कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य का महत्व!
वैदिक ज्योतिष में दूसरे घर को संपत्ति का घर कहा जाता है। यह उन सभी भौतिक वस्तुओं का कारक होता है, जिन्हें हम पाना चाहते हैं या प्राप्त करते हैं। यहाँ तक की दूसरा भाव हमारे अप्रत्यक्ष पहलू को भी दर्शाता है कि हम अपने छोटे भाई-बहनों और अन्य नज़दीकी और प्रिय लोगों से कैसे संबंध रखते हैं। ऐसे में यदि सबसे महत्वपूर्ण ग्रह सूर्य हमारी कुंडली के दूसरे भाव में स्थित होता है, तो यह जीवन के उपर्युक्त क्षेत्रों को प्रमुखता से प्रभावित करता है। इस प्रकार के लोगों के जीवन में प्रभुत्वता अधिभावी होती है। ऐसे व्यक्तियों के पास बहुत पैसा होता है, और वे यह भी जानते हैं कि इसे कैसे खर्च करना होता है।
दूसरे घर में स्थित सूर्य से प्रभावित क्षेत्र
- धन और समृद्धि
- स्वास्थ्य और भलाई
- व्यावसायिक योग्यता
- सार्वजनिक और सामाजिक छवि
- उद्देश्य, महत्वाकांक्षाएँ, और आकांक्षाएँ
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द्वितीय भाव में स्थित सूर्य के सकारात्मक लक्षण या प्रभाव
जिन व्यक्तियों की कुंडली में सूर्य दूसरे भाव में स्थित होता है, वे बहुत मजबूत व्यक्तित्व वाले होते हैं। उनके उच्च नैतिक गुण उन्हें लोकप्रिय और सबके लाडले बनाते हैं। सब लोग उनके साथ मित्रता करना चाहते हैं। वे बहुत ही ज़िम्मेदार और अच्छी तर्क शक्ति रखते हैं, जिसके कारण दूसरे लोग उन पर पूरा भरोसा करते हैं।इसके अलावा जिनकी कुंडली में सूर्य दूसरे भाव में स्थित होता है, वे मूल्यों के साथ-साथ धन-दौलत से भी परिपूर्ण होते हैं। वे खुद दूसरे लोगों के लिए एक सपने जैसे होते हैं। उनकी संपत्ति और समृद्धि भी उनके आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान को बढ़ाती है। यही आत्मविश्वास उन्हें एक शानदार करियर बनाने में मदद करता है।ऐसे लोग अपने धन का दिखावा नहीं करते हैं। वे किसी भी प्रकार का दिखावा करने में विश्वास नहीं करते हैं। बल्कि वे गहराई और निरंतरता के प्रति अधिक झुकाव रखते हैं। वे कभी खोखली बातें नहीं करते।दूसरी ओर, वे कला और प्रकृति में अधिक विश्वास करते हैं। वे सौंदर्यता और सुंदरता पसंद करते हैं। वे ऐसी वस्तुओं को हासिल करना चाहते हैं जो उनके व्यक्तित्व में गुणवत्ता लाये। उदाहरण के तौर पर वे दूसरों की पसंद का विशेष ध्यान रखते हैं। वे अपने दोस्तों और प्रियजन को अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहते हैं। ऐसे में दोस्त और प्रियजन भी उनके इस प्यार और देखभाल के बदले में प्यार और सम्मान देते हैं।इसके अलावा अपनी कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य की उपस्थिति वाले व्यक्ति अपनी उस अच्छी और कुशल बातचीत शैली के लिए प्रशंसा के पात्र बनते हैं, जो अक्सर बौद्धिक चर्चाओं में वे कहते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली के दूसरे भाव में स्थित सूर्य जातकों को अपनी प्रतिबद्धता रखने और अपने वादों को कभी नहीं तोड़ने की क्षमता भी प्रदान करता है।
दूसरे भाव में स्थित सूर्य के नकारात्मक लक्षण या प्रभाव
जिन जातकों की जन्म कुंडली में सूर्य दूसरे भाव में स्थित होता हैं, उन्हें अपने वित्त के बारे में सावधान रहना चाहिए। उन्हें अत्यधिक भौतिक संपत्ति खरीदनी और अर्जित नहीं करनी चाहिए, विशेष रूप से महँगी। सुंदर वस्तुएँ सबको अच्छी लगती हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम हर उस वस्तु को हासिल कर पाएं जो हमें अच्छी लगती हो। जहाँ तक संभव हो सके मितव्ययी बनें। जरुरी नहीं कि हर महँगी वस्तु गुणवत्ता वाली हो। इसके अलावा जन्म कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य की उपस्थिति वाले जातक किसी भी कार्य को सही ढंग से करने के लिए हमेशा उत्सुक रहते हैं। जो कई बार, कई स्थितियों में महँगी भी पड़ सकती है। यदि दूसरा व्यक्ति आपके विचारों से सहमत नहीं हो पाए तो एक विरोधाभासी स्थिति उत्पन्न होने की संभावना रहती है।ऐसे व्यक्ति जिनकी कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य होता है, वे हमेशा सुरक्षित और बच कर रहना चाहते हैं। उन्हें लगता है कि कोई ख़तरा या परेशानी उनके जीवन में नहीं आनी चाहिए। लेकिन इतनी अत्यधिक सुरक्षात्मक भावना भी अच्छी नहीं होती। उन्हें हर समय सुरक्षात्मक दायरे में नहीं रहना चाहिए। ये किसी व्यक्ति के विकास और प्रगति में बाधक बन सकता है।
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निष्कर्ष
एक व्यक्ति की जन्म कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य की उपस्थिति व्यक्ति को अपेक्षाकृत रिश्तों और धन की दृष्टि से संपन्न बनाती है। लेकिन कोई भी कार्य करने से पहले अत्यधिक उत्साही और अपव्ययी न बनें और इस बात का विशेष ध्यान रखें।
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गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स टीम