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कुंडली के दूसरे भाव में राहु – सकारात्मक या नकारात्मक ?

सर्वविदित है कि कुंडली के प्रत्येक भाव का संबंध जातक के जीवन के किसी महत्वपूर्ण क्षेत्र से होता है। कुंडली का दूसरा भाव धन स्थान या कुटुंब स्थान के नाम से जाना जाता है। इसका संबंध धन, चल-अचल संपत्ति, कुटुंब, वाणी, वंश, धन संग्रह, रत्न, लाभ-हानि, महत्वाकांक्षा और विरासत संपत्ति जैसे क्षेत्रों से होता है। कुंडली के मुक्त भाव में ग्रहों का गोचर उनके प्रभावों में परिवर्तन करने की क्षमता रखता है। कुंडली के दूसरे भाव में राहु के प्रभाव या महत्व जानने से पहले हमें राहु के गुण-दोष, प्रभाव और स्वभावों को समझने का प्रयास करना चाहिए। राहु एक छाया ग्रह है, जो भौतिक रूप से मौजूद नहीं है। इसे चंद्रमा का उत्तरी नोड भी कहा जाता है। सामान्य तौर पर राहु को एक पापी ग्रह माना जाता है, जो कुंडली के लगभग सभी भाव में बुरे प्रभाव डालने का कार्य करता है। कुंडली के दूसरे भाव में राहु की मौजूदगी नियम, परिवार, ससुराल, धन जैसे क्षेत्रों को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। कुंडली के दूसरे भाव में राहु जातक के संवाद कौशल पर भी बुरे प्रभाव डाल सकता है। इसी के साथ जातक को आर्थिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है। कुंडली के दूसरे भाव में राहु जातक के सामने पारिवारिक समस्याएं भी पैदा कर सकता है।

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सकारात्मक

सामान्य तौर पर राहु का नाम आते ही जनमानस में भय और डर का पैदा होने लगता है। लेकिन कुंडली में निर्मित होने वाली कुछ परिस्थितियों में राहु जैसा ग्रह भी सकारात्मक या शुभ प्रभाव डालने का कार्य कर सकता है। कुंडली के दूसरे भाव में राहु जातक को आर्थिक रूप से संपन्न बनाने का कार्य कर सकते है। कुंडली के दूसरे भाव में बैठे राहु जातक को सांसारिक सुख-सुविधाओं और जीवन की विलासिता आसानी से प्राप्त करने में भी सहायता करते है। कुंडली के दूसरे स्थान पर राहु जातक को धन कमाने और उसका संग्रह करने के लिए भी प्रेरित कर सकते है। ऐसे जातक कड़ी मेहनत करते है और अपने परिश्रम से संपन्नता को प्राप्त करते है। ऐसे जातक धन संग्रह के साथ ही कला, कलाकृतियों व अन्य प्राचीन दुर्लभ एतिहास वस्तुओं का भी संग्रह करना पसंद करते है।

कुंडली के दूसरे घर में राहु जातक को अपने कुटुंब और वंष से दृढ़ता से जोड़ने का कार्य करता है। ऐसे जातक अपने वंष या कुटुंब पर गर्व कर सकते है। ऐसे जातक अपनी वास्तविक परिस्थिति से ऊपर उठ समाज में किसी विषेषाधिकार प्राप्त वर्ग की तरह खुद को प्रस्तुत करते है। कुंडली के दूसरे घर में राहु जातक को ऐसे लोगों के साथ रहने की प्रेरणा देता है, जो समाजिक रूप से विषेषाधिकार प्राप्त होता है। यदि राहु दूसरे भाव में मौजूद है तो जातक संवाद कौषल में महारत हासिल कर सकते है, और भाषा पर उनकी अच्छी पकड़ होती है। हालांकि कुंडली के दूसरे भाव में राहु की मौजूदगी एक निश्चित समय के बाद पारिवारिक मूल्यों से उनके दूर भागने की ओर भी इशारा करती है। उन्हे एक समृद्ध और समझदार जीवन साथी मिलने की पूरी संभावना होती है। इसी के साथ उन्हे अपने ससुराल पक्ष से भी काफी कुछ विरासत में मिलने की भी संभावना होती है।

 

नकारात्मक

राहु तीव्र और नकारात्मक ग्रह है, इसलिए कुंडली के दूसरे भाव में राहु की मौजूदगी कुछ नाराकत्मक या दुष्प्रभावों का भी संचार कर सकती है। कुंडली के दूसरे भाव में राहु की मौजूदगी इस भाव से मिलने वाली विषेषताओं को प्रभावित करने का कार्य कर सकती है। स्पष्ट शब्दों में कहा जाये तो कुंडली के दूसरे भाव में राहु की मौजूदगी पैसे, पारिवारिक जीवन और आर्थिक स्थिति जैसे क्षेत्रों को प्रभावित कर सकती है। कुंडली के दूसरे स्थान पर राहु जातक को अधिक और बेवजह खर्च करने के लिए प्रेरित करते है। ऐसे जातक उन वस्तुओं पर भी खर्च करने में नहीं कतराते जिनका आगे चलकर उनके जीवन में अधिक उपयोग भी नहीं होने वाला है। ऐसे जातकों को आर्थिक संतुलन या स्थिरता प्राप्त करने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। कुंडली के दूसरे घर में राहु जातक को कानूनी उलझनों में फंसाने की भी संभावना रखते है। ऐसे जातकों को वित्तीय अनियमितताओं से बचने का प्रयास करना चाहिए। कुंडली के दूसरे घर में राहु जातक के संवाद कौषल में कठोरता पैदा करने का कार्य कर सकता है। ऐसे जातकों के कई शत्रु हो सकते है, जो उनके संकट को बढ़ाने का कार्य कर सकते है। इसके अलावा जब दूसरे घर में राहु दूषित या विपरीत हो तब व जातक को भाषायी विकार देने का कार्य भी कर सकता है। ऐसे जातक परिवार से अलग हो जाते है और वित्तीय बाधाओं का सामना करते है। असंतोष और अन्य बीमारियों से भी पीड़ित हो सकते है।

कुंडली के दूसरे भाव में राहु जातक को व्यापक आत्मघाती विचार और भय देने का कार्य कर सकता है। कुंडली के दूसरे घर में राहु जातक को कुछ स्वास्थ्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है। ऐसे जातकों को हैजा, पेचिष, कब्ज, त्वचा रोग, गर्भाषय की सूजन जैसी बीमारियों से जूझना पड़ सकता है। कुंडली के दूसरे भाव में राहु जातक को आपराधिक प्रवत्तियों में शामिल होने की ओर भी इषारा करती है। ऐसे जातक हत्या और चोरी जैसे अपराधों में शामिल हो सकते है और उन्हे जेल की सजा भी काटनी पड़ सकती है। कुंडली के दूसरे स्थान पर राहु जातक को सुख की लालसा, मादक पदार्थाें, सिनेमाघरों, धोखा देने वालों, ढीठ और अनैतिक कामों के लिए प्रेरित कर सकती है।

निष्कर्ष

मूल रूप से राहु भ्रम पैदा करने वाला ग्रह है। कुंडली के दूसरे घर में राहु की मौजूदगी जातक के धन, परिवार और संवाद को प्रभावित कर सकती है। हालांकि राहु जातक को आर्थिक रूप् से समृद्ध बनाने का भी कार्य कर सकते है। ऐसे जातकों को अपनी ताकत विकसित करने और अपनी कमजोरियों को खत्म करने पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है।

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गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम