वैसे जन सामान्य के बीच राहु और केतु को लेकर कुछ खास अवधारणा बनी हुई है। जैसे राहु और केतु दोनों खतरनाक ग्रह है और यदि ये मनुष्य की कुंडली को प्रभावित करें, तो वह दुख का भागी बनता है। यह आम अवधारणा कुछ हद तक सही है, लेकिन पूरी तरह नहीं क्योंकि राहुु कई अनुकूल परिस्थिति में मनुष्य को सकारात्मक परिणाम भी दे सकता है। इसे ऐसे समझें कि, वैदिक ज्योतिष में सूर्य को मनुष्य की आत्मा, चंद्र को मनुष्य का मन और पृथ्वी को मनुष्य का शरीर माना गया है। अब जब राहु की स्थिति इन तीनों मतलब सूर्य मनुष्य की आत्मा, चंद्रमा मनुष्य का मन और पृथ्वी मनुष्य के शरीर तीनों को एक करने की स्थिति है। जब मनुष्य की आत्मा, मन और शरीर एक स्थिति में होते है तब वह साधना की उच्चतम स्थिति को प्राप्त करता है इसका अर्थ यह है कि राहु की स्थिति यदि अनुकूल हो तो कोई साधारण इंसान भी एक सिद्ध योगी बन सकता है। यदि मनुष्य राहु और केतु के प्रभावों का सकारात्मक दिशा में उपयोग करे, तो राहु-केतु उसे तीनों लोक का वह सुख दे सकते है जो कोई और ग्रह नहीं दे सकता।
लेकिन फिलहाल हम कुंडली के चौथे भाव में राहु की स्थिति का महत्व जानने का प्रयास करेंगे। कुंडली का चौथा भाव सुख भाव या मातृस्थान के नाम से जाना जाता है। इस भाव का संबंध माता, सुख, मकान, वाहन, जमीन, कृषि, बाग-बगीचा, स्कूल-कॉलेज की शिक्षा, मन, तृष्णा, लालसा, महत्वाकांक्षा, घनिष्ठ प्रेम और मातृ सुख जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों से होता है। जब राहु कुंडली के चौथे स्थान पर बैठे हो तब वे जातक की शक्ति, धन, राजनैतिक मसले और जीवन शैली को प्रभावित कर सकते है।
सकारात्मक
राहु एक पुरुष संज्ञक ग्रह है, और यह जातकों के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डालने के लिए जाना जाता है। हालांकि, अनुकूल परिस्थितियों में राहु के प्रभाव जातक की कुंडली में अनुकूल परिणाम लाने में भी सक्षम है। कुंडली के चौथे भाव में राहु जातकों की वित्तीय स्थिति पर शक्तिशाली प्रभाव डालता है। यह उनकी पत्नी और माँ के साथ उनके अन्य संबंधों को भी मजबूत करने की क्षमता रखता है। इसके अलावा, चौथे भाव में राहु शक्ति, मान्यता और प्रसिद्धि प्रदान कर सकता है। जब कुंडली में राहु की स्थिति सकारात्मक होती है, तो जातक धन, शक्ति और व्यापार के मामले में अचानक लाभ का अनुभव कर सकते हैं। यह बुद्धि और ज्ञान भी प्रदान करता है। चौथे भाव में राहु वाले जातकों की मां उनके जीवन को अछूता बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। चौथे घर में राहु के प्रभाव जातक को आर्थिक और व्यक्तिगत रूप से किसी भी स्थिति में फिर से स्थिर बनाने का कार्य कर सकते है।
चतुर्थ भाव में राहु की मौजूदगी जातकों के विवाह संबंधों को मधुर बनाने का कार्य करती है। उनका रिश्ता लंबे समय तक बना रहता है। उनके रिश्ते में वफादारी होगी। कुंडली के चौथे स्थान पर राहु जातक को घर, कार और अन्य शानदार आवश्यक सामानों सहित आधुनिक सुख-सुविधाएं प्रदान कर सकता है। यह पाया गया है, कि अपने चौथे घर में राहु की मौजूदगी जातक को अपने साथ रहने वाले लोगों और सहयोगियों से भावनात्मक रूप से जोड़ने का कार्य करती है। कुंडली में राहु की यह स्थिति विपरीत परिस्थितियों में एक दूसरे का समर्थन करने के लिए भी प्रेरित करती है।
नकारात्मक
वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली के चौथे भाव में राहु की मौजूदगी काफी हद तक पुरूषवादी होने की सूचक है। कुंडली में राहु की ऐसी स्थिति जातक को लालची बनाने का कार्य करती है। ऐसे जातक अनुचित साधनों के साथ समाज में उच्च स्थिति प्राप्त करने का प्रयास कर सकते है। उनमें दूसरों के प्रति सहानुभूति, भावनात्मक और बुद्धिमत्ता का अभाव हो सकता है। जैसे-जैसे समय बढ़ता है, वे अधिक हाइपर हो जाते हैं, आवेग में आकर चीजों को सही तरीके से आंकने की प्रवृत्ति खो देते हैं। ग़ौरतलब है कि कुंडली के चौथे स्थान के स्वामी चंद्रमा है, और राहु चंद्रमा को अपना विरोधी मानता है। इसलिए कुंडली के चौथे स्थान पर राहु जातकों के जीवन को अधिक नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते है।
कुंडली के चौथे स्थान पर राहु की मौजूदगी वाले जातक अपनी व्यावसायिक संपत्ति खो सकते हैं, और प्रतिकूल वित्तीय स्थितियों का सामना कर सकते हैं। ऐसे जातकों को अपने संबंधों में भी सतर्क रहने की जरूरत है, विशेष रूप से अपनी मां और पत्नी के साथ, क्योंकि अगर वे अपने क्रोध को नियंत्रित करने में असमर्थ हैं तो चीजें बदतर हो सकती हैं। ऐसे जातक सभी विलासिता, आराम और पदों को खो सकते हैं, इसलिए जीवन की प्रत्येक परिस्थिति में बहुत सावधान रहने की सलाह है। ऐसे जातक लालची होते हैं, और अनुचित माध्यमों से अपने लक्ष्यों को प्राप्त करते हैं। ऐसे जातक अन्याय का समर्थन करते है और ये असमानता में भी विश्वास रखते है। उन्हें जाति और धर्म के आधार पर लोगों के बीच भेदभाव का भी सामना करना पड़ सकता है। हालांकि इन समस्याओं को उचित उपायों द्वारा हल किया जा सकता है।
निष्कर्ष
कुंडली के चौथे भाव में राहु किसी के जीवन को बनाने या नष्ट करने, दोनों तरह से आवश्यक भूमिका निभा सकते है। राहु के अधिकांश प्रभाव पुरुषवादी हैं और वे प्रतिकूलता की ओर लेकर जा सकते हैं, जिससे आध्यात्मिक मूल्यों का हास हो सकता है। हालांकि, राहु के नकारात्मक प्रभावों को कुछ सामान्य ज्योतिषीय उपायों से काफी हद तक कम किया जा सकता है। एक विद्वान और अनुभवी ज्योतिष राहु के तीव्र से तीव्र नकारात्मक प्रभाव को कम कर उसे जातक के लिए सकारात्मक दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित कर सकता है।
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