती है।
– भोजन में नारियल के तेल का उपयोग नहीं करना चाहिए, इससे सुखों में कमी आती है।
– तिल के तेल का सेवन भी वर्जित है, इससे उम्र घटती है।

गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम

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