कुंडली के तीसरे भाव में मंगल का प्रभाव
वैदिक ज्योतिष में कुंडली को बेहद महत्वपूर्ण और खास स्थान प्राप्त है, दरअसल यदि ऐसा कहा जाए की कुंडली के इर्द-गिर्द ही सामान्य ज्योतिष का ताना-बाना बुना गया है, तो भी यह गलत नहीं होगा। कुंडली के आधार पर ही कोई ज्योतिष काल गणना का सटीक अध्ययन कर सकता है। ब्रह्मांड को 360 डिग्री मानकर कुंडली को बारह हिस्सों में विभाजित किया गया है, जिन्हें भाव, घर या स्थान जैसे नामों से चिन्हित किया जाता है। कुंडली में मौजूद प्रत्येक भाव को 30 डिग्री माना गया है, प्रत्येक भाव का अपना एक महत्व और उपयोगिता है, सामान्य शब्दों में कहा जाए तो प्रत्येक भाव काल पुरूष अर्थात जातक के जन्म से मरण और मोक्ष तक की सभी परिस्थितियों और घटनाक्रम को इन बारह हिस्सों में बांटा गया है।फिलहाल हम कुंडली के तीसरे भाव की बात करेंगे, कुंडली का तीसरा स्थान पराक्रम स्थान होकर, पराक्रम, साहस, दोस्त, लघु प्रवास, संगीत, महत्वपूर्ण फेरबदल, दलाली और शौर्य जैसे क्षेत्रों से संबंध रखता है। कुंडली के तीसरे भाव में मंगल की मौजूगी से पहले हमें मंगल के चाल चरित्र, प्रभाव और स्वाभाव को जानना होगा। मंगल भूमि नंदन, भौम, लोहितांग, अंगारक और क्षितिज जैसे नामों से पहचाने जाते है।
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मंगल को वैदिक ज्योतिष में काल पुरूष के पराक्रम का प्रतीक माना गया है। मंगल वैदिक ज्योतिष में उल्लेखित प्रभावी और बलवान ग्रहों में से एक है, और अन्य ग्रहों की अपेक्षा अपने स्थान से कुंडली के अन्य स्थानों को प्रभावित करने की क्षमता रखते है।गुरू, शनि और मंगल को ज्योतिष में विशेष दृष्टि प्राप्त है, मंगल अपने स्थान से चैथे, सातवें और आठवें भाव पर दृष्टि डालते है। कुंडली में मंगल मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी है और कुंडली के तीसरे व चौथे स्थान के पूर्ण और छठे स्थान के मिश्रित कारक है। शौर्य, पराक्रम, युद्ध, शत्रु, विरोध, क्रोध, उदारता, युवावस्था, के कारक भी मंगल ही हैं, यदि किसी की जन्म कुंडली में मंगल बलवान है, तो वह जातक को अनुशासन प्रिय, न्याय पसंद, सरल बुद्धि, दूसरों पर जल्दी विश्वास करने वाला, दूसरों को दिशा निर्देश देने वाला एवं उनका पालन करवाने वाला, स्पष्टवादी और मेहनतकश होता है। जन्म कुंडली में मंगल बलवान होने पर व्यक्ति दृढ़ संकल्पवान एवं महत्वाकांक्षा पूर्ण करने के लिए अदम्य इच्छाशक्ति रखता है। वहीं मंगल के अशुभ प्रभाव में जातक में उग्र, आक्रामक, युद्ध प्रिय, उन्मत्तता, अविचारि, नशाखोर, शक्ति का अनौतिक उपयोग करने वाले होते है। कुंडली के तीसरे भाव में मंगल कुछ स्थिति में सकारात्मक वहीं कुछ स्थिति में नकारात्मक प्रभाव भी डाल सकते है।
सकारात्मक
कुंडली के तीसरे भाव में मंगल जातक आत्मविश्वास और ऊर्जा, आक्रमण, संचार और ज्ञान जैसे क्षेत्रों को प्रभावित करने की क्षमता रखते है। कुंडली के तीसरे घर में मंगल जातक को अपने विचारों को स्पष्टता और सहजता के साथ व्यक्त करने की क्षमता प्रदान करते है। वे मानसिक रूप से अपने विचारों को अधिक बेहतर ढंग से व्यक्त कर सकते है। वे ज्ञानवान होते है और अनेक विषयों के बारे में बहुत कुछ जानकारी रखते है। उन्हे अपने ज्ञान को दूसरों के साथ साझा करने की इच्छा रखते है। ऐसे जातक अपने संवाद में बहुत प्रत्यक्ष और स्पष्ट होते है। कुंडली के तीसरे घर में मंगल जातक को वाद विवाद में रूचि लेने वाला और प्रभावी वार्ताकार बनाने का कार्य करते है। वे आत्मविश्वास से भरे होते है और अपने विचारों और दृष्टिकोण के प्रति स्पष्ट नजरिया रखते है। ऐसे जातक उत्साही और जीवांत होते है, उनकी सकारात्मक ऊर्जा उनके साथ ही आसपास के लोगों को भी जीवांत बनाने का कार्य करती है। उनके आसपास मौजूद लोग उनकी सकारात्मकता और ऊर्जा से खुद को प्रेरित महसूस करते हैं।