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कुंडली के तीसरे भाव में शुक्र का महत्व

कुंडली के तीसरे भाव में शुक्र का महत्व

वैदिक ज्योतिष, राशियों और कुंडली के आधार पर ब्रह्मांड में विद्यमान समस्त ग्रहों की स्थिति को समझने और उसके मानव जाति पर पड़ने वाले प्रभावों का वर्णन करता है। किसी कुंडली में कुल बारह भाग या स्थान होते हैं, जिन्हें भाव या घर के नाम से संबोधित किया जाता है। ब्रह्मांड को 360 डिग्री मान गया है, ठीक वैसे ही कुंडली को भी 360 डिग्री माना गया है। जिस तरह ब्रह्मांड को राशियों में बाटां गया है, वैसे ही कुंडली को भी 12 भावों में बांटा गया है। कुंडली का प्रत्येक भाव 30 डिग्री का होता है, और प्रत्येक भाव का जातक के जीवन के महत्वपूर्ण क्षेत्रों से संबंध होता है। फिलहाल हम कुंडली के तीसरे भाव में शुक्र के प्रभाव का आंकलन करेंगे। कुंडली का तीसरा स्थान पराक्रम स्थान होकर, पराक्रम, साहस, दोस्त, लघु प्रवास, संगीत, महत्वपूर्ण फेरबदल, दलाली और शौर्य जैसे क्षेत्रों से संबंध रखता है।

लेकिन इससे पहले हमें शुक्र के गुण दोष, स्वभाव और प्रभाव को समझना होगा। शुक्र जिसे भोर का तारा भी कहा जाता है। वैदिक ज्योतिष में शुक्र को काल पुरूष के सौंदर्य का प्रतीक माना गया है। शुक्र एक छोटा ग्रह है, लेकिन वैदिक ज्योतिष में शुक्र को बेहद ही शक्तिशाली और प्रभावी ग्रह की संज्ञा मिली है। शुक्र का मनुष्य के शरीर की सात धातुओं में से एक पर अधिपत्य होता है। शुक्र काल पुरूष के सौंदर्य का प्रतीक होकर, प्रेम और वैवाहिक जीवन के नैसर्गिक सुख प्रदान करते है। शुक्र के शुभ प्रभाव में जातक दयालु, मिलनसार, सुंदर, मोहक, मुखाकृति, ललित कला में माहिर, शांतिप्रिय, यशस्वी, उदार, अतिथि प्रिय तथा सदैव खुशमिजाज रहने वाला होता है। वहीं शुक्र के अशुभ प्रभाव में गृह जीवन में कलह, प्रणय में संदेह, हठवादिता, आर्थिक संकट, त्वचा, गले में खराश, प्रजनन अंग, गुप्तांग, नसों के विकार जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

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सकारात्मक

कुंडली के तीसरे भाव में शुक्र जातक को मौखिक रूप से बहुत अभिव्यंजक और कूटनीतिक है। वे तारीफ करने में काफी उदार होते है, और काफी अच्छे मध्यस्थ होते है। ऐसे जातक दो विपरीत ध्रुवों के बीच विवाद या समस्याओं को बहुत ही अच्छे ढंग से निपटाने की क्षमता रखते है। वे अपने तर्कों से किसी भी विवाद को सुलझाने में सक्षम है, चाहे वह शांति कुछ दिनों की अस्थायी ही क्यों ना हो। कुंडली के तीसरे भाव में शुक्र की मौजूदगी जातक को भाषण कला में महारथ प्रदान करने का कार्य करता है। ऐसे जातक अपने संवाद में बेहद विनम्र और प्रेरक हो सकते है। ऐसे जातक रचनात्मक और लेखन कार्याें में संलिप्त हो सकते है।

