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वैदिक ज्योतिष के तीसरे घर में राहु का महत्व

कुंडली के तीसरे भाव में शनि का महत्व

वैदिक ज्योतिष में शनि को कर्म फलदाता माना गया है। कुंडली में प्रभाव के अनुसार शनि की तुलना किसी सख्त शिक्षक से की जा सकती है। किसी राशि पर अपने प्रभाव के रूप में शनि जातक को अनुशासित, धैर्यवान और मेहनतकश बनाने का काम करते है। जन भ्रांतियों के अनुसार शनि को पापी ग्रह माना जाता है, लेकिन जिस तरह मटका ठंडा पानी देने से पहले कुम्हार के भट्टे की भीषण आग में तपता है। उसी प्रकार शनि भी व्यक्ति को तपाने का कार्य करते है। शनि की भट्टी में पका व्यक्ति जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता की ओर अग्रसर होता है।

अन्य ग्रहों की तरह ही शनि भी कुंडली के भिन्न भिन्न भावों में अलग-अलग प्रभाव डालने का कार्य करते है। फिलहाल हम कुंडली के तीसरे भाव में शनि के प्रभावों का अध्ययन करेगें। कुंडली का तीसरा भाव पराक्रम भवन के नाम से जाना जाता है। इसका संबंध कुंडली के महत्वपूर्ण फेरबदल, छोटे भाई, दोस्त, सगे संबंधी, नौकर चाकर, पड़ोसी जैसे अनेक महत्वपूर्ण क्षेत्रों से होता है। कुंडली के तीसरे भाव को पुरूष, विक्रम, सहोदर, वीर्य, धैर्य, कर्ण और सहजता का पर्याय भी माना गया है। कुंडली के तीसरे भाव में शनि की मौजूदगी जातक के संवाद, करियर, पेशेवर जीवन, मानसिक स्थिति और गूढ़ जीवन को प्रभावित करती है। हालांकि कुंडली के तीसरे भाव में शनि की मौजूदगी जातक के जीवन में अनुकूल और प्रतिकूल दोनों ही तरह की स्थितियों का निर्माण कर सकती है।

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सकारात्मक

जिन जातकों की कुंडली के तीसरे घर में शनि मौजूद हो वे बहुत कम बोलते हैं। इसका अर्थ यह है कि वे उतना ही बोलते है जितना आवश्यक है। उनके वाक्य काफी लचीले होते हैं और वे किसी भी परिस्थिति में पहले बोलने से बचते हैं। वे जो कहते हैं उसमें काफी सतर्क और सुरक्षित रहने का प्रयास करते है। यह गुणवत्ता कुछ प्रकार के व्यवसायों में विशेष रूप से सहायक हो सकती है। यह गुण खासकर उन लोगों के लिए अधिक उपयोगी हो सकते है जिनकी नौकरी या पेशे में विवेक पूर्ण रुख रखने की आवश्यकता होती है। तीसरे घर में शनि के मूल निवासी गुप्त सूचना और कागजात से संबंधित नौकरियों के लिए बहुत अच्छे होते है। ऐसे जातक विशेष रूप से इन पेशों में अधिक बेहतर प्रदर्शन कर पाते है जहां नियोक्ता और कर्मचारी के बीच न्यूनतम बातचीत होती है।

जिन जातको की कुंडली में शनि तीसरे स्थान पर मौजूद है, उन जातकों को नकारात्मक बातों पर ध्यान देने के बजाय जीवन के सकारात्मक पक्ष को देखने की कोशिश करनी चाहिए। उनमें एकाग्रता की शानदार क्षमता होती है। ऐसे जातकों को व्यावसायिक कारणों से यात्रा करने के शानदार मौके प्राप्त हों सकते है। कुंडली के तीसरे घर मे शनि जातक को अंर्तमुखी बनाने का कार्य कर सकते है। लेकिन लोगों को सुनना और उनसे सीखने की क्षमता उन्हे लाभान्वित करने का कार्य भी कर सकती है। ऐसे जातक अधिक बात करने मे विश्वास नहीं करते इसके बावजूद लोग उन्हे सुनना पसंद करते है। उनके पास तेज दिमाग होता है और वे उन खेलों में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं जिनमें रणनीति और विश्लेषण शामिल होता है।

नकारात्मक

तीसरे घर में शनि के निवासी आमतौर पर गंभीर और व्यवस्थित होते हैं। लेकिन कम या अनुचित संचार के कारण उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जीवन में उनके काफी अलग-थलग रहने की संभावना है। इस प्रकार, वे कई बार निराशावादी और अवसाद के शिकार हो सकते हैं। ऐसे जातकों को अपने भाई-बहनों और रिश्तेदारों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

जिन जातकों की कुंडली के तृतीय भाव में शनि मौजूद हो उन्हे वाहन चलाते समय सतर्क रहना चाहिए, विशेषकर तीसरे घर में शनि के वक्री होने के दौरान अधिक सावधानी बरतनी चाहिए। जब शनि प्रतिगामी होता है, तो उन्हे अभिव्यक्ति और संचार में बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, उन्हे जीवन के कुछ महत्वपूर्ण निणर्य लेने में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। वे जीवन के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं को आसानी से देख पाते है और यही उनकी परेशानी का सबब भी बनता है। क्योंकि चेतन मन अचेतन मन के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए लगातार संघर्ष करता रहता है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि ये मूल निवासी केवल सतह को खरोंचते हैं, और गहरे अर्थों को समझने का प्रयास नहीं करते है।

जिन लोगों की कुंडली में शनि तीसरे घर में है, उन्हें अपने फेफड़ों की अतिरिक्त देखभाल करनी चाहिए। उन लोगों को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए जिनके परिवार के किसी सदस्य को पहले भी फेफड़ों से संबंधित बीमारी रह चुकी हो। ऐसे जातकों को सलाह दी जाती है कि वे धूम्रपान न करें, बहुत अधिक नमी वाले स्थानों से दूर रहे और अपने फेफड़ों की निश्चित समय सीमा के बाद जांच करवाते रहें। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य प्रतिकूल प्रभाव भी देखने को मिल सकते है, ऐसे जातक ड्राइविंग सीखने से डर सकते है, या अपना ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने के बाद भी, ड्राइव करने की पहल करने में असहज महसूस कर सकते हैं।

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निष्कर्ष

निष्कर्ष के तौर पर कहा जा सकता है कि कुंडली के तीसरे भाव में शनि जातक को कुंडली में बन रहे योग के आधार पर अनुकूल या प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकते है। शनि कुंडली के तीसरे स्थान पर जातक को विवेकशील बनाने का कार्य कर सकते है। ऐसे जातक कम परंतु सटीक बोलने वाले हो सकते है वे गुप्त सूचनाओं से जुड़े हो सकते है। हालांकि कुंडली के तीसरे भाव में शनि की मौजूदगी से उन्हे कुछ मुश्किलों का सामना भी करना पड़ सकता है। लेकिन कुंडली के तीसरे भाव में शनि की मौजूदगी उन्हे अनुशासित और संयमित बनाने का कार्य भी कर सकती है।

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