तीसरे भाव में मंगल की मौजूदगी से जातक के अपने परिवार के लोगों के साथ संबंध गर्म होते है। वे दूसरों के लिए जरूर प्रेरणा स्त्रोत बनते है, वे अपने परिवार को दृढ़ता से प्रभावित करते हैं और कभी-कभी प्रकृति में बहुत ताकतवर और हावी हो जाते है। ऐसे जातकों को चीजों और परिस्थितियों व्यक्तिगत रूप से नहीं लेना चाहिए। कुंडली के तीसरे स्थान पर मंगल जातक को सतर्क, सक्रिय और ऊर्जावान बनाने का कार्य करते है। लेकिन उनके अतिप्रवाहित विचारों को उन्हे सही दिशा में प्रसारित करना चाहिए। उनके विचार काफी तेज और आवेग से भरे हो सकते है, उन्हे अपने विचारों को तर्कसंगत बनाने का प्रयास करना चाहिए।
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नकारात्मक
कुंडली के तीसरे भाव में जहां मंगल जातक को कई प्रभावी गुण देने का कार्य करते है, वहीं वे कुछ मामलों में दुष्प्रभाव भी डाल सकते है। गौरतलब है कि कुंडली के तीसरे भाव के कारक मंगल ही है। ऐसे स्थिति में वे जातक पर अधिक सकारात्मक प्रभाव डालने का कार्य करते है। लेकिन उनके तीव्र प्रभावों के कारण कई बार वे जातक को लापरवाह भी बना सकते है। कुंडली के तीसरे स्थान पर मंगल जातक को अपनी राय और विश्वास का दृढ़ता से बचाव करने की क्षमता देते है। वे सभी बाधाओं के खिलाफ अपने परिवार का पुरजोर समर्थन भी करते है। तीसरे घर में मंगल की मौजूदगी उन्हे अदम्य साहस देने का कार्य करती है, वे यात्रा करने और साहसी कार्यों को पूरे करने की प्रबल इच्छा रखते है। मंगल की तीव्र ऊर्जा उन्हे लापरवाह बना सकती है। वे बिना अधिक सोच विचार के बड़े जोखिम उठाने लगते है, जिसके कारण भविष्य में उन्हे नुकसान उठाना पड़ सकता है। ऐसे जातकों को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि साहस और मूर्खता को धैर्य की महीन रेखा अलग करने का कार्य करती है। बहुत अधिक साहस कई बार जीवन के लिए खतरनाक हो सकता है। यह घातक और दुर्घटनाओं की संभावनाओं को बढ़ाने का कार्य कर सकता है। उन्हे आत्मविश्वास के साथ जानकारी पूर्ण होना चाहिए। यदि वे ऐसा करते है तो अन्य लोगों के साथ बातचीत में वे अधिक सहज महसूस कर सकते है। उन्हे आष्वस्त होना चाहिए लेकिन अति उत्साह के साथ नहीं। तीसरे घर में मंगल जातक को बेबाक और निडरता के साथ अपने विचार व्यक्त करने की क्षमता देते है लेकिन उन्हे अपने शब्दों का चयन करने में धैर्य रखने की सलाह है। क्योंकि कई बार वे अधिक उत्साह के कारण कुछ विवादास्पक शब्दों का चयन कर लेेते है। तीसरे भाव में मंगल जातक को अपने दृष्टिकोण पर अडिग बनाने का कार्य करता है, ऐसी स्थिति में कई बार उन्हे लगता है कि सिर्फ वे ही सही है और अन्य लोग उनकी बात समझ नहीं रहें। लेकिन वस्तु स्थिति इसके विपरीत होती है। ऐसे जातकों को दूसरों के दृष्टिकोण और विचारों का सम्मान करने की सलाह है।
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निष्कर्ष
कुंडली के तीसरे स्थान पर मंगल जातक को सतर्क, सक्रिय और ऊर्जावान बनाने का कार्य करते है। लेकिन उनके अतिप्रवाहित विचारों को उन्हे सही दिशा में प्रसारित करना चाहिए। उनके विचार काफी तेज और आवेग से भरे हो सकते है, उन्हे अपने विचारों को तर्कसंगत बनाने का प्रयास करना चाहिए। तीसरे घर में मंगल जातक को बेबाक और निडरता के साथ अपने विचार व्यक्त करने की क्षमता देते है लेकिन उन्हे अपने शब्दों का चयन करने में धैर्य रखने की सलाह है। कुल मिलाकर कुंडली के तीसरे भाव में मंगल जातक के जीवन में अधिकांशतः सकारात्मक और अच्छे गुणों का ही प्रसार करते है। लेकिन जातक को इन गुणों को धैर्य के साथ स्वीकार करना चाहिए अन्यथा दुष्परिणाम भी भुगतने पड़ सकते है।
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