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ऐसे जातक यात्रा के शौकीन हो सकते है और उन्हे छोटी यात्राओं से लाभ मिलने की भी पूरी संभावना होती है। वे शांतिपूर्ण और आरामदायक परिवेश में रहना पसंद करते है। ऐसे जातक सुंदर वस्तुओं और सुंदर वस्त्र आभूषणों का भी शौक रखते होगें। उनके अपने रिश्तेदारों, संबंधियों और पड़ोसियों के साथ सौहार्दपूर्ण और आनंदमय संबंध होगें। कुंडली के तीसरे भाव में शुक्र जातक को अव्यवस्था और दुराचार से दूर रखने का कार्य कर सकते है, वे अपनी वस्तुओं और रिश्तों को अव्यवस्था मुक्ति रखना पसंद करते है। वे जीवन की निरंतरताओं को बनाए रखने के लिए रिश्तों में टकराव और तर्कों से बचने का कार्य करते है। तीसरे भाव में शुक्र जातक को वैवाहिक और प्रेम जीवन में भी संयम और धैर्य का परिचय देते है।

तीसरे घर में शुक्र जातक को कला और साहित्य से संबंधित क्षेत्रों में शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है। वे शिक्षक या अन्य ज्ञान व संवाद से संबंधित क्षेत्रों में नौकरी या व्यवसाय का चयन करते है। कुंडली के तीसरे भाव में शुक्र जातक को भाषा और साहित्य में रूचि रखने वाला और उनकी प्रशंसा करने वाला बनाता है। ऐसे जातक वाद विवाद और चर्चा पसंद करते है। वे सदैव किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश में होते है जो उनकी मानसिक क्षमताओं को चुनौती दे सके। मुख्य रूप से शुुक्र प्रेम और कामुकता से संबंध रखता है लेकिन इसका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध आनंद और चरम आनंद से भी होता है। तीसरे स्थान पर शुक्र जातक को बड़े सामाजिक दायरे में रहने के लिए प्रेरित करते है और उन्हे लोगों के बीच घिरे रहना पसंद भी होता है। उनके दिमाग में बहुत कुछ होता है।

नकारात्मक

कुंडली के तीसरे भाव में शुक्र की मौजूदगी जहां जातक के जीवन में कुछ सकारात्मकता का संचार कर सकता है, तो वहीं कुछ नकारात्मकता का सामना भी उन्हे करना पड़ सकता है। तीसरे स्थान पर शुक्र जातक को कुछ मानसिक तनाव में डाल सकते है। वे अन्य लोगों के साथ सदैव अच्छा और विनम्र व्यवहार करना चाहते है लेकिन इसमें उन्हे हमेशा सफलता नहीं मिल सकती। शुक्र जातक लोगों के साथ गर्मजोशी और स्नेह से मिलने का दिखावा करते है। वे केवल उन लोगों के लिए अच्छे हो सकते है जो उन्हे लाभ दे सकते है। ऐसे जातक अपने लाभ के लिए लोगों की चापलूसी भी कर सकते है, हालांकि ऐसा करने से उनकी विश्वसनीयता पर सवाल रखे करने का कार्य कर सकता है।

कुंडली के तीसरे स्थान पर शुक्र जातक को दिमागी रूप से उलझने में डालने का कार्य कर सकते है। वे जातक को कई मानसिक दाव पेंच में उलझाने का कार्य कर सकते है। ऐसे जातक कई बार लोगों की बातों का ठीक मतलब नहीं समझ पाते और यह बात उन लोगों को भी समझ आती है जो उन्हे कुछ समझाना चाहते है। तीसरे घर में शुक्र जातक को मानसिक उत्तेजना देने का कार्य कर सकते है, परिणाम स्वरूप वे अपने प्रेम संबंधों में भी निरंतर परिवर्तन की चाह करने लगते है। तीसरे घर में बैठे शुक्र जातक को किसी करीबी रिश्तेदार या पड़ोसी के लिए शारीरिक रूप आकर्षित करने का कार्य कर सकते है। उन्हे रिश्तेदारों और रिश्तों को अधिक महत्व देने का प्रयत्न करना चाहिए। ऐसे जातकों पर कभी-कभी लोगों के साथ मजबूत जुड़ाव बनाने की आवश्यकता हावी हो सकती है।

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गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स टीम

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