कुंडली में मंगल की दुर्लभ स्थिति से बनता है रुचक योग, जानिए महत्व और प्रभाव
कुंडली में मंगल के संयोजन से तैयार होने वाले रुचक योग को वैदिक ज्योतिष में बेहद शुभ योग माना गया है। कुंडली में रुचक योग मंगल की कुछ विशेष परिस्थिति में निर्मित होता है। रुचक योग के शुभ प्रभाव में जातक बलशाली, पराक्रमी, साहसी, प्रबल मानसिक क्षमता, तीव्र निर्णय लेने वाला और साहसी होता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में रुचक योग बनने पर जातक को मंगल से मिलने वाले तमाम सकारात्मक गुणों का लाभ मिलता है। लेकिन कुंडली में रुचक योग की स्थिति और उसका अध्ययन करते समय कुछ विशेष ज्योतिषीय नियमों का अनुपालन करना अनिवार्य है। लर्न स्ट्रोलाॅजी के इस सेगमेंट में हम जानेंगे रुचक योग क्या है? कुंडली में रुचक योग का महत्व और जातक पर रुचक योग के प्रभावों की विवेचना करेंगे।
वैदिक ज्योतिष में रुचक योग
किसी जातक की जन्म कुंडली में मंगल की कुछ विशेष परिस्थितियों से बनने वाले योग को रुचक योग के नाम से जाना जाता है। कुंडली में रुचक योग है या नहीं इसे जानने के लिए आपको मंगल की स्वराशि और केंद्रीय भाव का ज्ञान होना चाहिए। इसी के साथ आपको मंगल की उच्च राशि का भी ज्ञान होना चाहिए।
राशि स्वामी और उच्च राशि, कुंडली में मंगल को मेष व वृश्चिक राशि का स्वामी माना गया है वहीं मकर राशि मंगल का उच्च स्थान है।
केंद्रीय भाव, कुंडली के पहले, चौथे, सातवें और दसवें भाव के संयुक्त मंडल को कहा जाता है।
रुचक योग परिभाषा
कुंडली में रुचक योग का आंकलन करते समय इस बात का ध्यान रखें की मंगल कुंडली में मेष, वृश्चिक अथवा मकर राशि में होने के साथ ही केंद्रीय भाव मतलब पहले, चौथे, सातवें और दसवें भाव में से किसी एक में होने चाहिए। तभी रुचक योग को प्रभावी माना जायेगा। कुंडली में रुचक योग की उपरोक्त स्थिति के पश्चात भी यदि मंगल नीच के है, तब भी रुचक योग से मनोरथ सिद्ध नहीं होंगे । इसी के साथ इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए की कुंडली के पहले और सातवें भाव में मंगल दोष का भी निर्माण करता है, जिससे जातक मांगलिक हो सकता है। यदि कुंडली के उपरोक्त भावों में मंगल 5 से 25 डिग्री के बीच बैठे है, और उनका शनि, राहु या केतु से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई संबंध नहीं बन रहा। तब ही रुचक योग के सम्पूर्ण फल आपको प्राप्त होंगे। यदि मंगल पहले और सातवे भाव में स्वराशि या उच्च होकर केन्द्रीय भाव मे भी बैठा हो और उसका शनि, राहु अथवा केतु के साथ कोई प्रतिकूल संबंध बनता है, तब भी रुचक योग सिद्धि नहीं होगा। इसी के साथ इस बात का भी विशेष ध्यान रखें की मंगल के वक्री होने पर भी रुचक योग कारगर नहीं होगा। बल्कि वक्री मंगल विपरीत ग्रहों की संगत में किसी प्रतिकूल स्थिति का निर्माण भी कर सकते है।
जातक पर रुचक योग के प्रभाव
यदि किसी भाग्यशाली जातक की कुंडली में सटीक रुचक योग के लिए आवश्यक सभी स्थितियां निर्मित हो रही हो तब जातक को जीवन के वे सभी सुख मिलेंगे जो वह अपनी बुद्धि से प्राप्त करना चाहेगा। क्योंकि मंगल पराक्रम और शौर्य के कारक है, वे जातक को जीवन की कठिन से कठिन परीक्षा पास करने की क्षमता प्रदान करते है। ऐसे जातक अपने पराक्रम से राजा के समकक्ष स्थान प्राप्त करते है। वे बड़ी भूमि के मालिक, सेना में कमांडर, उच्च राजनीतिक, प्रतिष्ठित अधिकारी हो सकते है। रुचक योग के प्रभाव में जातक कोई भी मुश्किल फैसला सटीकता से ले सकता है। उनकी शारीरिक क्षमताएं सामान्य जन से अधिक बेहतर होती है। वे खेल जगत, राजनीति, सिनेमा और मंगल से संबंध रखने वाले क्षेत्रों में ख्याति प्राप्त करते है। वे न्याय पसंद और धैर्यवान होते है, मंगल का तेज उनके मुख और चरित्र में साफ देखा जा सकता है। उनमें गजब की ऊर्जा हो सकती है, जिसका तेज आप उनकी मौजूदगी में महसूस कर सकते है।
इन हस्तियों की कुंडली मे है रुचक योग
मंगल के इस मंगलकारी दुर्लभ रुचक योग के प्रभाव देश और दुनिया की कई महान हस्तियों में देखने को मिलते है। स्वामी विवेकानंद जी की कुंडली में रुचक योग था। देश के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, दिवंगत अभिनेता-राजनेता करूणानिधि, ब्रिटेन की क्वीन एलिजाबेथ, अक्षय कुमार, सलमान खान और ऐश्वर्या राय बच्चन जैसे फिल्मी सितारों की कुंडली में भी रुचक योग है।
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